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लातेहार के इस स्थान को कहते हैं शनि शिंगणापुर, जानिए क्यों

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Published : Jul 5, 2021, 8:34 PM IST

Updated : Jul 6, 2021, 10:30 AM IST

लातेहार, वैसे तो नक्सली गतिविधियों (Naxalite Activities) के लिए हमेशा से सुर्खियों में रहा है. आपराधिक घटनाएं (Criminal Activities) भी लातेहार को कुख्यात जरूर बनाता है. इन सबसे इतर अगर यहां कुछ प्रसिद्ध है तो जिला का जारम गांव, जिसे लातेहार का शनि शिंगणापुर (Latehar's Shingnapur) भी कहा जाता है. ईटीवी भारत (Etv Bharat) की रिपोर्ट से जानिए यहां ऐसा क्यों है.

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लातेहारः झारखंड में इस जिला की पहचान उग्रवादी गतिविधियों और आपराधिक घटनाओं के लिए होती है. लेकिन इन विषमताओं के बीच भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जो लातेहार को अलग पहचान दिलाती है.

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लातेहार में एक ऐसा स्थान है, जहां चोरी की घटनाएं नहीं होती है. इस स्थान पर स्थानीय लोग लावारिस हालत में अपनी बाइक (Bike) और अन्य वाहन छोड़कर बेफिक्र चले जाते हैं. इस स्थान को लातेहार का शिंगणापुर कहा जाए तो गलत नहीं होगा, क्योंकि यह स्थल शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) की तरह पवित्र और निष्पाप है. सुकरी नदी का तट पर बसे इस स्थान की चर्चा आज पूरे जिले में होती है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
लातेहार जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत पोचरा पंचायत का जारम गांव (Jaram Village) से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित सुकरी नदी के तट पर एक ऐसा स्थान है, जहां चोरी की घटना नहीं होती है. इस सुनसान स्थान पर ग्रामीण अपनी बाइक समेत अन्य वाहन ऐसे ही लावारिस हालत (Unclaimed Condition) में छोड़कर चले जाते हैं. दिन हो या रात हो एक दो नहीं 24-24 घंटे तक बाइक यहीं पर पड़ी रहती है. वाहन मालिकों को अपनी गाड़ियों की चिंता भी नहीं रहती है.

हैरान करने वाली बात ये है कि आज तक यहां खड़ी इन वाहनों में एक भी गाड़ी की चोरी नहीं हुई और ना ही किसी वाहन में खरोंच तक आई हो. लोग आते जाते जरूर हैं, पर कोई भी किसी बाइक को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है. इसको लेकर ग्रामीणों का मानना है कि इस स्थान पर कोई दैवीय शक्तियां (Divine Powers) वास करती हैं, जो लोगों के सामान की सुरक्षा करती है.

ग्रामीणों का यही है पार्किंग
सुकरी नदी के तट पर स्थित इस स्थान पर लगभग 12 गांव के लोग अपनी गाड़ियां इसी स्थान पर लगा देते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव तक जाने के लिए उन लोगों को सुकरी नदी पार करना पड़ता है. बरसात के दिनों में नदी में पानी भर जाने के कारण बाइक को नदी के उस पार ले जाना काफी मुश्किल हो जाता है.

ऐसे में यहां के ग्रामीण बरसात शुरू होने से पहले ही अपने-अपने वाहनों को नदी की दूसरी छोर पर लेकर आ जाते हैं. ग्रामीण अपने वाहनों को नदी के किनारे स्थित सुनसान स्थान पर लगाकर छोड़ देते हैं. इस स्थान पर हमेशा 10-15 मोटरसाइकिल और अन्य वाहन लावारिस हालत में खड़े देखे जा सकते हैं.

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दैवीय शक्तियां करती हैं रक्षा
ग्रामीणों का मानना है कि इस स्थान पर दैवीय शक्तियां वास करती हैं, जो उनके वाहनों की सुरक्षा करती है. ग्रामीण रोशन कुमार, महेंद्र प्रसाद, सुनील उरांव ने कहा कि वो लोग बेफिक्र होकर अपनी गाड़ियों को इस सुनसान स्थान पर छोड़ कर चले जाते हैं. लेकिन आज तक उनके वाहनों को कोई नुकसान नहीं हुआ.

अधिकारी भी करते हैं तारीफ
इस स्थान पर चोरी की घटना नहीं होने की बात की तारीफ स्थानीय अधिकारी भी खुले दिल से करते हैं. लातेहार एसडीएम शेखर कुमार (Latehar SDM Shekhar Kumar) ने कहा कि वाकई यह गांव मिसाल है, इस गांव से सीख लेनी चाहिए है. यहां के लोगों से अन्य लोगों को भी सीख लेनी चाहिए ताकि समाज से अपराध समाप्त हो सके. उन्होंने नदी पर पुल निर्माण के सवाल पर कहा कि इस बाबत वो वरीय अधिकारियों के समक्ष अपनी बात रख रहे हैं, आगे जो भी निर्देश होगा, काम किया जाएगा.

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शनि शिंगणापुर- विस्तृत जानकारी

शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) भारत के महाराष्ट्र के अहमदनगर जिला में स्थित एक गांव है. जो अपने शनि देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. शनि भगवान की स्वयंभू मूर्ति काले रंग की है. 5 फुट 9 इंच ऊंची और 1 फुट 6 इंच चौड़ी यह मूर्ति संगमरमर के एक चबूतरे पर धूप में ही विराजमान है. यहां शनिदेव आठों पहर की धूप, आंधी, तूफान या जाड़ा हो, सभी ऋतुओं में बिना छत्र धारण किए खड़े हैं. राजनेता और प्रभावशाली वर्ग ही नहीं, बल्कि स्थानीय और साधारण लोग भी यहां नियमित रूप से दर्शन के लिए प्रतिदिन आते हैं.

लगभग तीन हजार जनसंख्या के शनि शिंगणापुर गांव में किसी भी घर में दरवाजा नहीं है, कहीं भी कुंडी या कड़ी लगाकर ताला नहीं लगाया जाता. इतना ही नहीं, घर में लोग अलमारी, सूटकेस नहीं रखते, इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि ऐसा शनि भगवान की आज्ञा से किया जाता है. लोग घर की मूल्यवान वस्तुएं, गहने, कपड़े, रुपए-पैसे रखने के लिए थैली या डिब्बे या ताक का प्रयोग करते हैं. केवल पशुओं से रक्षा हो, इसलिए बांस का पर्दा जैसा ढंकना दरवाजे पर लगाया जाता है.

गांव छोटा है, पर लोग समृद्ध हैं. इसलिए अनेक लोगों के घर आधुनिक तकनीक से ईंट-पत्थर तथा सीमेंट का इस्तेमाल करके बनाए गए हैं, फिर भी दरवाजों में किवाड़ नहीं हैं. यहां दोमंजिला मकान भी नहीं है, यहां पर कभी चोरी नहीं हुई. यहां आने वाले भक्त अपने वाहनों में कभी ताला नहीं लगाते, कितना भी बड़ा मेला क्यों ना हो, आज तक कभी किसी वाहन की चोरी नहीं हुई है.

शनिवार के दिन आने वाली अमावस को और प्रत्येक शनिवार को ना सिर्फ महाराष्ट्र (Maharashtra) बल्कि देश के कोने-कोने से भक्त यहां आते हैं और शनि भगवान (Lord Shani) की पूजा करते हैं. हर दिन यहां सुबह 4 बजे और शाम 5 बजे आरती होती है. शनि जयंती पर जगह-जगह से प्रसिद्ध ब्राह्मणों को बुलाकर 'लघुरुद्राभिषेक' कराया जाता है. यह कार्यक्रम प्रातः 7 से शाम 6 बजे तक चलता है.

Last Updated :Jul 6, 2021, 10:30 AM IST
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