रजप्पा मंदिर में कार्तिक अमावस्या पर आधी रात को क्यों जुटते हैं श्रद्धालु, जानें 13 कुंड पर अनुष्ठान की कहानी

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Published : Nov 16, 2020, 3:20 AM IST

Updated : Nov 16, 2020, 9:44 AM IST

Special worship on the night of Diwali at Rajappa temple of Ramgarh
दिवाली की रात रजप्पा मंदिर ()

तंत्र साधना के लिए मशहूर रामगढ़ का रजप्पा मंदिर देश भर के श्रद्धालुओं के लिए रातभर खुला रहा. कार्तिक अमावस्या यानी दीपावली पर इस मंदिर में रात्रि पूजा का खास महत्व है. इसके लिए कई राज्यों के श्रद्धालु यहां पहुंचे और 13 कुंडों पर अनुष्ठान किया. इसके लिए मंदिर को विशेष तरीके से सजाया गया था.

रामगढ़: तंत्र साधना के लिए कार्तिका अमावस्या यानी दिवाली पर देश के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मां छिन्नमस्तिका मंदिर क्षेत्र में बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कई प्रदेशों के साधक जुटे. मां की कृपा पाने के लिए प्रदेश समेत दूसरे राज्यों के आम श्रद्धालु भी यहां पहुंचे. इसके लिए रात भर मां का दरबार खुला रहा और भक्तों ने पूजा-अर्चना की. पुजारियों ने बताया कि अमावस्या की रात तंत्र सिद्धि के लिए खास होती है. यहां रजरप्पा मंदिर में मध्य रात्रि में मां काली, मां छिन्नमस्तिके माता की विशेष पूजा अर्चना होती है. कोविड-19 को देखते हुए मंदिर में आयोजन के लिए अधिक प्रयास नहीं किया जा सका, अलबत्ता इसे सजा दिया गया है.

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पुजारियों के मुताबिक मां छिन्नमस्तिका मंदिर में कार्तिक अमावस्या की रात तंत्र सिद्धि के लिए कई साधक खुले आसमान के नीचे तो कई गुप्त रूप से साधना करते मिल जाएंगे. इसको लेकर रात भर हवन किया गया. यहां 13 कुंडों पर हवन-अनुष्ठान कराए गए. इसके लिए कार्तिक अमावस्या यानी दीपावली पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

ये है मान्यता

ऐसी मान्यता है है कि असम के कामरूप कामाख्या के बाद मां छिन्नमस्तिका मंदिर में ही शक्ति का एहसास होता है, यहां जो भक्त सच्चे मन से साधना और पूजा करते हैं. उन्हें मां के दिव्य रूप का दर्शन आसानी से हो सकता है. दामोदर और भैरवी तट पर स्थित मंदिर में कार्तिक अमावस्या पर पूजा से सभी बाधाएं दूर होती हैं. यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था से भी जुड़ा हुआ है.

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क्या कहते हैं श्रद्धालु

पूजा करने पहुंचे श्रद्धालु चंद्रशेखर पटवा ने बताया कि वे 25 सालों से मां के दरबार में लगातार आते रहते हैं, खासकर कार्तिक अमावस्या पर. उन्हें यहां आने से शांति तो मिलती ही है. साथ ही साथ मां उनके दुखों को भी हर लेती है.

रातभर खुला रहता है मंदिर

रजरप्पा मंदिर के पुजारी छोटू पंडा ने बताया कि मां छिन्नमस्तिका मंदिर और इस क्षेत्र में स्थापित दक्षिणेश्वर काली मंदिर का कपट रात भर खुला रहता है और पूजा-अर्चना होती रहती है. इस पूरे मंदिर परिसर क्षेत्र में 13 हवन कुंड हैं और सभी हवन कुंडों में अनुष्ठान रात भर चलता है. यहां शक्ति की पूजा होती है, इसलिए तांत्रिक, साधक, उपासक और अन्य भक्तों के लिए भी आज के दिन की रात्रि पूजा का विशेष महत्व है. देश के कई राज्यों से श्रद्धालुओं और साधक यहां पहुंचते हैं और मां की आराधना करते हैं और मां सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

Last Updated :Nov 16, 2020, 9:44 AM IST
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