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सावधान! ना कोई फोन कॉल, ना कोई OTP, फिर भी 147 खातों से हो गई अवैध निकासी

साइबर क्रिमिनल फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग (Cloning finger print) कर बैंक अकाउंट में सेंध लगा रहे है. धनबाद में 147 खातों से लाखों की अवैध निकासी हुई है. अवैध निकासी के इन मामलों में साइबर क्रिमिनल्स के साथ ग्राहक सेवा केंद्रों (Customer care center) की मिलीभगत हो सकती है.

Cyber crime in Dhanbad
Cyber crime in Dhanbad
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Published : Dec 15, 2022, 10:17 PM IST

धनबाद: साइबर क्रिमिनल्स अब बैंक अकाउंट्स में सेंधमारी के लिए अकाउंट धारकों के फिंगर प्रिंट की भी क्लोनिंग करने लगे हैं. झारखंड के धनबाद जिले में 100 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं. जिले के अलग-अलग बैंकों में कुल 147 खातों से अवैध तरीके से रकम की निकासी की गई है. इनकी शिकायतें बैंकों के अलावा साइबर पुलिस के पास पहुंची हैं. जिन लोगों के खातों से निकासी हुई है, उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्होंने बैंकिंग सेवाओं के लिए बैंकों की शाखाओं के बजाय इनके ग्राहक सेवा केंद्रों या फ्रेंचाइजी सेंटरों की सेवा ली थी और वहां मशीनों पर अपने फिंगर प्रिंट (Cloning finger print) दिए थे. ऐसे में आशंका यह भी है कि अवैध निकासी के इन मामलों में साइबर क्रिमिनल्स के साथ ग्राहक सेवा केंद्रों (Customer care center) की मिलीभगत हो सकती है.

ये भी पढ़ें- साइबर अपराधियों ने हजारीबाग जिला आपूर्ति पदाधिकारी का लॉगिग किया हैक, बनाया सैकड़ों फर्जी राशन कार्ड

साइबर पुलिस और बैंकों में शिकायत करने वाले लोगों का कहना है कि उनके पास न तो किसी का फोन आया, न उन्होंने किसी को एटीएम का पिन और ओटीपी शेयर किया, न कभी किसी लिंक को क्लिक किया, लेकिन उनके खाते से हजारों रुपए की निकासी हो गई. बताया जा रहा है कि ज्यादातर लोगों के खाते से दो-तीन बार में सात से लेकर 24 हजार रुपए तक की गलत निकासी की गई है. जिनके खातों में सेंधमारी हुई है, उनमें कारोबारी, डॉक्टर, महिलाएं भी शामिल हैं।

साइबर सेल के डीएसपी सुमित सौरभ लकड़ा की मानें तो यह साइबर क्राइम के बजाय लोगों की आईडेंटिटी की चोरी का मामला है. आम तौर पर लोग नया सिम लेने, आधार अपडेट कराने, बायोमिट्रिक अटेंडेंस और ग्राहक सेवा केंद्रों के जरिए पैसे की निकासी के लिए फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल करते हैं. जिस मशीन में लोग फिंगर प्रिंट देते हैं, उसमें क्रिमिनल्स पहले से खास तरह का केमिकल लगा देते हैं. लोगों के जाने के बाद केमिकल पर अंकित फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग (Cloning finger print) कर लेते हैं. साइबर एक्सपर्ट्स कहना है कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए जरूरी है कि आप किसी मशीन पर फिंगर प्रिंट देने के बाद उस जगह को रूई या कपड़े से सफाई करवा लें ताकि आपके जाने के बाद उसकी क्लोनिंग नहीं की जा सके.

बता दें कि झारखंड में इसके पहले एटीएम क्लोनिंग के भी सैकड़ों मामले आ चुके हैं. साइबर क्रिमिनल्स एटीएम मशीन में कैमरा छुपा देते हैं और इसके द्वारा वह कार्ड का नंबर और पासवर्ड की जानकारी ले लेते हैं. मशीन में कार्ड स्वैप करने पर वह एक खास तरह की डिवाइस की मदद से कार्ड का क्लोन कर लेते हैं और इससे अकाउंट्स में सेंधमारी कर लेते हैं.

इनपुट-आईएएनएस

धनबाद: साइबर क्रिमिनल्स अब बैंक अकाउंट्स में सेंधमारी के लिए अकाउंट धारकों के फिंगर प्रिंट की भी क्लोनिंग करने लगे हैं. झारखंड के धनबाद जिले में 100 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं. जिले के अलग-अलग बैंकों में कुल 147 खातों से अवैध तरीके से रकम की निकासी की गई है. इनकी शिकायतें बैंकों के अलावा साइबर पुलिस के पास पहुंची हैं. जिन लोगों के खातों से निकासी हुई है, उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्होंने बैंकिंग सेवाओं के लिए बैंकों की शाखाओं के बजाय इनके ग्राहक सेवा केंद्रों या फ्रेंचाइजी सेंटरों की सेवा ली थी और वहां मशीनों पर अपने फिंगर प्रिंट (Cloning finger print) दिए थे. ऐसे में आशंका यह भी है कि अवैध निकासी के इन मामलों में साइबर क्रिमिनल्स के साथ ग्राहक सेवा केंद्रों (Customer care center) की मिलीभगत हो सकती है.

ये भी पढ़ें- साइबर अपराधियों ने हजारीबाग जिला आपूर्ति पदाधिकारी का लॉगिग किया हैक, बनाया सैकड़ों फर्जी राशन कार्ड

साइबर पुलिस और बैंकों में शिकायत करने वाले लोगों का कहना है कि उनके पास न तो किसी का फोन आया, न उन्होंने किसी को एटीएम का पिन और ओटीपी शेयर किया, न कभी किसी लिंक को क्लिक किया, लेकिन उनके खाते से हजारों रुपए की निकासी हो गई. बताया जा रहा है कि ज्यादातर लोगों के खाते से दो-तीन बार में सात से लेकर 24 हजार रुपए तक की गलत निकासी की गई है. जिनके खातों में सेंधमारी हुई है, उनमें कारोबारी, डॉक्टर, महिलाएं भी शामिल हैं।

साइबर सेल के डीएसपी सुमित सौरभ लकड़ा की मानें तो यह साइबर क्राइम के बजाय लोगों की आईडेंटिटी की चोरी का मामला है. आम तौर पर लोग नया सिम लेने, आधार अपडेट कराने, बायोमिट्रिक अटेंडेंस और ग्राहक सेवा केंद्रों के जरिए पैसे की निकासी के लिए फिंगर प्रिंट का इस्तेमाल करते हैं. जिस मशीन में लोग फिंगर प्रिंट देते हैं, उसमें क्रिमिनल्स पहले से खास तरह का केमिकल लगा देते हैं. लोगों के जाने के बाद केमिकल पर अंकित फिंगर प्रिंट की क्लोनिंग (Cloning finger print) कर लेते हैं. साइबर एक्सपर्ट्स कहना है कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए जरूरी है कि आप किसी मशीन पर फिंगर प्रिंट देने के बाद उस जगह को रूई या कपड़े से सफाई करवा लें ताकि आपके जाने के बाद उसकी क्लोनिंग नहीं की जा सके.

बता दें कि झारखंड में इसके पहले एटीएम क्लोनिंग के भी सैकड़ों मामले आ चुके हैं. साइबर क्रिमिनल्स एटीएम मशीन में कैमरा छुपा देते हैं और इसके द्वारा वह कार्ड का नंबर और पासवर्ड की जानकारी ले लेते हैं. मशीन में कार्ड स्वैप करने पर वह एक खास तरह की डिवाइस की मदद से कार्ड का क्लोन कर लेते हैं और इससे अकाउंट्स में सेंधमारी कर लेते हैं.

इनपुट-आईएएनएस

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