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झारखंड बिहार सीमा पर नक्सल कमांडर्स ने बदली नीति, दिन में आदमी और रात में उठाते है हथियार!

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Published : Aug 20, 2023, 6:46 PM IST

Naxalite commander changed their strategy on Jharkhand Bihar border
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नक्सलियों के खिलाफ अभियान के कारण उनका झारखंड से सफाया हो रहा है. पहले बूढ़ापहाड़ और दूसरे इलाकों में नक्सली लगातार खदेड़े जा रहे हैं. इससे बचने के लिए झारखंड बिहार सीमा पर नक्सली कमांडर्स ने नीति बदली है. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानिए, आखिर क्या है वो नीति.

पलामूः झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी कमांडरों ने अपनी नीति में बदलाव किया है. दिन में माओवादी कमांडर आम ग्रामीणों की तरह सामान्य जीवन जी रहे हैं. लेकिन रात के अंधेरे में ये कमांडर एके 47 और इंसास जैसे हथियार लेकर चल रहे हैं.

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झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों की स्थिति बेहद कमजोर हो गई है, खुद के बचाव के लिए माओवादी कमांडरों ने यह नीति अपनाई है. झारखंड बिहार सीमा पर छकरबंधा से माओवादी अपने गतिविधि का संचालन करते थे. लेकिन जुलाई 2022 से छकरबंधा में सुरक्षा बलों का कब्जा हो गया है. सुरक्षा बलों की दबिश और इलाके में कब्जा होने के बाद एक दर्जन से अधिक टॉप माओवादी गिरफ्तार हुए हैं. जबकि कई नक्सली पकड़े गये और कई पुलिस की गोली का शिकार हो गये.

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार झारखंड बिहार सीमा पर आधा दर्जन से अधिक टॉप माओवादी बचे हुए हैं. बचे हुए माओवादी कमांडर खुद को बचाने के लिए नई नीति को अपना रहे हैं. वे सीमावर्ती इलाके में सामान्य ग्रामीण बन के रह रहे हैं जबकि लेवी वसूलने या रात के अंधेरे में हथियार उठा रहे हैं. कई किलोमीटर का सफर ये कमांडर अकेले तय कर रहे हैं.

कौन-कौन से टॉप माओवादी कमांडर ने बदली है नीतिः सुरक्षा एजेंसी और पुलिस के अनुसार झारखंड बिहार सीमा पर 10 लाख का इनामी नितेश यादव, संजय गोदराम, सितामराम रजवार, सुनील विवेक के नाम शामिल हैं. नितेश यादव के पास इजरायल का हथियार एम 16, संजय, सीतामराम रजवार और सुनील विवेक के पास एक 47 और एके 56 जैसे हथियार हैं.

ये माओवादी टॉप कमांडर झारखंड बिहार सीमा पर पलामू के पिपरा, नौडीहा बाजार, हरिहरगंज, छतरपुर और बिहार के औरंगाबाद गया के सीमावर्ती इलाके में सामान्य जीवन जी रहे हैं. ये नक्सली कैडर को भी बढ़ाने की फिराक में हैं. एक पूर्व माओवादी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि पहले भी कई मौकों पर भेष बदला जाता था लेकिन अब यह इनकी मजबूरी है. अब धीरे धीरे सब खत्म हो रहा है, बचे हुए कमांडर पैसों की लालच में ऐसा कर रहे हैं. क्योंकि वसूली गई लेवी अब सेंट्रल कमिटी को नहीं जाती.

इलाके में पुलिस का हाई अलर्टः माओवादी कमांडरों की नीति की जानकारी पुलिस को मिल गई है. पलामू जोन के आईजी राजकुमार लकड़ा बताते हैं कि पुलिस के वरोय अधिकारी और जवानों को इस संबंध में ब्रीफिंग की गई है. सभी अलर्ट हैं और चेकिंग के दौरान भी इसका ख्याल रखा जा रहा है. पुलिस के पास माओवादियों की फोटो भी है. झारखंड बिहार सीमा पर माओवादी कमजोर हो गए हैं, इलाके में बचे हुए कमांडरों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है.

झारखंड बिहार सीमा पर माओवादियों के टॉप कमांडर संदीप यादव की बीमारी से जून 2022 में मौत हो गई. उसके बाद इलाके में भगदड़ मचा और सुरक्षा बलों ने माओवादियों के पोलित ब्यूरो सदस्य समेत 27 को गिरफ्तार किया है. जबकि पलामू चतरा सीमा पर हुए मुठभेड़ में पांच कमांडर मारे गए हैं. मारे गए कमांडरों में सेंट्रल कमिटी सदस्य गौतम पासवान और अजित उर्फ चार्लीस के नाम शामिल है.

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