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Palamu News: ईको डेवलपमेंट योजना से बदलेगी बूढ़ापहाड़ की तस्वीर, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

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Published : Apr 25, 2023, 4:48 PM IST

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Eco Development Scheme Will Start In Boodhapahar

बूढ़ापहाड़ और आसपास के इलाके के विकास के लिए ईको डेवलपमेंट योजना की शुरुआत की जाएगी. इसके तहत इलाके के कई गांवों को विस्थापित किया जा सकता है. हालांकि ईको सेंसेटिव जोन में विकास कार्य करने में कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना होगा, ताकि वन्य जीवों पर इसका प्रतिकूल असर नहीं पड़े.

पलामू: जिस इलाके में पहले देशभर के नक्सलियों को ट्रेनिंग दी जाती थी, अब उस इलाके की तस्वीर बदलने के लिए सरकारी तंत्र ने पूरी ताकत झोंक दी है. बूढ़ापहाड़ पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की निगरानी रख रही है. सरकार ने इलाके के विकास के लिए बूढ़ापहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, लेकिन यह इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है और इसके बाहरी हिस्से ईको सेंसेटिव जोन में शामिल हैं. अब पूरे इलाके में ईको डेवलपमेंट की योजना तैयार की गई है उसी के तहत विकास कार्य किए जाएंगे. गढ़वा, लातेहार और पलामू टाइगर रिजर्व आपस में समन्वय स्थापित कर विकास कार्य करेंगे.

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बूढ़ापहाड़ के कई इलाके ईको सेंसटिव जोन मेंः बताते चलें कि बूढ़ापहाड़ करीब 52 किलोमीटर में फैला हुआ है. इसकी सीमा झारखंड के लातेहार और गढ़वा, जबकि छत्तीसगढ़ के बलरामपुर से लगा है. बूढ़ापहाड़ का एक बड़ा हिस्सा पीटीआर के कोर और बफर एरिया के अंतर्गत आता है. इसके बाहरी हिस्से में एक से पांच किलोमीटर के दायरे को ईको सेंसेटिव जोन माना गया है. पीटीआर के इलाके में लंबे अरसे बाद इसी इलाके में बाघ देखा गया था, जबकि इस इलाके में तेन्दुआ, हाथी, चीतल आदि भी मौजूद हैं.पलामू टाइगर रिजर्व इलाके को लेकर पुलिस मुख्यालय और प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में है. पीटीआर ने इलाके के 12 गांव को विस्थापित करने की योजना तैयार की है. कई गांव के विस्थापित करने की सहमति भी मिल गई है.

क्या है ईको सेंसेटिव जोन और किन चीजों पर है प्रतिबंधः ईको सेंसिटिव जोन को लेकर 1986 में कानून बनाए गए थे. नेशनल पार्क, रिजर्व एरिया के एक से 10 किलोमीटर के दायरे को सेंसेटिव जोन घोषित किया गया था. सेंसेटिव जोन में माइनिंग, स्टोन माइनिंग, लकड़ी का कारोबार, पानी, हवा और मिट्टी को नुकसान पहुंचाने वाले कोई भी कार्य करने की अनुमति नहीं है. इसकी सीमा से सटे हुए पांच किलोमीटर के दायरे में कोई भी पक्का कंस्ट्रक्शन कार्य नहीं होगा. जाबकि होटल, एयर रिसोर्ट भी नही बनाए जांएगे. बाहरी हिस्से के लिए विभाग से अनुमति लेनी होगी. सड़कों का चौड़ीकरण के साथ-साथ किटनाशकों का छिड़काव नहीं होगा. जबकि सेंसेटिव जोन में कृषि संबंधित कार्य और कारोबार, वाटर कंजर्वेशन, जैविक खेती की अनुमति लेनी होगी. लाह की खेती के लिए भी अनुमति लेनी होगी.

बूढ़ापहाड़ में विकास कार्य पर्यावरण और ईको सिस्टम को ध्यान में रख कर किए जाएंगेः इस संबंध में पलामू जोने के आईजी राजकुमार लकड़ा ने कहा कि बूढ़ापहाड़ का तराई वाला हिस्सा पीटीआर के अंतर्गत आता है. इलाके के लिए बूढ़ापहाड़ डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की गई है. इलाके में विकास कार्य पर्यावरण और ईको सिस्टम को ध्यान में रख कर किया जाएगा.

कई कार्यों के लिए लेनी होगी अनुमतिः इस संबंध में पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष ने कहा कि पलामू टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा बूढ़ापहाड़ में है.सारे विकास कार्य इसी के ध्यान में रख कर किए जाएंगे.कई कार्यो के लिए अनुमति लेनी होगी.

बूढ़ापहाड़ का इलाका पीटीआर के लिए महत्वपूर्णः वहीं इस संबंध में पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेश जेना ने कहा कि इलाके के ईको सेंसेटिव जोन और पीटीआर के हालात के बारे में पुलिस मुख्यालय को अवगत करा दिया गया है. इसके अहमियत के बारे में भी बताया गया है. कई गांव विस्थापित करने की भी योजना है. विकास कार्यों में इसका भी ध्यान रखा जाना है. बूढ़ापहाड़ का इलाका पीटीआर के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस इलाके में बाघ समेत कई अन्य वन्य जीव मौजूद हैं.

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