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Palamu News: माओवादियों को छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ के लिए नए कमांडर की तलाश, बाहर के नक्सलियों से कनेक्शन टूटा

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Published : May 5, 2023, 1:52 PM IST

CPI Maoists looking for new commanders for Chakarbandha and Budhapahar area
CPI Maoists looking for new commanders for Chakarbandha and Budhapahar area

नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को नए कमांडर चाहिए. उन्हें कमांडर छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ इलाके के लिए चाहिए. सुरक्षाबलों की दबिश की वजह से माओवादियों की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है.

पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ के इलाके में नए कमांडरों की तलाश कर रहे हैं. दोनों इलाकों में माओवादियो के पास कमांडर नहीं हैं. बचे हुए कमांडरों का छत्तीसगढ़, बंगाल और सारंडा के नक्सलियो से संपर्क टूट गया है. माओवादी नए कमांडर की तलाश के लिए एक जगह पर जमा होना चाहते हैं, लेकिन सुरक्षाबलों के अभियान के कारण वे जमा नहीं हो पा रहे हैं. माओवादियों की गतिविधि को लेकर सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान शुरू किया है, जबकि एजेंसीयों ने हाई अलर्ट जारी किया है.

ये भी पढ़ेंः 25 लाख के इनामी टॉप माओवादी मारकस को तलाश रही हैं सुरक्षा एजेंसियां, बूढ़ा पहाड़ इलाके में छिपे हीने की आशंका

छकरबंधा से माओवादी अपने नीतियों को लागू करते थे और लेवी को जमा करते थे, जबकि बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. अब दोनों जगहों पर माओवादियों के पास कोई कमांडर नहीं है. पिछले एक वर्ष के अंदर कई टॉप कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया है, कई पकड़े गए है. जबकि कई मारे गए हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार छकरबंधा के इलाके में माओवादी 15 लाख के इनामी मनोहर गंझू जबकि बूढ़ापहाड़ के इलाके में 15 लाख के इनामी छोटू खरवार या रबिन्द्र गंझू को बनाया जा सकता है.

माओवादियों के कमांडरों के साथ क्या हुआ ? कौन कौन हैं बचेः 2013-14 में माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ को यूनीफाइड कमांड बनाया था. बूढ़ापहाड़ माओवादियों के झारखंड-बिहार-उतरी छत्तीसगढ़ का मुख्यालय हुआ करता था. माओवादियों के इस यूनिफाइड कमांड का इंचार्ज माओवादियों के सेंट्रल कमिटी सदस्य देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद को बनाया गया था. 2015-16 के बाद सुरक्षाबलों ने बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के लिए योजना तैयार की थी. नतीजा आठ वर्षों में तीन दर्जन से अधिक टॉप कमांडरों ने आत्मसमर्पण किया, 15 से अधिक टॉप कमांडर मारे गए. जबकि 50 से अधिक गिरफ्तार हुए हैं. वहीं बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के इंचार्ज की बीमारी से मौत हुई है.

बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा में माओवादियों के 25 से 30 कमांडर ही बचे हैं. जबकि 2014-15 तक दोनों इलाके में माओवादियों के पास 3000 के करीब कमांडर और कैडर हुआ करते थे. बूढ़ापहाड़ के इलाके में फिलहाल मारकुस बाबा, रबिन्द्र गांझू, नीरज खरवार, छोटू खरवार, मृत्युंजय भुइयां का दस्ता सक्रिय है. वहीं छकरबंधा के इलाके में मनोहर गंझू, अरविंद मुखिया, नितेश यादव, संजय गोदराम, सीताराम रजवार, सुनील विवेक के नेतृत्व में दस्ता है.

किस कमांडर ने किया आत्मसमर्पण और कौन मारे गएः 2015-16 के बाद से बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के तीन दर्जन के करीब आत्मसमर्पण किया है, इनमें इनामी माओवादी सुधाकरण, सुधाकरण की पत्नी, आधा दर्जन टॉप माओवादी, बिरसाय, छोटा विकास, बड़ा विकास, नवीन यादव, विमल यादव, अमन गंझू, नकुल यादव, एनुल मियां बड़े नाम हैं जिनके कारण माओवादियों को बड़ा नुकसान हुआ है. इस दौरान पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में टॉप माओवादी गौतम पासवान, चार्लीस, शिवपूजन यादव, प्रसाद यादव, बीरेंद्र यादव, श्रवण यादव, राकेश भुइयां, अमर गंझू जैसे टॉप माओवादी मारे गए हैं. वहीं बीमारी से 2018 में बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक करोड़ के इनामी अरविंद की मौत हुई है, जबकि 2022 में छकरबंधा में संदीप यादव की मौत हो गई थी.

माओवादी बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा में क्यों चाहते है नया कमांडरः बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा माओवादियों का सबसे बड़ा बेस है. यहीं से माओवादी झारखंड और बिहार में अपनी गतिविधि का संचालन करते हैं. छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ पर सुरक्षाबलों का कब्जा होने के बाद इस इलाके के नक्सलियों के छत्तीसगढ़ तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा के नक्सलियों से कनेक्शन टूट गया है. मारकस बाबा उर्फ सौरव बूढ़ापहाड़ के इलाके का इंचार्ज है, लेकिन सुरक्षाबलों के कब्जा होने के बाद वह बीमार पड़ गया है और इलाके में अकेले कहीं छुप गया है. बूढ़ापहाड़ और छकरबंधा के इलाके से माओवादियों को झारखंड बिहार में सबसे अधिक लेवी मिलती है. माओवादी दोनों इलाकों से पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, चतरा के साथ साथ बिहार के गया, औरंगाबाद, रोहतास और सासाराम के इलाके से लेवी वसूलते थे.

अरिवंद और संदीप की मौत के बाद माओवादियों को नहीं मिला मजबूत कमांडरः बूढ़ापहाड़ के इलाके में एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद जबकि छकरबंधा में संदीप यादव के मौत के बाद माओवादियों को कोई मजबूत कमांडर नहीं मिला है. बूढापहाड पर 2018 में अरविंद की मौत के बाद माओवादियों ने तेलंगाना के नक्सली सुधाकरण को कमांडर बनाया था, लेकिन 2019-20 में सुधाकरण ने तेलंगाना में अपने साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था. फिर माओवादियों ने मिथिलेश मेहता उर्फ वनबिहारी को नया कमांडर बनाया था, लेकिन 2021-22 में वह बिहार मे गिरफ्तार हो गया था. संदीप यादव 2006-07 से छकरबंधा का इंचार्ज था. 2022 में उसकी बीमारी से मौत हो गई, उसकी मौत के बाद कुछ ही महीनों में छकरबंधा में सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया.

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