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Republic Day Special: संकरा हो रहा लाल कॉरिडोर, जनगण मन गा रहा लोकतंत्र राग

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Published : Jan 26, 2022, 6:59 AM IST

Updated : Jan 26, 2022, 8:56 AM IST

नक्सल प्रभावित राज्य झारखंड में लाल कॉरिडोर सिमटने लगा है. खूनी काले बादल छंटे हैं तो यहां लोकतंत्र की रोशनी पहुंची है. इस अरसे में झारखंड के नक्सल इलाकों को करीब से जानने वाले लोग यहां बदलाव को महसूस कर रहे हैं. जब देश आज गणतंत्र दिवस मना रहा है तो नक्सल इलाकों पर करीब से नजर रखने वाले विशेषज्ञों की जुबानी आइए जानते हैं क्या है यहां का हाल...

Republic Day Celebration In Jharkhand Naxal Areas What Thinks People about it in Lal Corridor Area In 2022
संकरा हो रहा लाल कॉरिडोर, जनगण का मन गा रहा लोकतंत्र का राग

पलामू: पलामू अविभाजित बिहार झारखंड में नक्सल आंदोलन का गढ़ रहा है. यहां के कई इलाकों में बुलेट की तड़तड़ाहट आम थी पर अब हालात बदल गए हैं और वो भी इतने कि जिले के कई इलाकों में लोग गणतंत्र का जश्न मना रहे हैं और लोगों में खौफ नहीं है. इनमें से कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां दशकों बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया. ऐसी जगहों पर अब यहां गणतंत्र के गीत गाए जा रहे हैं. ये एक दिन में नहीं हुआ. इसके लिए फोर्स के बहुत सारे जवानों ने कुर्बानी दी है. पलामू प्रमंडल के ऐसे इलाके जहां गणतंत्र की गाथा पहुंचने में भले ही दशकों लग गए. लेकिन जब रोशनी की किरण पहुंची तो जनगण का मन लोकतंत्र के राग पर हर्षित है. चूंकि आज भी नक्सल प्रभावित इलाकों में शाम के बाद आनाजाने में सोचना पड़ता है. इसलिए जब 26 जनवरी को पूरा देश गणतंत्र दिवस मना रहा है तो विशेषज्ञों की जुबानी जानते हैं क्या है लाल कॉरिडोर का हाल.


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पूर्व डीजीपी सह पलामू सांसद ने कहा नक्सली हुए कमजोरः झारखंड के पूर्व डीजीपी सह पलामू सांसद विष्णु दयाल राम पलामू प्रमंडल को काफी नजदीक से जानते हैं. सांसद विष्णु दयाल राम का कहना है कि यहां नक्सल कमजोर हुए हैं, विकास योजनाएं गांवों तक पहुंची हैं और इलाके में तेजी से विकास कार्य भी हो रहे हैं. सांसद बताते हैं कि रघुवर दास के कार्यकाल के दौरान नक्सलियों खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई थी जिसके बाद नक्सली एकजुट नहीं हो पाए. उनका कहना है कि नक्सल कमजोर हुए हैं लेकिन खत्म नहीं हुए हैं.

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झारखंड गठन के बाद बदलावः झारखंड गठन के बाद पलामू के इलाके में नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं. 2012-13 तक नक्सली संगठन पलामू के इलाके में बेहद ही मजबूत थे, लेकिन पुलिस और सुरक्षाबलों के अभियान के कारण नक्सली संगठन आज अंतिम सांसे गिन रहे हैं. नक्सली संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पलामू पुलिस ने जिले में तीन दर्जन के करीब पुलिस पिकेट की स्थापना की है. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लाकड़ा बताते हैं कि नक्सल इलाकों में प्रशासनिक पहुंच बढ़ी है. लोगों को एक सुरक्षित माहौल भी मिला है, जिस कारण पलामू रेंज में नक्सल कमजोर हुए हैं चाहे वह बिहार सीमा पर हो, चाहे वह बूढ़ापहाड़ इलाका हो.

पलामू को कृषि और पर्यटन के हब के रूप में विकसित करने की हो रही पहलः प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी बताते हैं कि पलामू का जनजीवन काफी चुनौतीपूर्ण रहा है. लेकिन जहां चुनौती होती है वहां अवसर भी होता है. आने वाले वक्त में पलामू कृषि और पर्यटन का बड़ा केंद्र बनेगा. प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि इलाके में नक्सल समस्या कम हो गई है जिसका फायदा लोगों तक पहुंच रहा है अब इलाके में विकास हो रहा है.


कई इलाकों में कायम था नक्सलियों का साम्राज्यः पलामू प्रमंडल के कई इलाकों में नक्सलियों का सरकार के समानांतर एक साम्राज्य हुआ करता था. पलामू प्रमंडल के मनातू नौडीहा बाजार ,भंडरिया, गारू ,बरवाडीह,मनिका, पाकी, पिपराटांड़ रामगढ़ ,हेरहंज ,बालूमाथ समेत कई नक्सलियों का साम्राज्य था. कई ऐसे इलाके भी थे जहां 2018 तक कभी झंडोत्तोलन नहीं हुआ था, आज उस इलाके में शान से तिरंगा फहरा रहा है. लाखों की आबादी आज भारतीय संविधान पर विश्वास कर रहा है.

Last Updated : Jan 26, 2022, 8:56 AM IST
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