Giridih Mines Accident: असुरक्षित खदान से खनन करने का दे दिया गया पट्टा, असुरक्षा के माहौल में काम कर रहे थे मजदूर

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Published : May 22, 2023, 12:35 PM IST

Giridih Mine Accident

गिरिडीह में पत्थर का खनन सुरक्षा मानकों के विपरीत किया जा रहा है. यहां खनन पट्टा देने में भी लापरवाही बरती जा रही है. कम क्षेत्रफल में पट्टा दिया जा रहा है. धनवार के पत्थर खदान में हादसे के बाद पट्टा और खनन में लापरवाही सामने आयी है.

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गिरिडीह: जिले में बड़े पैमाने पर पत्थर का वैध व अवैध खनन होता है. इन खदानों में मानव जीवन का कोई मोल नहीं है. ज्यादातर में खदानों में नियमों को ताक पर रखकर संचालन किया जा रहा है. इसमें संबंधित विभाग की लापरवाही भी सामने आती रही है. असुरक्षित खदानों को पट्टा दे देना इसी बात का उदाहरण है. धनवार प्रखंड के पारोडीह स्थित पत्थर के खदान में हादसा होने के बाद पट्टा को लेकर सवाल उठाया जा रहा है. कोडरमा से आये डीजीएमएस के अधिकारियों ने खुद ही इस सवाल को खड़ा कर दिया है.

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डीजीएमएस के निदेशक एनपी देवरी ने बुधवार को हुए इस हादसे के बाद खदान का निरीक्षण किया और जो बात कही वह निश्चित तौर पर खनन पट्टा देने को लेकर ही सवाल खड़ा कर रहा है. निदेशक देवरी ने कहा कि यह असुरक्षित खदान है और यहां सभी नियमों को ताक पर रखकर खनन किया जा रहा था. जब निदेशक यह बात कहे तो निश्चित तौर पर पट्टा को लेकर सवाल उठना लाजमी है.

बेंचिंग होता तो शायद बच जाती जान: पारोडीह खदान में हादसे को रोका जा सकता था लेकिन इसके लिए खदान संचालक, पदाधिकारी व खदान का निरीक्षण करने का जिम्मा जिन सरकारी अधिकारी व बाबू को मिला था उन्हें अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन ईमानदारी से करना था परंतु ऐसा नहीं किया गया. जानकारों की माने तो ओपेन माइनिंग के दरमियान बेंच बनाना निहायत जरूरी है. खनन के बाद वाहन की ऊंचाई से अधिक तकरीबन 9 - 10 मीटर के बाद वाहन की चौड़ाई से तीन गुणा अधिक एवं पांच मीटर का बेंच बनाना जरूरी है. चूंकि यदि जब कभी उपर से चट्टान खिसके तो चट्टान इसी बेंच पर गिरे और जान माल की क्षति न हो लेकिन पारोडीह खदान में ऐसा नहीं किया गया था.

चारों तरफ लटक रहा था चट्टान: 17 मई के हादसे के बाद खदान की गहराई को देखते ही किसी को चक्कर आ जाए. एक तो खदान चार सौ फीट अधिक गहरा हो चुका था. उसपर चारों तरफ चट्टान लटक रहा था. यही कारण है कि डीजीएमएस के पदाधिकारी के साथ एसडीएम व एसडीपीओ ने कहा कि यहां तो जान से खिलवाड़ कर खनन किया जा रहा है. यहां पर पट्टा के एरिया को लेकर भी सवाल उठाया गया. अधिकारी कहते दिखे कि कम क्षेत्रफल में पट्टा मिलने के बाद माइंस संचालक बेंच बनाने की जगह ज्यादा से ज्यादा पत्थर निकालने की फिराक में रहता है और नियमों को ताक पर रख दिया जाता है. वैसे इस मामले में घटना के दूसरे दिन ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. पट्टा देने से लेकर असुरक्षित माहौल में खनन करने के पीछे के दोषियों पर भी कार्रवाई जरूरी है.

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