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Jharkhand News: फूलो झानो मेडिकल कॉलेज दुमका में चिकित्सकों की घोर कमी, कई महत्वपूर्ण विभाग वर्षों से हैं खाली

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Published : Mar 27, 2023, 2:22 PM IST

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Shortage Of Doctors In PJMCH Dumka

दुमका का फूलो झानो मेडिकल कॉलेज इन दिनों चिकित्सकों की घोर कमी से जूझ रहा है. तय पदों के विरुद्ध मात्र 25 प्रतिशत शिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है. इस कारण मेडिकल कॉलेज में जहां पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है, वहीं मरीजों को भी काफी परेशानी हो रही है.

दुमकाः रघुवर दास के मुख्यमंत्रित्व काल में संथाल परगना प्रमंडल मुख्यालय दुमका में 2019 में मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई थी. पहले इसका नाम दुमका मेडिकल कॉलेज था. बाद में नाम परिवर्तित कर फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल कर दिया गया. अब नाम भले ही इस मेडिकल कॉलेज का बदल दिया गया हो, पर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया है. वर्तमान समय में यहां फैकल्टीज के कुल स्वीकृत पद के 25 प्रतिशत शिक्षकों से ही काम चलाया जा रहा है. प्रबंधन का कहना है कि शिक्षकों की कमी के चलते काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
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फैकल्टीज में स्वीकृत हैं 187 पद, पर 47 ही चलाया जा रहा कामः फूलो झानो मेडिकल कॉलेज की स्थापना 2019 में हुई थी. पहले बैच ने पढ़ाई शुरू भी कर दी, पर संसाधनों के अभाव की वजह से वर्ष 2020-21 सत्र के नामांकन पर रोक लगा दी गई थी. पुनः 2021-22 से लगातार नामांकन जारी है. वर्तमान में यहां मेडिकल के चार बैच के छात्र-छात्राएं यहां अध्ययनरत हैं. यहां से पढ़कर छात्र-छात्राएं बेहतर चिकित्सक बने इसके लिए आवश्यक हैं कि शिक्षकों की संख्या पर्याप्त हो, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी कि यहां फैकल्टीज के जितने स्वीकृत पद हैं उसके विरुद्ध महज 25 प्रतिशत से ही काम चलाया जा रहा है. आंकड़ों में कहे तो यहां कुल 187 फैकल्टीज के पद स्वीकृत हैं, इसके मुकाबले पदस्थापित फैकल्टी की संख्या सिर्फ 45 है. जाहिर है कि अगर जरूरत के सिर्फ 25% फैकल्टीज ही रहेंगे तो पठन-पाठन में काफी परेशानी होगी.

फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में स्वीकृत पदों की संख्या एक नजर मेंः आंकड़ों की बात करें तो फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर के 21 पद हैं, एसोसिएट प्रोफेसर के 28 पद , असिस्टेंट प्रोफेसर के 40 पद, सीनियर रेजिडेंट के 26 पद, जूनियर रेजिडेंट के 44 पद और ट्विटर के 26 पद हैं. जबकि पदस्थापित हैं मात्र 45 फैकल्टीज. जाहिर है इस कमी की वजह से मेडिकल कॉलेज के चार बैच के जो छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा नहीं दी जा सकती है. चर्म रोग और रेडियोलॉजी डिपार्टमेंट के तो एक भी फैकेल्टी मेडिकल कॉलेज में नहीं हैं.

क्या कहते हैं मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट और प्रिंसिपलः इस संबंध में मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट डॉ अनुकरण पूर्ति ने बताया कि शिक्षकों की कमी की वजह से पठन-पाठन में तो परेशानी हो रही है, साथ ही मरीजों को भी दिक्कत हो रही है. हम लोग सीमित मैन पावर में काम चला रहे हैं. इस कारण बेहतर क्वालिटी नहीं दे पा रहे हैं. रेडियोलॉजी और डर्मेटोलॉजी विभाग में तो कोई शिक्षक ही नहीं हैं. यहां दुमका के साथ-साथ अगल-बगल के जिलों के भी मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. वर्तमान में 25 से 30 हजार मरीज प्रतिमाह यहां आकर इलाज करा रहे हैं, पर चिकित्सक की कमी की वजह से काफी परेशानी हो रही है. इधर, कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. अरुण कुमार चौधरी ने बताया कि इस कमी की जानकारी सरकार के स्वास्थ्य विभाग और मुख्यालय स्तर को है. इस पर जो भी पहल की जाएगी, वह उन्हीं के स्तर पर की जाएगी.

दुमका सांसद सुनील सोरेन ने जताई चिंताः मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की कमी को लेकर दुमका सांसद सुनील सोरेन ने बताया कि इस मामले को हमने लोकसभा में भी उठाया था. मैं मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की कमी को दूर करने का प्रयास कर रहा हूं, ताकि पीजेएमसीएच में शिक्षण से लेकर अस्पताल में मरीजों का इलाज बेहतर ढंग से हो सके.

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