दुमका: बिहार पुलिस ने 22 फरवरी को दुमका से माओवादी संगठन के जोनल कमांडर सिद्धू कोड़ा को गिरफ्तार किया, जिसके बाद से कई सवाल उठने लगे हैं. आखिरकार सिद्दू कोड़ा ने दुमका में कहां अपना ठिकाना क्यों बना रखा था. वह यहां किस लिए आया था, वह किन लोगों के संपर्क में था और किन लोगों ने उनका सहयोग किया. इन सभी बातों की जानकारी दुमका पुलिस के लिए एक चुनौती बन गई है.
बिहार पुलिस ने जारी की थी प्रेस रिलीज
बिहार पुलिस ने 22 फरवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर सिद्धू कोड़ा उर्फ मुंशी को दुमका से गिरफ्तार किया. वो चकाई थाना के नेहालडीह गांव का रहने वाला था. बिहार पुलिस ने बताया कि सिद्धू की निशानदेही पर दो अन्य नक्सली इलियास हेम्ब्रम और सुशील हांसदा को भी गिरफ्तार किया है.
प्रेस रिलीज में इन दोनों की गिरफ्तारी दुमका में कहां से हुई इसका जिक्र नहीं है, साथ ही इस बात का भी उल्लेख है कि उसके पास से एक एके-47, एक इंसास राइफल, कई गोलियां भी बरामद की गई है, जो नक्सलियों ने पुलिस से लूटे थे. बिहार पुलिस ने जानकारी दी है कि दुमका में जो सिद्धू कोड़ा की गिरफ्तारी हुई. जो एसटीएफ पटना की विशेष टीम ने की है. बताया गया है कि सिद्धू कोड़ा को गिरफ्तार कर उसे ले जाया जा रहा था इस बीच उसकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे जमुई सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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दुमका के पुलिस कप्तान ने की पुष्टि
दुमका के एसपी वाई एस रमेश ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि बिहार पुलिस आई थी और हमने उनका सहयोग किया, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि दुमका में यह गिरफ्तारी कहां से हुई है.
आपको बता दें कि पिछले एक दशक से दुमका में भी नक्सलियों ने नक्सली गतिविधियां बढ़ी है. 2013 में पाकुड़ के पूर्व एसपी अमरजीत बलिहार नक्सली हिंसा के शिकार हुए थे. इसके अलावा भी नक्सलियों ने कई घटना को अंजाम दिया है. ऐसे में भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर सिद्धू कोड़ा का दुमका से गिरफ्तार होना कई अहम सवाल छोड़ गया है.