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बनैली स्टेट का लोक सेवा केंद्र था 1942 के आंदोलनकारियों का केंद्र, यहां बनती थी भागलपुर प्रमंडल की रणनीति

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Published : Jan 26, 2020, 7:05 PM IST

बनैली स्टेट तब पूरे भागलपुर प्रमंडल का सबसे बड़ा जमींदार था, जिसने गोड्डा स्जिति भवन को लोक सेवा केंद्र बना दिया था, जहां से आंदोलन की रणनीति बनती और फिर आजादी के रणबांकुर निकल पड़ते अपने अपने मुहिम पर. उस वक्त बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे रमणी कांत जहां ने बताया कैसे वे भागे बच-बचा के नेपाल और छिपे के बड़े आंदोलनकारियों के साथ.

बनैली स्टेट का लोक सेवा केंद्र था 1942 के आंदोलनकारियों का केंद्र, यहां बनती थी भागलपुर प्रमंडल की रणनीति
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गोड्डा: देश की आजादी की लड़ाई में गोड्डा की धरती का अमूल्य योगदान रहा है. अब तक 101 स्वतंत्रता सेनानी का नाम सरकारी दस्तावेज में अंकित है, लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जिनके नाम भले ही सूची में न हो लेकिन उनका योगदान रहा है.

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1942 की लड़ाई में इस केंद्र का बड़ा योगदान

इन सबों के रणनीति का जो केंद्र होता था वह था बनैली स्टेट का तत्कालीन लोक सेवा केंद्र जिसकी देख भाल से हर खर्च की जिम्मेदारी स्टेट के राजा पंडित रामेश्वर बाबू उठाते थे. अब तक घोषित सभी स्वतंत्रता सेनानियों के केंद्र बनैली स्टेट ही होता था. इस भवन से ही आंदोलन की रणनीति तैयार होती थी. खासकर 1942 की लड़ाई में इस केंद्र का बड़ा योगदान रहा, जहां से बुद्धिनाथ झा कैरव, जगदीश मंडल, सगरमोहन पाठक, भागवत झा आजाद रामणिकांत जहां सरीखे कई लोग निकले इनमें से ज्यादातर लोग अब नहीं है.

वर्तमान में गोड्डा जिले में कुल 5 स्वतंत्रता सेनानी जीवित रह गए. इन्ही में से एक बड़ा नाम रमणी कांत झा जिनकी उम्र सौ वर्ष से ज्यादा हो गई है, लेकिन आज भी जब आजादी की बात होती है तो वह हर वाकये को याद करते हैं. वे कहते हैं कैसे 1942 की लड़ाई में इसी लोक सेवा केंद्र से भाग कर बैंक होते हुए नेपाल के जानकीपुर पहुंचे. झा बिहार से भागकर के नेपाल में छिप कर रहे थे. बाद में वे सरवोदय आंदोलन से भी जुड़े और विनोबा भावे के साथ काम किया. उनके पुत्र जगद्धात्री झा जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है वो अपने पिता के अनुभव शेयर करते हैं. उस पीढ़ी के कई बुजुर्ग भी हैं जिन्हें उस वक्त का वाक्या याद है और बताते हैं कैसे ये लड़के सरकार के विरोध में तोड़-फोड़ करते थे.

Intro:बनैली स्टेट तब पूरे भागलपुर प्रमंडल का सबसे बड़ा जमींदार था जिसने गोड्डा स्जिति भवन को लोक सेवा केंद्र बना दिया था,जहा से आंदोलन की रणनीति बनती और फिर आज़ादी के रणबाँकुरे निकल पड़ते अपने अपने मुहिम पर ।उस वक़्त बड़ी जिम्मेवारी निभा रहे रमणी कांत जहा ने बताया कैसे वे भागे बच बचा के नेपाल और छिपे के बड़े आंदोलनकारियों के साथ।Body:देश की आज़ादी की लड़ाई में गोड्डा की धरती का अमूल्य योगदान रहा है।जहाँ अब तक 101 स्वतंत्त्रता सेनानी का नाम सरकारी दस्तावेज में अंकित है।लेकिन कई ऐसे लोग भी जिनके नाम भले ही सूची में न हो लेकिन उनका योगदान रहा है।
लेकिन इन सबो के रणनीति का जो केंद्र होता था वह था बनैली स्टेट का तत्कालीन लोक सेवा केंद्र जिसकी देख भाल से हर खर्च की जिम्मेवारी स्टेट के राजा पंडित रामेश्वर बाबू उठाते थे।अब तक घोषित सभी स्वंतंत्रता सेनानियों के केंद्र बनैली स्टेट ही होता था।इस भवन से ही आंदोलन की रणनीति तैयार होती थी।खासकर 1942 की लड़ाई में इस केंद्र का बड़ा योगदान रहा।
जहा से बुद्धिनाथ झा कैरव,जगदीश मंडल,सगरमोहन पाठक,भागवत झा आज़ाद रामणिकांत जहा सरीखे कई लोग निकले इनमें से ज्यादातर लोग अब नही है।
वर्तमान में गोड्डा जिले में कुल 5 स्वतंत्रता सेनानी जीवित रह गए।इन्ही में से एक बड़ा नाम रमणी कांत झा जिनकी उम्र सौ वर्ष से ज्यादा हो गयी है।लेकिन जब आज़ादी को बात होती है तो आज भी उन्हें हर वाकया याद कहते है कैसे 1942 की लड़ाई में इसी लोक सेवा केंद्र से भाग कर बैंक होते हुए नेपाल के जानकीपुर पहुचे झा बिहार से भागकर के दिग्गज छिप कर रहे थे।बाद में वे सरवोडाय आंदोलन से भी जुड़े और बिनोबा भावे के साथ काम किया
उनके पुत्र जगद्धात्री झा जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है वो अपने पिता के अनुभव शेयर करते है
उस पीढ़ी के कई बुजुर्ग भी है जिन्हें उस वक़्त का लाई वाक्या याद है और बताते है कैसे ये लड़के सरकार के बिरोध में तोड़ फोड़ करते थे।
Bt-रमणी कांत झा-स्वतंत्रता सेनानी
Bt-जगद्धात्री झा-पुत्र,स्वतंत्रता सेनानी,कांग्रेस नेता
Bt-बुजुर्ग
Bt-बुजुर्गConclusion:Na

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