ETV Bharat / state

जामताड़ा में दुर्गा पूजा को दशाय पर्व के रूप में मनाते हैं आदिवासी समाज के लोग, नृत्य कर गुरू से तंत्र मंत्र विद्या सीखते हैं शिष्य

author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 23, 2023, 7:01 PM IST

Dashay festival in Jamtara
Dashay festival in Jamtara

जामताड़ा में आदिवासी समुदाय दुर्गा पूजा को दशाय उत्सव के रूप में मनाते हैं और दशायी नृत्य करते हैं, वे इष्ट देवता की पूजा भी करते हैं और शिष्य गुरु से तंत्र-मंत्र विद्या सीखते हैं. वे अपनी वेशभूषा बदलकर पारंपरिक ढोल और मोर लेकर अपने गुरु की तलाश में दशाय नृत्य करने निकल पड़ते हैं. Dashay festival in Jamtara

दुर्गा पूजा को दशाय पर्व के रूप में मनाते हैं आदिवासी समाज के लोग

जामताड़ा: हिंदुओं का महान त्योहार दुर्गा पूजा 10 दिनों तक बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. आदिवासी समाज में भी दशहरा और दुर्गा पूजा का यह महान पर्व मनाने की परंपरा है. आदिवासी समुदाय दुर्गा पूजा को दशाय उत्सव के रूप में मनाते हैं. उनके इस त्यौहार को मनाने का सिलसिला रोहिणी नक्षत्र से ही शुरू हो जाता है. खासकर दुर्गा पूजा के बेलहरण के दिन आदिवासी समाज दशाय पर्व में सफेद मुर्गे की बलि देते हैं और उस दिन से 5 दिनों तक दशाय नृत्य कर झुमते गाते हैं.

यह भी पढ़ें: जामताड़ा में आजसू ने दशाय नृत्य प्रतियोगिता का किया आयोजन, विजेताओं को किया गया सम्मानित

आदिवासी समाज के लोगों का कहना है कि वे लोग दुर्गा पूजा को दशाय पर्व मानते हैं और प्राचीन काल से ही ऐसा मानते आ रहे हैं. बेलभरण के दिन सफेद मुर्गों की बलि दी जाती है और उसी दिन से दशाय नृत्य किया जाता है. आदिवासी समाज में दशाय पर्व मनाने का अनोखा तरीका है. इस दशाय पर्व में आदिवासी समाज में झाड़-फूंक और तंत्र विद्या सीखने की परंपरा है. आदिवासी लोग गुरु से तंत्र मंत्र विद्या सीखते हैं और शिष्य बन जाते हैं.

ऐसा कहा जाता है कि दशाय पर्व के दौरान आदिवासी समुदाय अपनी पारंपरिक वेशभूषा पहनकर और मोर पंख लगाकर दशाय नृत्य करते हैं. दशाय नृत्य गांव-गांव और समाज में घूम-घूम कर किया जाता है. दूसरी ओर, ऐसा कहा जाता है कि दशाय नृत्य में राजा भेष बदलकर दुर्गा की खोज में निकलता है और नृत्य करता है.

गुरु ह्दय दुर्गा की खोज में करते हैं नृत्य: दशाय पर्व प्रदर्शन नृत्य के संबंध में आदिवासी समुदाय के साहित्यकार और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित जामताड़ा के स्थानीय शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता सुशील हांसदा कहते हैं कि आदिवासी समुदाय दुर्गा पूजा को दशाय पर्व के रूप में मनाता है. इस पर्व में तंत्र-मंत्र विद्या सीखने की परंपरा है. जिसमें गुरु से तंत्र विद्या सिख शिष्य बनते हैं. बताया जाता है कि वे अपना भेष बदल कर ढोल नगाड़ों के साथ दशाय नृत्य करते हैं और अपने गुरु ह्दय दुर्गा की खोज में निकल पड़ते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.