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पाकुड़ की सखियां खुरपी से बदल रहीं भाग्य का लेखा, बीड़ी बनाना छोड़ खेती से लिख रहीं तरक्की की इबारत

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Published : Feb 9, 2022, 7:49 PM IST

Updated : Feb 9, 2022, 9:59 PM IST

तरक्की की लालसा ने पाकुड़ की सखियों को ऐसी हिम्मत दी कि वे भाग्य का लेखा बदलने की ओर बढ़ रही हैं. उन्होंने बीड़ी बनाने को किस्मत का लेखा समझ हार नहीं मानी, बल्कि उससे निकलने और परिवार को तरक्की के रास्ते पर लाने की राह तलाशा. अब वे सब्जी की खेती से आमदनी बढ़ाकर तमाम लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रहीं हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी का मार्गदर्शन इसमें काम आ रहा है.

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पाकुड़ की सखियां खुरपी से बदल रहीं भाग्य का लेखा

पाकुड़: सही सोच और नीयत हो तो गांवों में तरक्की की एक से एक दास्तान लिखी जा सकती हैं. पाकुड़ की महिला सखियां इसकी प्रेरणास्रोत हैं, जो बीड़ी बनाने के खतरनाक काम को छोड़कर सब्जी की खेती से आमदनी बढ़ाकर तरक्की की नई इबारत लिख रहीं हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की मदद उनकी शक्ति बनी है और वे पहले काम के मुकाबले अधिक आमदनी भी कमा रहीं और अपनी सेहत को नुकसान होने से भी बचा रहीं है.

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दरअसल पाकुड़ में चास हाट परियोजना चलाई जा रही है. झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम एवं पाकुड़ डीसी वरुण रंजन की पहल पर इससे सखी मंडलों से जुड़ी महिलाओं को खेती-बाड़ी के जरिये सशक्त बनाया जा रहा है. महत्वाकांक्षी योजना चास हाट के जरिये जिले की 8 हजार महिला किसानों को बहुफसलीय खेती के लिए तैयार किया गया है. इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित कर, खेती संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने के बाद बाजार भी मुहैया कराया जा रहा है.

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इन फसलों की खेतीः इसके जरिये हर किसान से 50 डिसमिल जमीन पर खेती कराई जा रही है. इससे किसानों को सलाना एक लाख रुपये की आमदनी कराने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके जरिये गांव की महिलाएं आलू, प्याज, लहसुन, धनिया, गाजर की खेती कर रहीं हैं. योजना के तहत इन महिला किसानों से मिर्च, ब्रोकली, गोभी, सरसों की खेती कराई जा रही है. साथ ही प्रशासन का फोकस ऐसी खेती कराने का है जो साल में तीन से चार बार की जा सके, ताकि उनका आमदनी बढ़े.

बीड़ी बनाने वाली महिलाओं को खेती से जोड़ाः जेएसएलपीएस के बीपीएम फैज आलम ने बताया कि पहले ये महिलाएं बीड़ी बनाकर दो से तीन हजार रुपये कमाती थी. इस दौरान इनके बीमारियों के चंगुल में फंसने का भी खतरा रहता था. इससे जेएसएलपीएस की मदद से इन्हें प्रशिक्षित किया गया और सब्जी के लिए प्रोत्साहित किया गया. अब वे खेती कर अच्छी कमाई कर रहीं हैं, जिससे उनके परिवार का भरण पोषण अच्छा हो रहा है. उनके जीवनस्तर में भी सुधार हो रहा है.

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चास हाट परियोजना की प्रमुख बातें

योजना का फॉलोअपः महिला किसानों पारुल सरकार और मानवी सरकार ने बताया कि उनके खेतों की सब्जियों को गांव के अलावा आसपास के हाट बाजारों में भी बिक रहीं हैं. इसकी कीमत भी अच्छी मिल रही है. यदि सरकार उन्हें बाजार उपलब्ध करा दे तो आने वाले दिनों में और अधिक साग सब्जी उपजाकर आमदनी बढ़ा सकती हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी खेती बाड़ी कर रहीं इन महिला किसानों का फॉलोअप भी कर रहा है. योजना से जुड़ी महिला किसानों को खेती कराने के पहले प्रशिक्षण दिया गया और बीज भी मुहैया कराए.

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सब्जी की खेती से आमदनी
इधर झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि चास हाट योजना से जुड़ी महिला किसानों द्वारा उत्पादित सब्जियों को बेचने के लिए बाजार मुहैया कराने के साथ उन्हें रोजगार से जोड़ सकें, इस दिशा में काम चल रहा है.
Last Updated :Feb 9, 2022, 9:59 PM IST
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