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सारंडा के सुदूरवर्ती क्षेत्र में नेटवर्क खस्ताहाल, बच्चे कैसे करें ऑनलाइन पढ़ाई

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Published : Aug 27, 2020, 6:29 AM IST

Updated : Aug 28, 2020, 9:49 PM IST

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बच्चे कैसे करें ऑनलाइन पढ़ाई

कोरोना महामारी के इस दौर में बच्चों को शिक्षा के लिए ऑनलाइन विकल्पों का चयन किया गया है. इसके साथ ही मोबाइल नेटवर्क हमारी दैनिक जरूरतों में जुड़ चुका है. हालांकि पश्चिम सिंहभूम जिले के कई ऐसे सुदूरवर्ती क्षेत्र हैं जहां आज भी संरचना के अपेक्षित विकास नही हो सका है. जिस कारण बच्चों के पठन पाठन और ग्रामीणों को भी कई समस्याओं से जूझ रहा है.

चाईबासा: जिले के मुख्य सड़कों के किनारे बसे सरांडा-पोड़ाहाट के दुरह नक्सल प्रभावित कई ग्रामीण इलाके ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की स्थिति खस्ता हाल है. ऐसी स्थिति में डिजिटल इंडिया का सपना कैसे पूरा होगा ये अपने आप में ही सवाल खड़ा करता है. क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिले की नेटवर्क स्थिति भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पहाड़ और जंगलों की सबसे बड़ी समस्या है.

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बिन नेटवर्क सब सून

कोरोना महामारी के कारण सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है. इतना ही नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी व्यापक असर प्रभाव पड़ा है. वैश्विक महामारी करना संक्रमण के रोकथाम को लेकर सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है. परंतु बच्चों के पढ़ाई बाधित ना हो इसे लेकर सरकार की ओर से वर्चुअल क्लासेस की शुरुआत की गई है. ऐसे में सारंडा एवं पोड़ाहाट क्षेत्र जहां आज तक नेटवर्क व्यवस्था नहीं पहुंच पाई है ऐसे बच्चों का भविष्य गर्त में जाता दिख रहा है.

इतना ही नहीं क्षेत्र में नेटवर्क नहीं रहने के कारण सरकार की स्वास्थ्य सेवा 108 एंबुलेंस व्यवस्था का लाभ भी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. समय पर स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पाने के कारण कई ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. ग्रामीणों की माने तो नेटवर्क व्यवस्था दुरुस्त रहे तो ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवा के साथ अन्य कई समस्याओं का भी निदान हो जाएगा. ग्रामीणों की जरूरतों के समय जिला प्रशासन तक मदद एवं समय-समय पर सरकारी जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी आदि भी उन्हें मिल सकेगी परंतु जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बावजूद भी अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क एक बड़ी समस्या बनी हुई है.

दयनीय है सारंडा की स्थिति

सरांडा के ग्रामीण बताते हैं कि सारंडा बीहड़ जंगलों के बीच बसा छोटानागरा में शिक्षा स्थिति काफी दयनीय हालत हो चुकी है. इस कोरोना काल में सभी स्कूल बंद है और क्षेत्र में नेटवर्क की स्थिति भी काफी खराब है. कई कंपनियों ने एक-दो मोबाइल टावर लगाए गए हैं लेकिन कोई कभी भी सही ढंग से नहीं चलता है. कोविड-19 का इस क्षेत्र में कोई असर नहीं है, शिक्षक स्कूल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाई करवा सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हो पाने से बच्चे बैल-बकरी चरा रहे हैं. जो बच्चे पढ़ाई के लिए शहरों में गए हुए थे वह भी अब गांव लौट चुके हैं और वह बेकार बैठे हुए हैं. क्षेत्र में नेटवर्क की स्थिति काफी दयनीय है, जिस कारण वह ऑनलाइन भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

सारंडा के बीहड़ ग्रामीण इलाकों में रहने वाले ग्रामीण मजदूरी कर अपना घर परिवार का भरण पोषण किया करते हैं. ऐसे में उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि वह स्मार्ट फोन खरीद सकें और अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे पाएं. सरांडा के ग्रामीण अपने बच्चों के भविष्य के को लेकर काफी चिंतित है ग्रामीण अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर ध्यान दे रहे थे लेकिन अब बच्चों के पढ़ाई काफी पीछे हो गई है.

108 को नहीं लगता कॉल

ग्रामीण बताते हैं कि क्षेत्र में नेटवर्क की स्थिति काफी खराब है कभी किसी की तबीयत खराब हो जाने के कारण सही समय पर फोन कर स्वास्थ्य विभाग से किसी भी प्रकार के मदद नहीं मिल पाती है. ऐसी स्थिति में कई ग्रामीणों की मौत भी हो चुकी है. अगर क्षेत्र में नेटवर्क की स्थिति सही रहे तो 108 एंबुलेंस या किसी स्वास्थ्य कर्मचारियों की मदद से बीमार लोगों की जान बचाई जा सकती है. नेटवर्क दुरुस्त करने को लेकर जिला प्रशासन को भी कई बार आवेदन दे चुके हैं उसके बावजूद भी अब तक नेटवर्क की स्थिति में सुधार नहीं हो सका है.

सरांडा के मानकी लगुड़ा देवगम बताते हैं कि बीमार लोगों के लिए किसी तरह नेटवर्क में जाकर फोन करने के बावजूद भी मनोहरपुर सीएचसी से 108 एंबुलेंस की सेवा नहीं मिल पाती है. क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या मलेरिया है इसके साथ ही अब कोरोना वायरस भी आ चुका है और ऐसी स्थिति में अगर स्वास्थ्य सेवा से किसी प्रकार की जानकारी या सूचना का भी अदन प्रदान करना हो तो वो भी नहीं हो सकेगी.

कॉल नहीं लगने से मर गया मवेशी

छोटानागरा के मुंडा बिनोद कुमार बारीक बताते हैं कि लॉकडाउन के कारण सारे स्कूल बंद है. इसके साथ ही ऑनलाइन पढ़ाई भी सरकार के द्वारा करवाई जा रही है. लेकिन क्षेत्र में लगे नेटवर्क सुचारू रूप से संचालित नहीं रह पाता है, जिस कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. इस क्षेत्र में अधिकतर लोग किसान हैं ऐसे में कोई भी ग्रामीण एंड्राइड मोबाइल कण से खरीद पाएंगे और अपने बच्चों को पढ़ा सकेंगे. कुछ दिन पहले ही एक गाय को सांप ने काट लिया था और उस दिन क्षेत्र में पूरी तरह से नेटवर्क ठप था, जिस कारण समय पर पशु चिकित्सक को फोन नहीं किया गया और गाय की मौत हो गई. ऐसी ही स्थिति हम इंसानों के साथ भी है.

जल्द बहाली होगी इंटरनेट सेवा

जिला उपायुक्त अरवा राजकमल ने भी नेटवर्क की स्थिति पर और भी काम करने की आवश्यकता की बात मानते हुए कहते हैं कि नेटवर्क को लेकर काफी सुधार किया जा रहा है, अभी और सुधार करने की आवश्यकता है. गुदड़ी जैसे क्षेत्र में भी बीएसएनएल नेटवर्क स्थापित किया गया है और 2जी काफी अच्छा चल रहा है. 3जी और इंटरनेट कनेक्शन देने के लिए काफी पूंजी संबंधित कंपनी को लगाना पड़ता है. विशेषकर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण लोगों की संख्या कम है और उनके उपभोक्ता भी काफी कम होने के कारण कंपनी अपने प्रॉफिट को ध्यान में रखते हुए उन क्षेत्रों में नेटवर्क टावर लगाने को तैयार नहीं है. बीएसएनएल के अधिकारियों से भी हमारी बातचीत हुई है इसके साथ ही जिओ कंपनी भी उन क्षेत्रों में अपने टावर लगाने को तैयार हुए हैं. ऐसे में हम लोग भी प्रयास करेंगे कि लोगों को 3जी और इंटरनेट सेवा से जोड़ा जाएगा. टेलीकॉम कंपनियों को अत्यधिक लाभ नहीं होने के कारण सरकारी मदद के साथ उन क्षेत्रों में नेटवर्क स्थापित करना और लोगों को इंटरनेट से जोड़ना काफी चैलेंजिंग है. लेकिन जल्द ही क्षेत्र को इंटरनेट से सेवा से जोड़ा जाएगा.

Last Updated :Aug 28, 2020, 9:49 PM IST
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