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बरकाकाना डीएवी स्कूल में दिखी राजस्थान की संस्कृति की झलक, राजस्थानी लोक गीत पर कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत कर मोहा मन

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 8, 2023, 10:57 PM IST

रामगढ़ के बरकाकाना डीएवी स्कूल में राजस्थान की संस्कृत की झलक दिखी. कार्यक्रम में राजस्थानी कलाकारों ने लोक गीतों पर एक से बढ़कर एक नृत्य प्रस्तुत किया. जिसे देख सभी अचंभित हो गए. Glimpse of Rajasthan culture seen in Ramgarh.

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Glimpse Of Rajasthan Culture Seen In Ramgarh

रामगढ़ः भारत की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए झारखंड में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत राजस्थान की लोक संस्कृति को शामिल किया गया है. इसके तहत राजस्थान के कलाकार अपनी शानदार प्रस्तुति से लोगों का मन मोह रहे हैं. इसी कड़ी में कलाकारों द्वारा डीएवी स्कूल बरकाकाना में लोक नृत्य प्रस्तुत किया गया.

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दरअसल, भारत की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने के लिए 1977 में स्पीक माइके संस्था की स्थापना हुई थी. यह संस्था पिछले 28 वर्षों से भारत की खुबसूरत संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है और राजस्थान की लोक नृत्य, वाद्य यंत्रों और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. इसके तहत बरकाकाना डीएवी में राजस्थाना के कलाकारों ने प्रस्तुति देकर मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.

राजस्थानी लोकगीत पर एक से बढ़कर एक नृत्य की प्रस्तुति दीः सबसे पहले रोजे खान की टीम ने महाराज गजानन आओ जी.. गीत पर बच्चों को झूमने पर विवश कर दिया. इसके बाद केसरिया बालमा पधारो म्हारे देश..लोकगीत पर विद्यालय के सभी बच्चे थिरक उठे. मोहनी कालबेलिया ने सर के ऊपर बेलिया और मुंह से तलवार पकड़कर तेरा वाली नृत्य प्रस्तुत किया. पारंपरिक राजस्थानी लोकगीत छोटा-छोटा निंबुड़ा लायो रे.. ने समा बांध दिया.

भवाली नृत्य देखकर दर्शकों ने दांतों तले अंगुलियां दबायीः राजस्थान में पानी की कमी के कारण वहां की महिलाएं माथे पर कई मटके रखकर कोसों दूरे से पानी लाने जाती थीं. इसी परंपरागत घटना को दर्शाने वाली भवाली नृत्य को मोहिनी कालबेलिया ने अपने सर पर ग्लास और उसे पर आठ कलश रखकर पैरों के नीचे तीन तलवार रखकर प्रस्तुत किया. इस नृत्य को देखकर सभी अचंभित और मंत्र मुक्त हो गए. जरा सा टेडो हो जा बालमा मेरे पल्लू लटके गीत , कबीर की प्रसिद्ध पंक्ति दुनिया बड़ी बावड़ी पत्थर पूजन जाए ,घर की चकिया कोई न पूजे जाके पिसन खाय का जिक्र करते हुए दमा दम मस्त कलंदर गीत के साथ नृत्य प्रस्तुत किया.

डीएवी स्कूल की प्राचार्य ने कलाकारों की सराहना कीः इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्या सह क्षेत्रीय अधिकारी डॉ उर्मिला सिंह ने कहा कि राजस्थान का बाड़मेर जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बॉर्डर पर है वहां की सांस्कृतिक विरासत को सहेजे हुए इन कलाकारों ने लाजवाब प्रस्तुति दी. हमारे स्कूल के बच्चों के लिए यह प्रस्तुति बाल दिवस का सबसे बड़ा उपहार है.

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