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सड़क दुर्घटना में घायल महिला को 18 लाख का मुआवजा, खूंटी की अदालत ने बीमा कंपनी को दिया आदेश

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Published : Aug 21, 2021, 1:45 PM IST

खूंटी में पांच साल पहले भीषण सड़क दुर्घटना (Road Accident) हुआ था, जिसमें उर्मिला देवी गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं. घायल महिला ने इंश्योरेंस कंपनी से क्षतिपूर्ति की मांग की, लेकिन कंपनी ने क्षतिपूर्ति देने से इंकार कर दिया. अब खूंटी सिविल कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया है कि वह पीड़ित महिला को 18 लाख रुपये मुआवजा राशि भुगतान करे.

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सड़क दुर्घटना में घायल महिला को मिला 18 लाख का मुआवजा

खूंटीः पांच साल पहले सड़क दुर्घटना (Road Accident) में गंभीर रूप से घायल उर्मिला देवी ने इंश्योरेंस कंपनी से क्षतिपूर्ति क्लेम किया था, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने क्षतिपूर्ति देने से इंकार कर दिया. इसके बाद खूंटी व्यवहार न्यायालय (khunti civil court) में मामला दर्ज कराया गया. इस ममले में कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को 18 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी बजाज अलियांज को आदेश दिया है कि पीड़ित महिला को 18 लाख रुपये का भुगतान करे. यह राशि 60 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करने पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा. बता दें कि यह सड़क दुर्घटना 18 अगस्त 2016 को हुई थी, जिसमें जिले के हूटार में एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो उर्मिला देवी के घर में घुस गई थी.

जानकारी देते पीड़िता और वकील

बीमा कंपनी ने राशि देने से किया था इंकार

इस दुर्घटना में स्कॉर्पियो में सवार लोगों के साथ उर्मिला देवी भी गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं. इसके साथ ही उर्मिला देवी के घर की दीवार टूट गई थी और घर के मुर्गी और बकरी मर गई थी. उर्मिला गंभीर रूप से जख्मी हो गईं थीं, जिससे 2 साल तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा था. गंभीर रूप से जख्मी होने के बावजूद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई और 6.45 लाख मुआवजे की मांग की थी. यह मामला लोक अदालत में भी गया, जहां पीड़ित महिला ने पांच लाख रुपया की मांग की, बीमा कंपनी ने इस राशि को देने से इंकार कर दिया.

आर्थिक नुकसान का आकलन कर तय की गई राशि

लोक अदालत में मामला नहीं सुलझा तो केस सिविल कोर्ट पहुंचा. जिला जज प्रथम के न्यायालय में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला लगातर कोर्ट का चक्कर लगा रही थी. अर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से थक-हार चुकी थी, लेकिन जिला विधिक सेवा प्राधिकार की मदद से निःशुल्क केस लड़ा गया. पीड़ित महिला के वकील मदन मोहन राम ने बताया कि कोर्ट ने इलाज, दवाई, आर्थिक नुकसान का आकलन करते हुए 18 लाख की राशि बीमा कंपनी को देने का निर्देश दिया है.

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