फिर सुर्खियों में DSE: प्रताड़ना और सैलरी रोकने का आरोप, अल्पसंख्यक माध्यमिक स्कूलों का वेतन महीनों से लंबित

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Published : Jul 19, 2021, 9:28 PM IST

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खूंटी जिला शिक्षा विभाग (Khunti District Education Department) एक बार फिर सुर्खियों में है. रिश्वतखोरी के बाद डीएसई पर एक बार फिर से बड़ा आरोप लगा है. अल्पसंख्यक माध्यमिक स्कूलों का वेतन महीनों से लंबित है, जिसके लिए शिक्षकों ने डीएसई पर वेतन रोकने और प्रताड़ना का आरोप लगाया है.

खूंटीः जिला शिक्षा विभाग लगातार (Khunti District Education Department) सुर्खियों में रहता आया है. डीएसई (DSE) पर एक बार फिर से वेतन रोकना और शिक्षकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगा है. इस बार मामला अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों के 145 शिक्षकों का तीन माह से लंबित वेतन भुगतान को लेकर है.

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लंबित वेतन भुगतान मामले में जब संबंधित विद्यालयों के शिक्षक डीएसई के पास संघ के माध्यम से पहुंचे तो डीएसई सीधे शब्दों में कहते हैं आप लोगों का काम हो जाएगा. लेकिन शिक्षकों का कहना है कि संघ के माध्यम से शिक्षा विभाग कार्यालय पहुंचने पर डीएसई कहते हैं कि काम हो जाएगा, पर काम करते नहीं हैं, लगातार टालते रहते हैं.

शिक्षकों का डीएसई पर आरोप

डीएसई पर लगे गंभीर आरोप

जिला शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी डीडीसी अरूण कुमार (DDC Arun Kumar) ने कहा कि डीएसई पर लगे आरोप गंभीर हैं. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी और इस बार डीएसई के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होगी. उन्होंने ये भी कहा कि डीएसई की मंशा पर सवाल उठना वाकई शिक्षा विभाग के लिए बड़ा सवाल है.

अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों (Minority Secondary Schools) के शिक्षक अपनी सैलरी के लिए लगातार जिला शिक्षा विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. कई शिक्षकों ने आशंका जतायी है कि संघ के माध्यम से लंबित वेतन की मांग करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है. लेकिन अगर एक-एक शिक्षक अलग-अलग शिक्षा विभाग के चक्कर लगाएंगे तो रिश्वत देने से काम बनने के आसार हैं. शिक्षकों ने यह भी बताया कि बगैर चढ़ावा के शिक्षा विभाग में फाइलें धूल फांकती हैं और शिक्षकों को सिर्फ आश्वासन मिलता रहता है कि आप लोगों का काम हो जाएगा.

डीएसई वेतन भुगतान के लिए कर रहे टालमटोल

लगातार डीएसई की ओर से कहा जाता है कि आपका काम हो जाएगा, यह सुन-सुनकर खूंटी जिला के अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक थक गए हैं. ऐसे में अब शिक्षक क्या करें, यह उनकी समझ से परे है. अल्पसंख्यक शिक्षकों का आरोप है कि डीएसई की मंशा और रिश्वत देकर काम करना उनका पेशा बन गया है.

शिक्षकों का कहना है कि सैलरी के लिए पहले कहा गया कि कोविड सर्टिफिकेट के बाद वेतन देंगे, सर्टिफिकेट देने के बाद भी वेतन देने पर टालमटोल करने से डीएसई की मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है. इससे पहले भी लगभग 1000 शिक्षकों ने रिश्वतखोरी का आरोप लगाया था. डीएसई की रिश्वतखोरी को खबर प्रमुखता से इटीवी भारत ने प्रकाशित की थी, जिसके बाद जिला प्रशासन ने सभी 1000 शिक्षकों का वेतन भुगतान कराने का निर्देश दिया था.

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लेकिन लगभग एक वर्ष के भीतर फिर से अल्पसंख्यक शिक्षकों ने रिश्वतखोरी का आरोप लगा दिया है. इधर डीएसई ने कहा कि उनपर लगे सभी आरोप बेबुनियाद है, जबकि डीडीसी ने कहा कि इस बार जांच कर कार्रवाई होगी और शिक्षकों का लंबित वेतन का भुगतान भी होगा. मौजूदा आरोपों को लेकर डीएसई ने कैमरे के सामने कुछ नहीं कहा, पर उन्होंने इतना साफ किया है कि उनपर लगे आरोप निराधार हैं.

अब देखना दिलचस्प होगा कि खूंटी जिला के अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को अपने लंबित वेतन भुगतान के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे. एक तरफ शिक्षक भी डटे हैं कि इस बार शिक्षा विभाग में शिक्षक संघ के माध्यम से ही काम करवाना होगा. लेकिन लगातार हवा हवाई आश्वासन मिलने से खूंटी के डीएसई महेंद्र पांडेय पर सवाल उठना लाजिमी है.

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