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अपने गांव के हंसते-खेलते बच्चों को भुला नहीं पा रहे ग्रामीण, तीन की मौत के बाद रो रहा पूरा गांव

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Published : Jun 11, 2020, 8:32 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 10:53 PM IST

पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड में वज्रपात की चपेट में आने से 3 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि दो बच्चे झुलस गए थे. घटना के दूसरे दिन गांव के हर चौखट पर चीख-चित्कार ऐसा था जैसे हर कोई ने अपनों को खो दिया है.

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बच्चों की मौत के बाद पूरे गांव में मातम

पाकुड़: ठनका की चपेट में आने से गांव के तीन बच्चे की हुई मौत ने महेशपुर प्रखंड के जुगीडीह गांव में मातम ला दिया है. घटना के दूसरे दिन गांव के हर चौखट पर अपनों के होने का न केवल गम दिखा, बल्कि चित्कार ऐसी मानो कि हर घर के लोगों ने अपनों को खो दिया हो.

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रो रहा पूरा गांव गांव के लोग हंसते खेलते अपने ही गांव के वैसे तीन बच्चे जिनकी जान वज्रपात ने ले ली थी को भुला नहीं पा रहे. मृतकों के परिजन ही नहीं बल्कि ग्रामीणों का इन बच्चों से लगाव और प्रेम ही एक कारण था. जिसने इन मृत बच्चों के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को इजाजत नहीं दी.
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रोता-बिलखता गांव

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सभी का पारंपरिक रीति-रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार

गुरुवार को जब ईटीवी भारत के संवाददाता गमगीन गांव जुगीडीह पहुंचे तो चारों तरफ मातम का माहौल था. हर घर की चौखट से चीख और चित्कार अपनों को खोने की सुनाई दे रही थी. आखिर ऐसा हो क्यों नहीं, क्योंकि रोज गांव के लोग इन बच्चों को खेलते कूदते देखा करते थे. जो आज आंख मूंदे सोए हुए थे. पुलिस के अधिकारियों ने मृतक के परिजनों को घंटों समझाया कि पोस्टमार्टम इनका करा लें, सरकार से 4 लाख रुपए मुआवजा मिलेगा. लेकिन परिजन तैयार नहीं हुए और पारंपरिक रीति-रिवाज से ठनका की चपेट में काल की गाल में समाए 4 वर्षीय बाबूधन सोरेन, 12 वर्षीय जीतराम हेंब्रम और 15 वर्षीय एलोसोन सोरेन का दाह संस्कार किया गया.

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नहीं रूक रहे ग्रामीणों के आंसू

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परिजनों ने प्रशासन को लिख कर दिया है कि वे मुआवजा नहीं चाहते
परिजनों ने प्रशासन को यह भी लिख कर दिया है कि वे मुआवजा नहीं चाहते हैं, इसलिए पोस्टमार्टम भी नहीं कराया जाए. इस मामले में अंचलाधिकारी महेशपुर रितेश कुमार जायसवाल ने बताया कि परिजनों ने मुआवजा नहीं लेने को लेकर लिखित दिया है, इसकी जानकारी वरीय पदाधिकारी को दे दी गई है.

Last Updated : Jun 11, 2020, 10:53 PM IST
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