दूध की यात्रा! लंबी प्रक्रिया के बाद आपके घरों तक पहुंचता है दूध, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

author img

By

Published : Sep 23, 2021, 3:48 PM IST

process of milk from milkman to your house

सरकार दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है. इसके लिए सरकार कई योजनाएं भी चला रही है. गाय खरीदने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस कारोबार से जुड़ें और स्वावलंबी बन सकें. दूध खरीदारी से लेकर आपके घरों तक दूध पहुंचने की लंबी प्रक्रिया है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट

हजारीबाग: पिछले कुछ समय में दूध एक बड़ा कारोबार बनकर उभरा है. सरकार इस व्यवसाय को और गति देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. जिसमें सब्सिडी में दुधारू गाय भी उपलब्ध कराया जाता है. यही नहीं गाय के लिए शेड की भी व्यवस्था की जाती है. अब कई लोग इस व्यवसाय से जुड़ रहे हैं. झारखंड सरकार की मेघा दूध बहुत बड़े खरीददार के रूप में इन दिनों झारखंड में है. झारखंड राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादन महासंघ ऐसे किसानों को मदद भी करती है.

यह भी पढ़ें: धोनी के डेयरी में रोजाना 500 लीटर होता है दूध का उत्पादन, जानिए कितने में बेचते हैं एक लीटर दूध

मशीन से होती है दूध के शुद्धता की जांच

महासंघ हजारीबाग जिले में भी काम कर रहा है जहां 10 से 11 सेंटरों में दूध संग्रह किया जा रहा है. संग्रह करने के बाद उसे बीएमसी सेंटर दारू हरली लाया जाता है जहां दूध का शुद्धता की जांच की जाती है और फिर उसे बड़े कूलर मशीन में डाला जाता है. कूलर मशीन में डालने के पहले दूध की गुणवत्ता की जांच की जाती है. उसके बाद दूध को महीन कपड़े और अन्य सामग्री से छाना जाता है. दूध में हाथ नहीं लगाया जाता और मशीन के जरिए दूध छोटे कंटेनर से बड़े कंटेनर तक पहुंच जाता है. इसके बाद दूध ठंडा कर उसे रांची या फिर कोडरमा पैकेजिंग के लिए भेजा जाता है.

देखें रिपोर्ट

10 दिन के अंदर अकाउंट में आ जाता है पैसा

दूध देने वाले किसान भी कहते हैं कि पहले मोहल्ले में घूम-घूमकर दूध बेचना पड़ता था. लेकिन एक ही जगह अपना दूध दे देते हैं. 10 दिनों के बाद अकाउंट में पैसा मिल जाता है. जिस तरह दुध की पौष्टिकता होती है उसी आधार पर दूध का दाम मिलता है. यह सब ऑनलाइन होता है. इसलिए यहां कोई दिक्कत भी नहीं होता है.

पानी की भी जानकारी दे देती है मशीन

सेंटर में काम करने वाले कर्मी बताते हैं कि दूध जब एकत्र होकर केंद्र से हमारे पास पहुंचता है तो हम लोग उसका वजन करते हैं और दूध का सैंपल लिया जाता है. इसके बाद वाइब्रेटर मशीन में दूध डाला जाता है. उसके 5 से 10 सेकेंड के बाद दूध निकालकर मुख्य मशीन में डाला जाता है. दूध की पौष्टिकता समेत अन्य बातों की जानकारी मिल जाती है. अगर दूध पुराना है तो वह भी मालूम चल जाता है. अगर दूध में पानी मिलाया गया है तो उसकी भी जानकारी मशीन दे देती है. इसलिए किसान भी शुद्ध दूध लाकर ही देते हैं.

हर दिन करीब 1400 लीटर दूध एकत्र होता है और दूसरे दिन गाड़ी आती है और दूध ले जाती है. हजारीबाग जिले में हरली ही एकमात्र बल्क मिल्क कलेक्शन सेंटर है. 2017 से यह सेवा जारी है. वर्तमान समय में करीब 350 किसानों का दूध सेंटर तक पहुंचता है. इस प्रक्रिया के तहत दूध किसानों से बीएमसी पहुंचता है और इसके बाद रांची के लिए रवाना हो जाता है.

सेंटर के इंचार्ज का कहना है कि कोई अगर हमें दूध देना चाहता है कि अपने गांव में करीब 40 लीटर दूध की व्यवस्था कर ले. नया सेंटर बनाकर उसे देंगे जहां एक दूध मित्र की की भी बहाली की जाएगी. कंपनी के लोग आकर किसानों को इसके बारे में जानकारी देंगे.

17 जिलों से होती है दूध की खरीदारी

2013 में राज्य सरकार ने झारखंड राज्य सहकारी दूध महासंघ का गठन किया था. वर्तमान समय में 17 जिलों से दूध की खरीदारी होती है जिसमें रांची, रामगढ़, लोहरदगा, खूंटी, हजारीबाग, कोडरमा, देवघर, पलामू, गढ़वा, चतरा, लातेहार, बोकारो, गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, गिरिडीह, और गुमला शामिल हैं. 2020-21 में झारखंड दूध महासंघ ने औसत 1.06 लाख किलो हर दिन के हिसाब से दूध की खरीदारी की. औसत 1.05 लाख लीटर दूध की बिक्री हुई. दूध के अलावा मेघा डेयरी के दही, लस्सी, पेड़ा, पनीर, गुलाब जामुन, खीर मिक्स, फ्लेवर्ड मिल्क भी बाजार में उपलब्ध हैं. वर्तमान समय में लगभग 22 हजार से अधिक किसान मेघा दूध से जुड़े हुए हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.