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Jamtara News: उपायुक्त के नाक के नीचे सरकारी काम में हो रही धांधली, मजदूरों को नहीं मिल रही न्यूनतम मजदूरी

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Published : May 1, 2023, 10:21 AM IST

construction work in Jamtara
construction work in Jamtara

जामताड़ा के जिला समाहरणालय परिसर में करोड़ों की लागत से बन रहे भवन निर्माण कार्य में अनियमिता का मामला सामने आया है. नियमों की अनदेखी कर निर्माण कार्य हो रहा है. मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी से भी कम का भुगतान किया जा रहा है.

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जामताड़ा: जिले में करोड़ों की लागत से हो रहे भवन निर्माण कार्य में अनियमितता बरती जा रही है. कमाल की बात तो जिले के उपायुक्त और सभी वरीय पदाधिकारियों की नाक के नीचे ये काम हो रहा है. उपायुक्त और सभी वरीय पदाधिकारी जिस जिला समाहरणालय में बैठते हैं, उसी के परिसर में हो रहे भवन निर्माण कार्य धांधली हो रही है. ना प्राक्कलन के अनुसार काम किया जा रहा है, ना गुणवत्ता का ख्याल रखा जा रहा है और ना मजदूरों को सरकारी दर पर मिलने वाली मजदूरी का ही भुगतान किया जा रहा है.

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ढाई सौ से तीन सौ रुपए दी जाती है मजदूरों को मजदूरी: करोड़ों की लागत से बन रहे इस भवन निर्माण कार्य में मजदूरों को कितनी मजदूरी दी जाती है. इस बारे में जब काम कर रहे मजदूरों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि 250 से 300 रुपए काम के हिसाब से दैनिक मजदूरी दी जाती है. सरकारी दर पर कितना मजदूरी दिया जाना है, मजदूरों को ये पता नहीं है. जबकि सरकारी नियमानुसार बताया जाता है कि 350 से लेकर 400 रुपए दैनिक मजदूरी का भुगतान करना है, जिससे मजदूरों का हक मारा जा रहा है.

अभियंता को पता नहीं कितनी देनी है मजदूरी: आश्चर्य की बात यह है कि विभागीय अभियंता की गैर मौजूदगी में ढलाई का काम किया जाता है. संबंधित विभाग के अभियंता को यह भी पता नहीं कि सरकारी दर पर मजदूरों को कितनी मजदूरी का भुगतान करना है. जब संबंधित अभियंता से पूछा गया तो वह बताने में असमर्थ रहे कि कितनी मजदूरी भुगतान करना है और ढलाई का अनुपात क्या है.

स्थानीय समाजसेवी लोगों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर उठाए सवाल: जिला समाहरणालय परिसर में करीब एक करोड़ की लागत से जामताड़ा भवन निर्माण विभाग द्वारा भवन निर्माण कार्य कराया जा रहा है. किस चीज का भवन निर्माण कराया जा रहा है, कितनी राशि का निर्माण कराया जा रहा है, इसके बारे में ना कोई सरकारी बोर्ड लगाया गया है, ना कोई जानकारी ही सही दे पा रहा है. स्थानीय समाजसेवी लोगों ने करोड़ों की सरकारी राशि से बन रहे इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं. वे इसे जनता की राशि का दुरुपयोग बता रहे हैं. उन्होंने इस मामले में जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है.

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जब जिला प्रशासन की आंखों के सामने बन रहे सरकारी भवन निर्माण कार्य में घोर अनियमितता बरती जाती हो, मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाता हो, तो ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों और प्रखंडों में हो रहे सरकारी काम में कितनी इमानदारी और गुणवत्ता का ख्याल रखा जाता होगा और मजदूरों का कितना शोषण किया जाता होगा.

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