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सरकारी तामझाम के साथ एक वर्ष पहले शुरू हुआ बाली फुटवेयर ने तोड़ा दम, टूट गए ग्रामीणों के सपने

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Published : Feb 17, 2020, 9:10 PM IST

दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के बालीजोर गांव में जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बाली फुटवेयर के नाम से चप्पल निर्माण का काम शुरू कराया था. महज एक साल में ही बाली फुटवेयर का निर्माण बंद हो चुका है. इसकी मशीनें अब टूटने फूटने लगी है. इसके बंद हो जाने से ग्रामीण काफी दुखी हैं और इसे शुरू करवाने के लिए बात रहे हैं. वहीं उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि वह इसके बंद होने के कारणों की समीक्षा करेंगी और इसे फिर से चालू कराया जाएगा.

सरकारी तामझाम के साथ एक वर्ष पहले शुरू हुआ बाली फुटवेयर ने तोड़ा दम,  टूट गए ग्रामीणों के सपने
बाली फुटवेयर

दुमकाः सरकारी जनकल्याण के लिए कोई योजना शुरू तो करती है लेकिन इसका सही लाभ जरूरतमंदों को मिल पा रहा है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग सही ढंग से नहीं करती. नतीजा यह होता है कि उपयोगी योजना भी दम तोड़ देती है. कुछ ऐसा ही हुआ दुमका के बालीजोर गांव में बाली फुटवेयर का.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
क्या है पूरा मामला

दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड के बालीजोर गांव में जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए बाली फुटवेयर के नाम से चप्पल निर्माण का काम शुरू कराया था. काफी तामझाम से यह चालू हुआ, लेकिन इस उपयोगी योजना की उचित मॉनिटरिंग नहीं हुई. नतीजा यह हुआ कि 1 साल में ही बाली फुटवेयर का निर्माण बंद हो चुका है. इसकी मशीनें अब टूटने फूटने लगी है. गांव वालों ने बेहतर कल के जो सपने देखे थे वह चकनाचूर हो गए जिससे वे काफी दुखी हैं.

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फुटवेयर मेन्यूफैक्चरिंग का ट्रेनिंग सेंटर बनकर तैयार

बालीजोर गांव में चप्पल व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए उस वक्त प्रशासन ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी. लाखों की लागत से फुटवेयर मेन्युफैक्चरिंग का एक प्रशिक्षण केंद्र भी बनाकर तैयार किया गया था, जो बंद पड़ा हुआ है. वहीं जहां पर ग्रामीण चप्पल का निर्माण करेंगे, उसके लिए एक फैक्ट्री भी बनना शुरू हुआ लेकिन फैक्ट्री का निर्माण कर पूरा होने के बाद इसका क्या इस्तेमाल होगा यह कहना मुश्किल है.

क्या कहते हैं ग्रामीण

ईटीवी भारत की टीम बालीजोर गांव पहुंची. गांव में एक घर में चप्पल बनाने के मशीनें पड़ी थी जो अब जर्जर हो चुकी है. ग्रामीणों ने बताया कि काम बंद हो चुका है. इसके लिए उन्होंने कई कारण गिनाए. ग्राम प्रधान मानेश्वर हेंब्रम ने बताया कि जिला प्रशासन यहां आना बिल्कुल छोड़ दिया है, जिससे उत्साह स्वभाविक तौर पर कम गया. वहीं कुछ ग्रामीणों ने बताया कि माल तो बन जाता था पर उसे बिकने में और बिक्री के बाद पैसे आने में काफी समय लगा जिससे ग्रामीणों ने इसमें रुचि लेना कम कर दिया. ग्रामीणों का कहना है कि उनलोगों को उम्मीद थी कि चप्पल बनाने का यह काम काफी बेहतर साबित होगी. उनकी तरक्की होगी पर इसे बंद हो जाने से वे काफी दुखी हैं. सभी ग्रामीण इस बात पर एकमत हैं कि इसे फिर से चालू होना चाहिए.

क्या कहती हैं उपायुक्त

बालीजोर में चप्पल निर्माण का कार्य ग्रामीणों को शुरू तो कराया गया लेकिन यह बंद हो गया. इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने भी माना कि बाली फुटवेयर एक ब्रांड बन चुका था, लोग इसे जानने लगे थे लेकिन अब यह बंद हो चुका है. उनका कहना है कि वह इसके बंद होने के कारणों की समीक्षा करेगी और इसे फिर से चालू कराया जाएगा.

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