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अजब स्पीड है भाई! बुलेट ट्रेन के जमाने में बैलगाड़ी की चाल, 762 किमी दूरी तय करने में लगे 365 दिन

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Published : May 27, 2022, 9:08 AM IST

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गिरिडीह

छत्तीसगढ़ से गिरिडीह की दूरी 762 किलोमीटर की है. अगर आम ट्रेन से सफर करें तो 15 घंटे 25 मिनट यानी करीब आधा दिन का समय लगता है. पैदल की बात करें तो करीब 137 घंटे, अगर रूक-रूककर भी चलें तो 30 दिन ही लगेंगे. लेकिन हम आपको कहें कि रेलवे ने 762 किलोमीटर का यह सफर तय करने में एक साल का समय लगा दिया. चौंक गए, हम भी हैरान हैं कि आखिर रेलवे ने यह अनोखा कारनामे को किस गणित या किस रूट से अंजाम दिया है.

गिरिडीहः न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक दो नहीं बल्कि एक हजार बोरी चावल पड़ा हुआ है. ये अनाज अभी दस दिन पहले ही छत्तीसगढ़ से चलकर गिरिडीह पहुंचा है. आप सोचेंगे कि इसमें बड़ी बात क्या है लेकिन बात बड़ी भी है और हैरान करने वाली भी. क्योंकि छत्तीसगढ़ से गिरिडीह यानी 762 किलोमीटर का सफर तय करने में हमारे रेल तंत्र को एक साल का समय लग गया. सरकारी तंत्र की इस लापरवाही के कारण गरीबों को मिलने वाला अनाज सड़ गया है.

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2021 में ही लोड हुआ था चावलः इस मामले की जानकारी मिलने के बाद गुरुवार की रात को ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची. रेलवे के कर्मियों व स्टेशन मास्टर से बात की गई तो यह पता चला कि 2021 में ही चावल को वैगन में लोड किया गया था. लेकिन तकनीकी कारणों के कारण यह वैगन यहां नहीं पहुंच सका. यह भी पता चला कि वैगन में एक हजार बोरियां थी जिसमें 2-3 सौ बोरी के अनाज खराब थे.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

पुराना अनाज कैसे लें- संवेदकः इस मामले पर एफसीआई गोदाम के संवेदक संजय शर्मा से बात की गयी. उन्होंने बताया कि एक वैगन में जो चावल आया था वह एक डेढ़ साल पुराना है और खराब हो चुका है. ऐसे में इस अनाज को उन्होंने लिया ही नहीं. कहा कि संभावतः अनाज डेढ़ साल पहले ही डिस्पैच होने के लिए निकला होगा लेकिन किसी कारण समय पर पहुंच नहीं सका.

टीम करेगी जांच- स्टेशन मास्टरः इस मामले पर स्टेशन मास्टर पंकज कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 17 मई को लोहा के रैक के साथ एफसीआई के अनाज से भरा एक वैगन भी पहुंचा था. अनाज को खराब बताकर एफसीआई संवेदक ने नहीं लिया. इसके बाद से अनाज रैक प्वाइंट पर ही पड़ा हुआ है. कहा कि 31 मई को रेलवे के अधिकारी पहुंचेंगे और आगे की जांच की जाएगी.

case of Government food grain rot in Giridih
अनाज की जांच करते पदाधिकारी

ये अनाज एफसीआई (Food Corporation of India) का है, जो खुले आसमान के नीचे पड़ा है. बचाव के लिए इन बोरियों के ऊपर त्रिपाल डाल दिया गया है. इसके बावजूद बारिश का पानी इन बोरियों में घुस रहा है. अनाज को देखने से यह साफ पता चल रहा है कि चावल काफी पुराना है और काफी हद तक सड़ भी चुका है. इस मामले की जब पड़ताल की गई तो यह साफ हुआ कि मात्र एक वैगन अनाज छत्तीसगढ़ से 17 मई को न्यू गिरिडीह रेलवे स्टेशन आया था. अनाज को गिरिडीह के एफसीआई गोदाम में जाना था.

अनाज के पहुंचने के बाद एफसीआई के कर्मी, संवेदक, अनाज को जांच करने वाले पहुंचे वैगन को खोला गया तो देखा गया कि अनाज की कई बोरियां सड़ी हुई हैं. बाद में वैगन से सभी अनाज निकाल कर रैक प्वाइंट पर रखा गया. रैक प्वाइंट पर हजार बोरी अनाज रखने के बाद एफसीआई और गोदाम संवेदक ने अनाज को लेने से इनकार कर दिया. कहा गया कि अनाज एक वर्ष पुराना है और सड़ा हुआ भी. इसके बाद से अनाज खुले आसमान के नीचे है.

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रेलवे स्टेशन पर रखा अनाज

इस दौरान रेलवे कर्मियों ने बताया कि वैगन को खोलने के बाद एफसीआई के लोगों ने अनाज को चेक किया और कहा कि अनाज पुराना है जो खराब भी हो रहा है. इसके बाद यह कहा कि अनाज की सभी बोरियों को उतारा जाए उसके बाद ही लिया जाएगा. कर्मी बताते हैं कि जब सारी बोरियां उतार दी गई तो संवेदक और एफसीआई से जुड़े लोगों ने अनाज ले जाने से सीधा इनकार कर दिया.

दोषी पर हो कार्रवाई- शिवनाथः महेशलुंडी पंचायत के नवनिर्वाचित मुखिया शिवनाथ साव ने कहा कि अगर एक वर्ष पूर्व अनाज लोड किया गया तो उसे गोदाम तक क्यों नहीं पहुंचाया गया. इसकी जांच होनी चाहिए. साथ ही वैगन खोलने के बाद ही जब पता चल गया था कि चावल पुराना है और खराब हो चुका है तो एफसीआई के लोगों ने किस परिस्थिति में वैगन को खाली करवाकर सारा अनाज खुले आसमान के नीचे रखवाया इसकी भी जांच होनी चाहिए और कार्रवाई भी.

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