झारखंड में आदिवासी समाज को जेएमएम से बचने की जरूरत, भाजपा कमजोर साबित हो रही हैः सालखन मुर्मू

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Published : Sep 24, 2022, 11:07 PM IST

Salkhan Murmu press conference in Jamshedpur

जमशेदपुर में आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने (Salkhan Murmu press conference in Jamshedpur). जेएमएम से बचने की जरूरत पर जोर दिया.

जमशेदपुरः शनिवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर जमकर निशाना साधा (Salkhan Murmu press conference in Jamshedpur). इस दौरान सालखन मुर्मू ने भाजपा को भी नसीहत दे डाली. सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज को जेएमएम और उनके सहयोगियों से बचने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि झारखंड में भाजपा कमजोर साबित हो रही है.

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पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने राज्य की जेएमएम सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बृहद झारखंड में आदिवासी अस्तित्व पहचान और हिस्सेदारी आज भयंकर संकट में खड़ा है. सरना धर्म को मान्यता नहीं मिलना, झारखंड में संथाली भाषा को प्रथम राज्य भाषा नहीं बनाया जाना इन सबके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा पूरी तरह से जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आज आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है जेएमएम आदिवासियों को गुमराह कर रही है.

Enter here.. सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू


वहीं, कुर्मी समाज द्वारा किए जा रहे आंदोलन पर कहा कि कुर्मी समाज या किसी अन्य समाज को एसटी में शामिल होने के लिए उन्हें यह दावा करना होगा कि 1950 के पहले वे एसटी में शामिल थे, अन्यथा राज्य में आदिवासियों की अपनी पहचान खत्म हो जाएगी.

सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया, आदिवासी समाज को गौरवान्वित हुआ. वहीं जेएमएम राज्य में आदिवासी समाज को गुमराह कर रही है. सालखन मुर्मू ने कहा कि आदिवासी सेंगेल अभियान आदिवासी अस्तित्व की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है और 30 सितंबर 2022 को कोलकाता के रानी राश्मोनी रोड एस्प्लेनेड में 5 प्रदेशों से कार्यकर्ता शामिल होंगे और विशाल जनसभा का आयोजन होगा. वहीं झारखंड में 2 अक्टूबर 2022 को बोकारो के बिरसा आश्रम हॉल में प्रैक्टिकल झारखंडी डोमिसाइल लागू हो सके, इस पर परिचर्चा कर आदिवासी विरोधियों और 1932 खतियान के नाम पर जनता को ठगने वालों को बेनकाब किया जाएगा.

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