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'करीबी' की घात से फिल्मी स्टाइल में मारा गया था डॉन, पढ़िए कुणाल हत्याकांड की कहानी

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Published : Oct 17, 2022, 10:21 PM IST

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कुणाल हत्याकांड की कहानी

अक्सर झारखंड गैंगवार से दहलता रहता है. दो साल पहले हुए डॉन कुणाल हत्याकांड की कहानी (Kunal Singh Murder Palamu ) भी इसी का एक उदाहरण है, जिसने तब पूरे झारखंड में सुर्खियां बटोरीं थीं. यह गैंगवार डॉन कुणाल और गैंगस्टर डब्ल्यू सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा था. जिसकी अंतिम चार्जशीट पुलिस ने दाखिल कर दी है. पढ़िए आदि से अंत तक की रिपोर्ट..

पलामूः झारखंड में कई बड़े गैंगवार हुए हैं. इसमें से एक बड़ी घटना है डॉन कुणाल सिंह की हत्या (Kunal Singh Murder Palamu ). इससे पहले डॉन कुणाल सिंह और गैंगस्टर डब्ल्यू सिंह के बीच वर्चस्व की लड़ाई में कई बार गैंगवार हो चुका था. दोनों के बीच हुए गैंगवार में छह से अधिक लोग पहले ही मारे जा चुके थे. 2011-12 से शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई में करीब एक दशक बाद 3 जून 2020 को डॉन कुणाल सिंह की हत्या कर दी गई, जिसकी कहानी पूरी फिल्मी है. इसका खुलासा पुलिस की अनुसंधान रिपोर्ट से हो रहा है.

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पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पुलिस ने डॉन कुणाल हत्याकांड मामले में मेदिनीनगर टाउन थाने में एफआईआर नंबर 158/ 20 दर्ज किया था, जिसका अनुसंधान कार्य आखिर 790 दिनों में पूरा हो सका. इस केस में करीब 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. इस हत्याकांड ने पूरे झारखंड में सुर्खियां बटोरी थीं. हत्याकांड अंजाम देने का आरोप कुख्यात डब्लू सिंह गिरोह पर लगा है.

15 दिन में चार बार हुई बैठक और तीन मिनट में वारदातः पुलिस ने कुणाल हत्याकांड की करीब 260 पेज की अनुसंधान रेपोर्ट तैयार की है, जिसमें प्लानिंग से लेकर हत्याकांड को अंजाम देने तक का जिक्र है. इसमें पुलिस ने बताया है कि कुख्यात डब्लू सिंह और कुणाल के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी. कुणाल सिंह, डब्ल्यू सिंह और उसके भाई की हत्या करना चाहता था. कुणाल सिंह के करीबी फंटूश ने इस बात की जानकारी डब्ल्यू सिंह को दे दी थी, जिसके बाद डब्ल्यू सिंह ने कुणाल सिंह के हत्या करवाने की योजना तैयार की. पुलिस की अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि 25 -26 अप्रैल 2020 को सभी आरोपियों ने मिलने का फैसला किया. सभी 27 अप्रैल को शांतिपुरी के मैदान में जमा हुए थे, उसी दिन हत्या का फैसला हुआ था, तय हुआ था कि किस तरह कुणाल सिंह की हत्या की जानी है. कुणाल की हत्या के लिए स्पेशल सफारी खरीदी गई थी, इसके लिए दो लाख रुपये उपलब्ध कराए गए.

पुलिस के अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि विजय शर्मा और अन्नू विश्वकर्मा ने कुणाल के बारे में मत्वपूर्ण जानकारी ली, जबकि घर के आस पास चंगु और फंटूश टोह ले रहे थे. हत्या से करीब 15 दिन पहले सभी आपस मे मिले और उसी दिन तय हुआ कब और कैसे घटना को अंजाम देना है. पुलिस के अनुसंधान में बताया गया है कि आरोपी अमरेश मेहता ने कुणाल की कार को सफारी से टक्कर मारी थी, जबकि अन्नू विश्वकर्मा और विजय शर्मा ने कुणाल सिंह को गोली मारी थी. इस पूरे हत्याकांड को तीन मिनट में अंजाम दिया गया था, कुणाल सिंह को तीन गोली मारी गई थी.


किन-किन के खिलाफ पुलिस ने दाखिल की अंतिम चार्जशीटः पुलिस ने इस मामले में गौतम कुमार सिंह उर्फ डब्ल्यू सिंह, अभिषेक कुमार सिंह उर्फ छोटा डब्ल्यू सिंह, विजय शर्मा, अमरेश मेहता, अन्नू विश्वकर्मा, स्वेतकेतु उर्फ चंगु, ऋषि उपाध्याय, फंटूश वर्मा, छोटू सिंह, गौरव सिंह, अमन सिंह, शक्ति सिंह, राकेश सिंह, राजू तिर्की, लव सिंह, कुश सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के बयान के आधार पर कई अन्य नामों पर अनुसंधान किया था, मगर उनका नाम हत्याकांड से जुड़ नहीं पाया. इस हत्याकांड में दोनों डब्ल्यू सिंह फरार हैं, जबकि श्वेतकेतु उर्फ चंगु की बिहार में हत्या हो चुकी है.


साजिश से लेकर वारदात को अंजाम देने तक 60 लाख रुपये हुए थे खर्चः डॉन कुणाल हत्याकांड को अंजाम देने में करीब 60 लाख रुपये खर्च हुए हैं. पुलिस अनुसंधान रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि कौन से शूटर को कितना पैसा दिया गया है और पूरी साजिश में किसने कितने पैसे खर्च किए हैं. पुलिस को इस हत्याकांड से जुड़े डब्ल्यू सिंह, अन्नू विश्वकर्मा, अमरेश मेहता और विजय शर्मा के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं, बाकी लोगों के खिलाफ पुलिस को अधिक साक्ष्य नहीं मिल पाया है.

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