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बरबट्टी के कारोबार से पहाड़िया महिलाएं हो रहीं स्वावलंबी, आत्मनिर्भर भारत का सपना कर रहीं साकार

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Published : Jan 27, 2021, 6:48 PM IST

Updated : Jan 27, 2021, 8:10 PM IST

जंगलों और पहाड़ों में रहने वाली आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाएं बरबट्टी का कारोबार कर प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहीं हैं. ग्रामीण विकास विभाग की उड़ान परियोजना ने घर में चौका बर्तन और वनोत्पाद का दोहन कर किसी तरह परिवार चलाने वाली इन पहाड़िया महिलाओं के हौसलों को उड़ान मिली है.

tribal pahadia women becoming self-independent due to barbatti business in pakur
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पाकुड़: झारखंड राज्य की अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जिले के अमरापाड़ा और लिट्टीपाड़ा प्रखंड के दुर्गम पहाड़ों और जंगलों में सालों से आदिम जनजाति पहाड़िया निवास करती है. इनका शैक्षणिक और आर्थिक स्तर काफी निम्न रहने के कारण जीवन स्तर में बदलाव नहीं हो पाया था. इनकी मुख्य पेशा बरबट्टी की खेती रहा है. सालों से ये बरबट्टी की खेती किया करते थे लेकिन पूंजी और बाजार के अभाव में उपजाए गई बरबट्टी को आसपास के हाट बाजारों में बेचते थे, लेकिन इन्हें बरबट्टी का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता था. औने-पौने दामों में बड़े-बड़े कारोबारी इनकी बरबटी खरीद लिया करते थे, क्योंकि शासन और प्रशासन के स्तर से इन्हें बाजार मुहैया नहीं कराया गया था.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

उड़ान परियोजना बनी वरदान
झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग ने उड़ान परियोजना के तहत खासकर पहाड़ों और जंगलों में रहने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाओं को आत्मनिर्भर और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बरबट्टी खेती को बढ़ावा देने का काम शुरू किया. जिले के लगभग तीन हजार पहाड़िया महिलाओं को पहले झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के जरिए ग्रुप से जोड़ा गया.

जेएसएलपीएस ने पहाड़िया महिलाओं को बरबट्टी की खेती का प्रशिक्षण दिया. प्रशिक्षण के बाद दो हजार पहाड़िया महिलाओं को चार-चार किलो बरबट्टी के बीज दिए गए. महिला किसानों ने बरबट्टी की फसल लगायी. आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाओं की मेहनत और सरकार के सहयोग ने पहाड़ों पर इस साल लगभग 200 क्विंटल बरबट्टी की उपज हुई. लिट्टीपाड़ा प्रखंड कार्यालय परिसर में ही गुतु गलांग ट्रस्ट को उपजायी गयी बरबट्टी आदिम जनजाति महिलाओं ने बेचा.

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गुतु गलांग में केंद्र में आज पहाड़ों पर पहाड़िया महिलाओं की उपजायी गयी बरबट्टी की पैकिंग हो रही है और इस कार्य में भी इन्हें उड़ान परियोजना के तहत मजदूरी भी मिल रही है. पहाड़िया महिलाओं के उपजायी गयी बरबट्टी जिले के हाट बाजारों के अलावा लगने वाले मेलों में भी लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में लगाए गए सरस मेला के स्टाल में भी आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाओं के उपजायी गयी 150 किलो बरबट्टी झारखंड सरकार ने भेजी है. आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाएं न केवल बरबट्टी उपजाने, बल्कि इसकी पैकिंग कर अर्थोंपार्जन कर रहीं हैं.

Last Updated : Jan 27, 2021, 8:10 PM IST
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