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जमीन की समस्याओं के लिए थानों का चक्कर लगा रहे फरियादी, अनसुनी कर दी जाती है पीड़ा

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Published : Mar 31, 2021, 4:55 PM IST

Updated : Mar 31, 2021, 8:17 PM IST

जमशेदपुर में जमीन विवाद से जुड़े लोग हर रोज थानों का चक्कर लगा रहे हैं. यहां कई ऐसे फरियादी हैं, जो हर रोज अपनी फरियाद लेकर पुलिस के चौखट का चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन इनकी पीड़ा अनसुनी रह जाती है.

Land dispute overlooks in police stations in Jamshedpur
जमीनी समस्याओं के लिए थानों का चक्कर लगा रहे हैं फरियादी

जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिले में ऐसे कई फरियादी हैं, जो हर रोज अपनी फरियाद लेकर पुलिस के चौखट पर पहुंचते हैं, लेकिन इनकी पीड़ा अनसुनी ही रह जाती है. दीवानी न्ययालय और पुलिस के बीच जमीन के कई ऐसे मामले हैं, जिनमें पीड़ित की ओर से दिए गए आवेदन रद्दी कागज की तरह फेंक दिए जाते हैं.

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अनसुनी हो जाती है फरियाद

पूर्वी सिंहभूम जिले के प्रखंडों तक कुल 3271 जमीन से संबंधित मामले अपनी राह देखने को मजबूर हैं. हर रोज सरकारी चौखटों पर अपनी फरियाद लेकर पहुंचे पीड़ितों की चीत्कार से उनकी पीड़ा का अंदाजा लगाया जा सकता है. जमशेदपुर के बिरसानगर थाना क्षेत्र में दो महिलाओं के बीच जमीन विवाद को लेकर मारपीट हुई थी, दोनों पक्षों की ओर से बिरसानगर थाने में एक दूसरे के खिलाफ शिकायत भी की गई है. मामला कुछ यूं है कि शिकायत के अनुरूप 75 वर्षीय प्रमिला लोहार और मंजू लोहार का कहना है कि हरलुंग बस्ती में जमीन का प्लॉट है. पिछले 4 वर्षों से उनका बुधनी लोहार के साथ विवाद चल रहा है. बुधनी लोहार के परिवार वाले उस जमीन पर अपना दावा करते हैं. जब पुलिस की चौखट पर गुहार लगाने के बाद भी न्याय नहीं मिला तो पीड़ितों ने दीवानी न्यायालय में आवेदन दिया. इस जमीन पर अब तक कोई भी फैसला नहीं हो सका है.

आशियाना बनाना मुश्किल

जमशेदपुर के मानगो से सटे कुमरुम बस्ती में जमीन पर आशियाना सालों से नहीं बन पाया है. जमीन वर्ष 2002 में खरीदी गई थी. खरीदारी करने वाले ने जमीन की रजिस्ट्री भी करा ली थी, लेकिन जमीन बिहार सरकार बनाम झारखंड सरकार के कारण भूमि के स्वमी भूमिविहीन हो गए. अब इस जमीन पर राज्य सरकार का कब्जा है, जिसके कारण यहां पर आशियाना बनाना दूभर हो गया है. वहीं, जमशेदपुर के बिरसा नगर थाना क्षेत्र के रहने वाले नाथून राय ने बिहार सरकार की जमीन वर्ष 2000 में खरीदी थी. जमीन की खरीदारी करने के बाद उन्होंने अपना आशियाना बना लिया जिस पर दूसरे व्यक्तियों ने कब्जा कर लिया. ऐसे कई मामलों में पीड़ित व्यक्तियों की ओर से पुलिस के पास न्याय की गुहार लगाई जाती है, लेकिन पुलिस इन मामलों में दखल नहीं देती है. इसके कारण पीड़ितों को दीवानी न्ययालय में जाना पड़ता है.

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भूमि विवाद में हुई हैं कई हत्या

ऐसा ही एक मामला जमशेदपुर के बालीगुमा का है, जहां पीड़ित के मुताबिक कुल 13 कट्ठा जमीन है. जमीन के असली हकदार लुखा संथाल थे और यह जमीन बस्ती के रहने वाले मदन शर्मा की ओर से बेची जा रही है. जमशेदपुर में भूमि विवाद को लेकर कई हत्या भी हो चुकी हैं. जमशेदपुर के आजाद नगर थाना क्षेत्र के नूर कॉलोनी में बीते 29 दिसंबर को दानिश की हत्या अज्ञात अपराधियों ने कर दी थी. दानिश की हत्या जमीन में संलिप्तता के कारण हुई थी. गोविंदपुर थाना क्षेत्र के जोजोबेडा की महिला अनीता देवी के साथ पड़ोसी अजय शंकर समेत अन्य ने मारपीट की, जिसमें महिला के हाथ में गंभीर चोट आई थी. मामला जमीन से जुड़ा है. मानगो थाना क्षेत्र के टाईगुट्टू इलाके में जमीन विवाद में 18 वर्षीय युवक की चाकू गोदकर हत्या कर दी गई. दरअसल, युवक उत्तम साव की जमीन की रंजिश उनके चाचा के साथ चल रही थी.

लोगों में जागरूकता की कमी

जमीन विवाद से संबंधित मामले पर शहर के सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट कहते हैं कि पुलिस जमीन से संबंधित मामलों पर सुरक्षा व्यवस्था देखती है. कानून से संबंधित मामलों पर पुलिस की नजर होती है. जमीन से संबंबधित मामले सिविल के होते हैं. जमशेदपुर में सिविल के मुद्दों को देख रहे शंभू मित्तल बताते हैं कि लोगों में जागरूकता की कमी है. अगर किसी भी जमीन का टाइटल सूट किसी के भी पास है और उस जमीन पर किसी भी व्यक्ति ने कब्जा कर लिया गया है तो वे जमीन को बलपूर्वक खाली करवा सकते हैं. इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी फैसला दे दिया है. आम तौर पर जमीन से सम्बंधित अधिकारों की लोगों के पास कमी है. किसी भी राज्य सरकार की जमीन और रेलवे की जमीन जैसे मुद्दों पर सरकार वहां रहने वाले लोगों के आश्रय के बारे में जानकर ही वहां पर जमीन खाली करवाती है.

Last Updated : Mar 31, 2021, 8:17 PM IST
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