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झारखंड भाषा विवाद पर विधायक नीरा यादव ने सरकार पर किया प्रहार, कहा- विवाद की ओट में भाजपा नेताओं को बनाया जा रहा निशाना

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Published : Feb 13, 2022, 8:57 PM IST

झारखंड में भाषा विवाद कम होने का नाम नहीं लिया है. इसके लिए पक्ष विपक्ष अपनी-अपनी मोर्चेबंदी और अधिक से अधिक राजनीति लाभ पाने की कवायद में जुटे हैं. एक तरफ कोडरमा विधायक नीरा यादव ने इसके लिए हेमंत सरकार पर तंज कसा है तो पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड का निर्माण जिन उद्देश्यों के लिए हुआ है वह पूरा नहीं हुआ.

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झारखंड भाषा विवाद पर राजनीति

कोडरमा/बगोदर: झारखंड में भाषा विवाद कम होता नहीं दिख रहा है. भाषा विवाद को लेकर एक बार फिर कोडरमा विधायक और राज्य की पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. नीरा यादव ने सरकार पर प्रहार किया है. कोडरमा विधायक नीरा यादव ने कहा कि जब से हेमंत सरकार आई है तब से अलग-अलग विवाद उत्पन्न हो रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि अब हिंदुस्तान में हिंदी बोलने पर भी मनाही हो जाएगी. उन्होंने कहा कि भाषा विवाद में भाजपा नेताओं पर हमले हो रहे हैं. उन्होंने हेमंत सरकार पर भाषा विवाद को तूल देने का भी आरोप लगाया. उधर पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने बीते दिन बगोदर में झारखंडी भाषा संघर्ष समिति की ओर से बगोदर बस स्टैंड परिसर में आयोजित आक्रोश रैली में शिरकत की. यह रैली भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा के खिलाफ एवं 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति और स्थानीयता लागू किए जाने की मांग को लेकर थी.

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विधायक नीरा यादव ने खाली पड़े 12 वें मंत्री पद पर तंज कसते हुए कहा कि सरकार में शामिल मंत्री सिर्फ लूट खसोट में लगे हुए हैं और इसलिए 2 साल बाद भी 12वें मंत्री का पद खाली रखा गया है. उन्होंने कहा कि जो विकास कार्य पिछले 5 साल में रघुवर सरकार के कार्यकाल में हो रहे थे, हेमंत सरकार ने उन पर भी रोक लगा दी है. हेमंत सरकार के शासनकाल में कामकाज के तरीके से झारखंड 20 साल पीछे चला गया है.

झारखंड भाषा विवाद पर विधायक नीरा यादव का बयान

इधर बगोदर (गिरिडीह) में झारखंडी भाषा संघर्ष समिति की ओर से बगोदर बस स्टैंड परिसर में आयोजित आक्रोश रैली सह सभा में बतौर मुख्य अतिथि झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के संयोजक टाइगर जयराम महतो ने कहा कि झारखंड की भाषा और संस्कृति को मिटने नहीं दिया जाएगा. भाषा और संस्कृति झारखंडियों की पहचान है मगर हेमंत सरकार ने झारखंड में भोजपुरी, अंगिका और मगही भाषा थोपकर झारखंड की भाषा और संस्कृति को मिटाने का प्रयास किया है.

वहीं आक्रोश रैली में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि झारखंड का निर्माण जिन उद्देश्यों के लिए हुआ है, वह 21 साल बाद भी अधूरा है. स्थानीय नीति लागू नहीं होने के कारण झारखंड में आज भी बाहरियों का एकाधिकार है.


पलामू में भाषा विवाद को लेकर युवा हो रहे एकजुटः पलामू में झारखंड सरकार की ओर से घोषित जिला और जेएसएससी की नियोजन नीति को लेकर युवा एकजुट होने लगे हैं. पलामू के इलाके में युवा जेएसएससी परीक्षा में हिंदी, भोजपुरी और मगही को हटाए जाने से नाराज हैं. कई अवसरों पर कई नेताओं और मंत्रियों के विवादित बयान के बाद पलामू में भी भाषा विवाद को लेकर राजनीति तेज हो गई है. शनिवार को पलामू में युवाओं का रैली आयोजित होना था लेकिन किसी कारण से इसे स्थगित कर दिया गया है पर युवा लगातार बैठक कर रहे हैं. सन्नी शुक्ला का कहना है कि भाषा के नाम पर युवाओं को दिग्भ्रमित करने का कोशिश की जा रही है. इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेता शामिल हैं. वहीं राजद के युवा नेता प्रकाश राम का कहना है कि भाषा के नाम पर बांटने की राजनीति हो रही है.

पूर्व विधायक ने कसा तंजः धनबाद में जिले में स्थानीय नियुक्तियों में भोजपुरी, मगही एवं अंगिका भाषा को शामिल किए जाने के बाद लगातार विरोध देखने को मिल रहा है. इसी कड़ी में झामुमो जिला उपाध्यक्ष निर्मल रजवार के साथ तीसरा थाना क्षेत्र में मारपीट की घटना हुई. वे अस्पताल में इलाजरत हैं. जिसे देखने के लिए बीते दिन पूर्व झामुमो विधायक अमित महतो और टुंडी से झामुमो विधायक मथुरा महतो अस्पताल पहुंचे. इस दौरान अमित महतो ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

पूर्व विधायक अमित ने कहा कि अगर सरकार जल्द से जल्द यह फैसला वापस नहीं लेती है तो सरकार को इसका खामियाजा भुगतना होगा. भाषा का अतिक्रमण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जिसके पास खतियान है वह झारखंडी है और उन्हें नियुक्तियों में प्राथमिकता मिलनी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो. उन्होंने धनबाद विधायक राज सिन्हा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब धनबाद पीएमसीएच का नाम बदलकर शहीद निर्मल महतो के नाम पर रखा जा रहा था तो यह इसका भी विरोध कर रहे थे.

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