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एशिया के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी में आखिर क्यों कम हो रही भेड़ियो की संख्या? वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट कर रहा आकलन - Jharkhand news

Wolf numbers are declining in Wolf Sanctuary. झारखंड के महुआडांड़ में मौजूद एशिया के एक मात्र वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियो की संख्या लगातार कम हो रही है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है इसका आकलन वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट कर रहा है.

Wolf numbers are declining in Wolf Sanctuary
Wolf numbers are declining in Wolf Sanctuary
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 16, 2023, 4:34 PM IST

पलामू: एशिया की एक मात्र वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों की संख्या कम हो रही है. दरसल झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के महुआडांड़ के इलाके में एशिया की एक मात्र वुल्फ सेंचुरी मौजूद है. भेड़ियो की कम होती संख्या को लेकर वन विभाग और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट चिंतित हो गई है. यही वजह है कि भेड़ियो के प्रवास और उनकी स्थिति का आकलन किया जा रहा है.

वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट की एक टीम पीटीआर के इलाके में कैंप कर रही है. यह टीम भेड़ियो के हैबिटेट (प्रवास) का आकलन कर रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि हैबिटेट को देखा जा रहा है साथ ही साथ इनकी गिनती भी की जा रही है. डब्लूएलआई की एक टीम इलाके में मौजूद है. आकलन के बाद टीम पूरी रिपोर्ट देगी साथ ही साथ कई पहल भी की जाएगी.

63 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है वुल्फ सेंचुरी: एशिया की एक मात्र महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी कारीब 63 स्कवायर किलोमीटर में फैली हुई है. इसकी सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. आंकड़ों के अनुसार वुल्फ सेंचुरी में 100 से 120 के करीब भेड़िए मौजूद हैं. कभी इलाके में इनकी संख्या 500 से अधिक हुआ करती थी. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ हैं. 70 के दशक में भेड़ियो के संरक्षण के लिए वुल्फ सेंचुरी की शुरुआत की गई थी. पूरे विश्व मे इंडियन ग्रे वुल्फ की संख्या करीब 3000 है.

ठंड के दौरान ब्रीडिंग करते है भेड़िए, बदल रहा कॉरीडोर: ठंड के दौरान भेड़िए ब्रीडिंग करते हैं. यही वजह है कि इस दौरान इलाके में पर्यटन गतिविधि को रोक दिया जाता है. भेड़िया के व्यवहार और संख्या जानने के लिए इलाके में ट्रैकिंग कैमरा लगाया गया है. यहां 30 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं. कुछ वर्षों में भेड़ियों के प्रवास का ट्रेंड बदला है. भेड़िए छत्तीसगढ़ के इलाके में भी दाखिल हो रहे हैं. एक्सपर्ट के रिपोर्ट के बाद पता चल पाएगा कि भेड़ियो की संख्या कम क्यों हो रही है.

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पलामू: एशिया की एक मात्र वुल्फ सेंचुरी में भेड़ियों की संख्या कम हो रही है. दरसल झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व के महुआडांड़ के इलाके में एशिया की एक मात्र वुल्फ सेंचुरी मौजूद है. भेड़ियो की कम होती संख्या को लेकर वन विभाग और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट चिंतित हो गई है. यही वजह है कि भेड़ियो के प्रवास और उनकी स्थिति का आकलन किया जा रहा है.

वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट की एक टीम पीटीआर के इलाके में कैंप कर रही है. यह टीम भेड़ियो के हैबिटेट (प्रवास) का आकलन कर रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि हैबिटेट को देखा जा रहा है साथ ही साथ इनकी गिनती भी की जा रही है. डब्लूएलआई की एक टीम इलाके में मौजूद है. आकलन के बाद टीम पूरी रिपोर्ट देगी साथ ही साथ कई पहल भी की जाएगी.

63 स्क्वायर किलोमीटर में फैला है वुल्फ सेंचुरी: एशिया की एक मात्र महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी कारीब 63 स्कवायर किलोमीटर में फैली हुई है. इसकी सीमा छत्तीसगढ़ से सटी हुई है. आंकड़ों के अनुसार वुल्फ सेंचुरी में 100 से 120 के करीब भेड़िए मौजूद हैं. कभी इलाके में इनकी संख्या 500 से अधिक हुआ करती थी. महुआडांड़ वुल्फ सेंचुरी में दुर्लभ प्रजाति के इंडियन ग्रे वुल्फ हैं. 70 के दशक में भेड़ियो के संरक्षण के लिए वुल्फ सेंचुरी की शुरुआत की गई थी. पूरे विश्व मे इंडियन ग्रे वुल्फ की संख्या करीब 3000 है.

ठंड के दौरान ब्रीडिंग करते है भेड़िए, बदल रहा कॉरीडोर: ठंड के दौरान भेड़िए ब्रीडिंग करते हैं. यही वजह है कि इस दौरान इलाके में पर्यटन गतिविधि को रोक दिया जाता है. भेड़िया के व्यवहार और संख्या जानने के लिए इलाके में ट्रैकिंग कैमरा लगाया गया है. यहां 30 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं. कुछ वर्षों में भेड़ियों के प्रवास का ट्रेंड बदला है. भेड़िए छत्तीसगढ़ के इलाके में भी दाखिल हो रहे हैं. एक्सपर्ट के रिपोर्ट के बाद पता चल पाएगा कि भेड़ियो की संख्या कम क्यों हो रही है.

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