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रामगढ़ः जब आमने-सामने हुए थे महात्मा गांधी और नेता जी

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Published : Sep 22, 2019, 8:16 AM IST

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन की चर्चा कांग्रेस के इतिहास नामक पुस्तक में भी की गई है. अधिवेशन के दौरान दामोदर नदी के किनारे जंगलों में सैकड़ों पंडाल लगाए गए थे. जिसमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं ने शिरकत की थी. रामगढ़ अधिवेशन में ही भारत छोड़ो आंदोलन की नींव पड़ी, जिसके साढ़े 6 साल बाद देश को आजादी मिली.

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रामगढ़: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 1940 में तीन दिवसीय महत्वपूर्ण अधिवेशन मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में 18 से 20 मार्च तक रामगढ़ में हुआ था. जिस जगह पर कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था, वहां पर अभी अशोक स्तंभ बना हुआ है. फिलहाल ये स्तंभ सिख रेजीमेंट सेंटर के अंदर चला गया है.

गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन की चर्चा कांग्रेस के इतिहास नामक पुस्तक में भी की गई है. अधिवेशन के दौरान दामोदर नदी के किनारे जंगलों में सैकड़ों पंडाल लगाए गए थे. जिसमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं ने शिरकत की थी. उस दरम्यान महात्मा गांधी के जोशीले भाषण से लोगों में ऊर्जा, तेज और उत्साह का संचार हुआ था. रामगढ़ अधिवेशन में ही भारत छोड़ो आंदोलन की नींव पड़ी, जिसके साढ़े 6 साल बाद देश को आजादी मिली.

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बापू ने किया था प्रदर्शनी का उद्घाटन
महात्मा गांधी उस अधिवेशन में खुद आए थे. वो रांची से होते हुए रामगढ़ पहुंचे और अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. बापू ने मौजूद महिलाओं से पर्दा प्रथा, छुआछूत, अशिक्षा, अंधविश्वास जैसी कुरीतियों को दूर करने की अपील की थी.

नेताजी ने किया था समानांतर अधिवेशन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ रामगढ़ में समानांतर अधिवेशन किया था और पूरे नगर में एक विशाल शोभा यात्रा निकली. इसमें महंत धनराज पुरी, कैप्टन शाहनवाज खां, कैप्टन लक्ष्मी बाई सहगल, शीलभद्र जैसे दिग्गज लोग शामिल हुए थे. सुभाष चंद्र बोस रांची से रामगढ़ आए थे. नेताजी के साथ उनके निकट सलाहकार डा. यदु मुखर्जी और कई अन्य नेता भी शामिल थे.

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महात्मा गांधी का रामगढ़ कनेक्शन
⦁ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 मार्च से 20 मार्च 1940 में रामगढ़ में हुआ था, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे.
⦁ महात्मा गांधी अधिवेशन में शामिल होने के लिए रांची से गाड़ी में रामगढ़ पहुंचे थे.
⦁ अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी गांधीजी ने किया था.
⦁ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 में हुई थी, उसके बाद उनका अस्थि कलश रामगढ़ लाया गया.
⦁ दामोदर नदी घाट के किनारे गांधी जी की समाधि का निर्माण किया गया था, ये आज गांधी घाट के नाम से जाना जाता है.
⦁ रामगढ़ में आयोजित अधिवेशन में ही अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी.
⦁ रामगढ़ अधिवेशन के 6 साल बाद देश को आजादी मिली.
⦁ जिस स्थल पर अधिवेशन का आयोजन किया गया था वहां पर अब अशोक स्तंभ बना हुआ है.
⦁ अशोक का स्तंभ वाला स्थान सिख रेजिमेंट सेंटर के अंदर चला गया है.
⦁ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी घाट पर उन्हें याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

Intro:-NOTE ......सर , चश्मा वाला बाइट कमल बगड़िया का है मुक्ति धाम संस्था

कुर्सी पर डॉ संजय सिंह का बाईट है

गाँधी टोपी में ओपनिंग व क्लोज़िंग P 2 C भी है

बिना गाँधी टोपी में ओपनिंग व क्लोज़िंग P 2 C भी है


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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का रामगढ़ कनेक्शन ।
1, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन 18 मार्च से 20 मार्च 1940 मैं रामगढ़ में हुआ था जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी शामिल हुए थे ।
2, महात्मा गांधी अधिवेशन में शामिल होने के लिए रांची से टिफिन गाड़ी में रामगढ़ पहुंचे थे ।
3, अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन भी गांधीजी ने किया था ।
4, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मौत 30 जनवरी 1948 में हुई थी उसके बाद उनका आस्ति कलश रामगढ़ लाया गया था ।
5, दामोदर नदी घाट के किनारे गांधी जी की समाधि का निर्माण किया गया था जो आज गांधी घाट के नाम से जाना जाता है ।
6, रामगढ़ मैं आयोजित अधिवेशन में ही अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन की नींव रखी गई थी ।
7, अधिवेशन के 6 साल बाद देश को आजादी मिली थी ।
8, जिस स्थल पर अधिवेशन का आयोजन किया गया था वहां पर अभी अशोक का स्तंभ बना हुआ है ।
9, अशोक का स्तंभ वाला स्थान सिख रेजिमेंट सेंटर के अंदर चला गया है ।
10, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर गांधी घाट पर उन्हें याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ।


अहिंसा और सत्य के पुजारी महात्मा गांधी मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1869 को पोरबंदर में हुआ था। पोरबंदर, गुजरात कठियावड़ की तीन सौ में से एक रियासत थी। उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जो कि जाति से वैश्य था। उनके दादा उत्तमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे। आगे चलकर 1847 में उनके पिता करमचंद गांधी को पोरबंदर का दीवान घोषित किया गया। एक-एक करके तीन पत्नी की मृत्यु हो जाने पर करमचंद ने चौथा विवाह पुतलीबाई से किया, जिनकी कोख से गांधीजी ने जन्म लिया। मोहनदास की माँ का स्वभाव संतों के जैसा था। गांधीजी अपनी माँ के विचारों से खूब प्रभावित थे। गांधीजी की आरंभिक शिक्षा पोरबंदर में हुई।


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत के 71 वर्ष पूरे हो गए हैं। लेकिन इन सात दशकों में बापू की स्मृतियां न धूमिल हुई है और न विस्मृत हुई है। प्रत्येक दिन का सूर्योदय राष्ट्रपिता के संदेशों का मंत्र बिखेरता प्रतीत होता है। 71 वर्ष पहले 30 जनवरी 1948 को बापू की हत्या कर दी गई थी। यहां स्मरणीय है कि महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के दरम्यान रामगढ और इसके आसपास के इलाकों का सघन दौरा किया था साथ ही साथ तीन दिनों का प्रवास भी किया था /

Body:भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का महत्वपूर्ण अधिवेशन मौलाना अबुल कलाम आजाद अध्यक्षता में 18 से 20 मार्च तक 1940 में रामगढ़ में हुआ था। जिस स्थान पर कांग्रेस का 18 मार्च से 20 मार्च 1940 को अधिवेशन हुआ था वहां पर अभी अशोक स्तंभ बना हुआ है जो सीख रेजीमेंट सेंटर के अंदर चला गया है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 में हुई थी जिसके बाद 16 अस्थि कलश में से एक अस्थि कलश रामगढ़ लाया गया था और दामोदर नदी घाट के किनारे उनकी समाधि का निर्माण किया गया है जो आज गांधी घाट के नाम से जाना जाता है गांधी घाट पर गांधी जयंती व उनकी पुंयतिथि भी मनाई जाती है जहां प्रत्येक वर्ष श्रद्धासुमन अर्पित किए जाते हैं। रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन की चर्चा कांग्रेस के इतिहास नामक पुस्तक में भी की गई है। उनके सत्य, प्रेम, अहिंसा के दिपक हमेशा इस देश के लोगों को अपनी रोशनी देते रहेंगे.....।"

अधिवेशन के दौरान दामोदर नदी के किनारे जंगलों में सैकड़ों पंडाल लगाए गए थे। जिसमें महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे तमाम नेताओं की भागीदारी हुई थी। जिनकी जोशीले उध्दबोधन से लोगों में उर्जा, तेज और उत्साह का संचार हुआ था। रामगढ़ अधिवेशन में ही भारत छोड़ों आंदोलन की नींव पड़ी जिसके साढ़े 6 साल बाद देश को आजादी मिली।



बापू ने किया था प्रदर्शनी का उद्घाटन

महात्मा गांधी उक्त अधिवेशन में स्वंय पधारे थे। वह रांची से टिफिन गाड़ी में रामगढ़ पहुंचे तथा अधिवेशन स्थल पर लगाई गई प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। बापू ने उपस्थित महिलाओं से पर्दा प्रथा, छूआछूत, अशिक्षा, अंधविश्वास जैसी कुरीतियों से जेहाद करने की अपील की थी। तीन दिनों तक चलने वाले अधिवेशन में मूसलाधार बारिश के कारण भारी परेशानी का समना करना पड़ा था।

नेताजी ने किया था समानांतर अधिवेशन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ रामगढ़ में समानांतर अधिवेश किया था तथा पूरे नगर में एक विशाल शोभा यात्रा निकली थी। इसमें महंथ धनराज पुरी, कैप्टन शाहनवाज खां, कैप्टन लक्ष्मी बाई सहगल, शीलभद्र जैसे दिग्गज लोग शामिल हुए थे। सुभाष चंद्र बोस रांची से रामगढ़ आए थे। नेताजी के साथ उनके निकट सलाहकार डा. यदु मुा मुखर्जी व कई अन्य नेता भी थे।
Conclusion:
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