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झारखंड-बिहार सीमा पर आईआरबी की हुई तैनाती, क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति समझना बड़ी चुनौती

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 10, 2023, 12:30 PM IST

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IRB Deployed On Jharkhand Bihar Border

आईआरबी की टीम ने पलामू से सटे झारखंड-बिहार बॉर्डर पर स्थापित पिकेट का चार्ज सीआरपीएफ से ले लिया है. अब इलाके में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व आईआरबी करेगी. हालांकि आईआरबी के लिए क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को समझना बड़ी चुनौती होगी.IRB deployed on Jharkhand Bihar border.

पलामू: झारखंड-बिहार सीमावर्ती क्षेत्र में इंडियन रिजर्व बटालियन (आईआरबी) की टीम ने नक्सल विरोधी अभियान की कमान संभाल ली है. इससे पहले सीआरपीएफ की 134 बटालियन बिहार से सटे हुए इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रही थी. सीआरपीएफ 134 बटालियन को झारखंड के सारंडा के इलाके में शिफ्ट किए जाने के आदेश के बाद आईआरबी को पलामू में बिहार से सटे हुए सीमा पर तैनात किया गया है. मिली जानकारी के अनुसार आईआरबी को पलामू के नौडीहा बाजार थाना क्षेत्र के कुहकुह और डगरा पिकेट, जबकि मनातू में तैनात किया गया है.

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आईआरबी ने लिया पिकेट का चार्जः आईआरबी ने पिकेट में सीआरपीएफ से चार्ज ले लिया है. सीआरपीएफ 134 बटालियन को शिफ्ट किए जाने के बाद सीआरपीएफ की 07वीं बटालियन को पलामू में कुछ दिनों के लिए शिफ्ट किया जाना था. सीआरपीएफ की 07वीं बटालियन की टीम पलामू पहुंच गई थी और उसे डगरा और कुहकुह में रखा गया था. आईआरबी द्वारा चार्ज लिए जाने के बाद 07वीं बटालियन को भी शिफ्ट किया जा रहा है. सुरक्षाबलों के सूत्रों के अनुसार सीआरपीएफ की 07वीं बटालियन को मध्यप्रदेश के बालाघाट के इलाके में तैनात किया जाना है.

क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को समझना आईआरबी के जवानों के लिए चुनौती: सीआरपीएफ की 134 बटालियन ने एक दशक से भी अधिक समय से झारखंड-बिहार सीमा पर नक्सल विरोधी अभियान का नेतृत्व कर रही थी. इस दौरान पूरे क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति से भी अवगत हो गई थी. यही वजह थी कि पिछले एक दशक में वे नक्सलियों के ट्रैप में नहीं फंसे थे. उनके जाने के बाद आईआरबी के लिए क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति समझना बड़ी चुनौती होगी.

इस संबंध में नक्सल मामलों के जानकार देवेंद्र गुप्ता बताते हैं कि गृह मंत्रालय की तरफ से सीआरपीएफ को हटाने का निर्देश जारी हुआ है, लेकिन वे यहां के लोगों की सुरक्षा की बात करते हैं. किसी भी इलाके में तैनाती के बाद जवानों को भौगोलिक और अन्य तरह की जानकारी इकट्ठा करने में समय लगता है. इस दौरान नक्सली या आपराधिक गिरोह खुद को मजबूत करने की कोशिश करते हैं.

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