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कोडरमा का एक गांव जो बन गया टापू, आने जाने के लिए कॉलेज के गेट पर निर्भर

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Published : Apr 17, 2022, 5:45 PM IST

कोडरमा में सड़क के अभाव में ग्रामीण परेशान हैं. यह गांव कानूनगोबिग्हा है. इस गांव के लोग जगन्नाथ जैन कॉलेज के परिसर से आने-जाने को मजबूर हैं. अगर कॉलेज गेट बंद हो जाता हैं तो गांव में ही लोग कैद हो जाते हैं.

road in Koderma
कोडरमा का एक गांव

कोडरमा: गांवों के देश भारत में एक ऐसा भी गांव है, जहां आने-जाने के लिए कोई सड़क नहीं है. यह गांव कोडरमा का कानूनगोबिग्हा है. गांव के लोग जगन्नाथ जैन कॉलेज परिसर से आते-जाते हैं. अगर कॉलेज का गेट बंद हो जाता है तो गांव के लोगों का आना-जाना भी बंद हो जाता है. यह स्थिति उस गांव की तब है, जहां केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सह कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी का आवास करीब एक किलोमीटर की दूरी पर है. इसके बावजूद गांव के लोग सड़क के अभाव में दिन-रात परेशान होते हैं.

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रांची-पटना मुख्य सड़क से सटा कानूनगोबिग्हा गांव है. इस गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली कोई सड़क नहीं है. जबकि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत प्रत्येक गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने की योजना है. लेकिन प्रशासनिक अनदेखी की वजह से गांव को जोड़ने के लिए रास्ता नहीं बनाया जा सका है. हालांकि गांव में भीतर गलियों में पक्की सड़क बनी हुई है. लेकिन गांव से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है. आलम यह है कि जगन्नाथ जैन काॅलेज के पीछे बसे इस गांव के लोग काॅलेज के गेट पर निर्भर है. काॅलेज का गेट बंद होने पर लोग गांव में ही कैद हो जाते हैं.

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500 से अधिक आबादी वाले इस गांव में रहने वाले लोगों की मुश्किलें तब और बढ़ जाती हैं, जब कोई अचानक बीमार हो जाता है. बीमार व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंचता है. इस स्थिति में गांव के लोग बीमार व्यक्ति को खाट पर लादकर काॅलेज गेट तक पहुंचते हैं. इसके बाद एंबुलेंस की मदद से अस्पताल पहुंचाते हैं.



ग्रामीण गायत्री देवी कहती हैं कि जगन्नाथ जैन कॉलेज में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा चल रही है. परीक्षा के दौरान कॉजेल परिसर से आना-जाना बंद कर दिया जाता है. कॉलेज में परीक्षा चल रही होती है तो आवश्यक काम होने के बावजूद घर में ही रहते हैं. उन्होंने कहा कि सड़क की मांग सांसद, विधायक और जिला प्रशासन से की है. लेकिन कोई गांव की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहा है.

ग्रामीण गणेश दास कहते हैं कि प्रत्येक चुनाव में प्रत्याशी सड़क बनाने का आश्वासन देते हैं. लेकिन चुनाव जीतने के बाद आश्वासन भूल जाते हैं. उन्होंने कहा कि दर्जनों बार जिला प्रशासन को आवेदन दिया. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. उपायुक्त आदित्य रंजन ने कहा कि कॉलेज की बाउंड्री बनने के बाद रास्ता की समस्या बनी है. इसका विकल्प तलाश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राइट टू वे एक्ट के तहत शीघ्र रास्ता निर्माण कराया जाएगा और पीने के पानी की समस्या दूर की जाएगी.

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