ETV Bharat / state

1857 की क्रांति के हीरो नीलाम्बर पीताम्बर के इलाके में इस वर्ष गणतंत्र दिवस होगा खास, जानिए क्या है सुरक्षा बलों की तैयारी

author img

By

Published : Jan 21, 2023, 6:23 PM IST

Nilambar Pitambar Village Area In Palamu
Statue of Nilambar Pitambar

1857 क्रांति के वीर योद्धा नीलांबर पीताम्बर के इलाके में इस वर्ष धूमधाम से गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है. वहीं दशकों से इस इलाके में नक्सलियों का आतंक था. सुरक्षा बलों की कार्रवाई से अब इलाका नक्सल मुक्त हो गया है. इस खुशी में गांव-गांव तिरंगा फहरा कर खुशी मनायी जाएगी.

पलामू: आज उन वीर योद्धाओं की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने गुरिल्ला वार से 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. इस क्रांति के दो महानायक थे नीलाम्बर और पीताम्बर. नीलांबर और पीताम्बर दो भाई थे जिन्होंने क्रांति की लौ 1859 तक जलाए रखी थी. दोनों भाई चेमो सान्या गांव के रहने वाले थे. चेमो सान्या आज गढ़वा के भंडरिया में मौजूद है और बूढ़ापहाड़ की तराई में मौजूद हैं. इस इलाके में दशकों तक माओवादियों का साम्राज्य रहा है. इलाके में कई दशकों के बाद इस बार गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी है. नीलाम्बर-पीताम्बर के पैतृक गांव से सटे कई इलाकों में पहली बार गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन होना है. झंडोत्तोलन को लेकर सुरक्षा बल और प्रशासन ने बड़ी तैयारी की है. पलामू के जोनल आईजी राज कुमार लकड़ा ने बताया कि नीलाम्बर-पीताम्बर का गांव चेमो सान्या ऐतिहासिक है. इलाके में सुरक्षाबलों की मौजूदगी के बाद सुरक्षा बढ़ी है. आसपास के इलाके में गणतंत्र दिवस को लेकर खास तैयारी है और लोगों में उत्साह भी.

ये भी पढे़ं-Naxal Encounter in Jharkhand: बिसरांव जंगल में नक्सलियों ने लगाया था कैंप, सुरक्षाबलों ने किया ध्वस्त

गुरिल्ला वार में पारंगत थे नीलाम्बर पीताम्बर: नीलाम्बर और पीताम्बर गुरिल्ला वार में पारंगत थे. दोनों ने भगवान बिरसा मुंडा से पहले अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. कई इलाकों में 1857 की क्रांति कुछ ही महीनों में कमजोर हो गई थी, लेकिन पलामू का ही एक ऐसा इलाका था जहां 1859 क्रांति की लौ जलती रही. नीलांबर पीताम्बर के पिता चेमो सिंह खरवार ने चेमो और सान्या गांव को बसाया था और वे वहां के जागीरदार थे. पिता की मौत के बाद नीलांबर ने पीताम्बर को पाला था. 1857 के सैन्य विद्रोह के दौरान पीताम्बर रांची में थे, वहां से लौटने जे बाद अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की योजना तैयार की. उस दौरान दोनों भाइयों ने भोक्ता, खरवार, चेरो और आसपास के कुछ जागीरदारों के साथ मिल कर गुरिल्ला लड़ाई शुरू की. दोनों भाइयों के नेतृत्व में सैकड़ो लड़कों ने 27 नवम्बर 1857 को रजहरा स्टेशन पर हमला किया. यहां से अंग्रेज कोयला की ढुलाई करते थे.

24 दिनों तक कर्नल डाल्टन ने किया था कैंप:इसके बाद अंग्रेज बौखलाए और लेफ्टिनेंट ग्राहम के नेतृत्व में एक फौज पलामू पहुंची. अंग्रेज की सेना ने नीलांबर और पीतांबर के ठिकाने पलामू किला पर हमला किया. इस हमले में नीलांबर पीताम्बर के लड़ाकों का काफी नुकसान हुआ. इस दौरान नीलांबर पीताम्बर के सहयोगी शेख भिखारी और उमराव सिंह पकड़े गए थे. दोनों को फांसी दे दी गई. नीलाम्बर पीताम्बर की गुरिल्ला लड़ाई से परेशान अंग्रेजों ने कमिश्नर डाल्टन को बड़ी फौज के साथ पलामू भेजा था. डाल्टन के साथ मद्रास इन्फेंट्री के सैनिक, घुड़सवार और विशेष बंदूकधारी जवान शामिल थे.

28 मार्च 1859 को लेस्लीगंज में नीलाम्बर पीताम्बर को दी गई थी फांसीः फरवरी 1858 में डाल्टन चेमो सान्या पहुंचा और जमकर तबाही मचाई. डाल्टन लगातार 24 दिनों तक के चेमो सान्या में रहा था. डाल्टन की कार्रवाई के बाद नीलांबर पीताम्बर को काफी नुकसान हुआ. मंडल के इलाके में दोनों भाइयों ने अपने परिजनों से मुलाकात की योजना बनाई, इसकी भनक डाल्टन को लग गई थी. डाल्टन ने मंडल के इलाके से दोनों भाइयों को कब्जे में लिया. 28 मार्च 1859 को लेस्लीगंज में एक पेड़ पर दोनों भाइयों को फांसी दे दी गई.

मंडल डैम के डूब क्षेत्र में है नीलाम्बर पीताम्बर का गांव:नीलाम्बर पीताम्बर का गांव चेमो सान्या झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर दूर है. यह इलाका मंडल डैम परियोजना के तहत डूब क्षेत्र में मौजूद है. गांव जाने के लिए तीन नदियों को पार करना पड़ता है. एक भी नदी पर पुल नहीं है. डूब क्षेत्र होने के कारण इलाके में कोई भी विकास का कार्य नहीं हो पाता है. दोनों गांव में मिलाकर करीब 130 घर हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.