धनबाद: कोयलांचल में एक भी म्यूजियम नहीं है लेकिन जिले के कुसुम विहार इलाके के रहने वाले अमरेंद्र आनंद का मकान म्यूजियम से कम भी नहीं है. यहां पर अनेक प्रकार के चीजों को इन्होंने संग्रहित किया है जिसे दूर-दूर से लोग देखने के लिए आते हैं. करीब पांच दशक पूर्व ही इन्होंने सभी चीजों को संग्रहित करना शुरू कर दिया था. सभी चीजों को इन्होंने अपने मकान में संजो रखा है और सरकार से मदद की गुहार भी लगा रहे हैं ताकि इसे पहचान मिल सके.
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पिता से प्रेरित होकर जमा की ऐतिहासिक चीजें
अमरेंद्र आनंद का शुरू से ही ऐतिहासिक चीजों से लगाव रहा है. अमरेंद्र भारतीय जीवन बीमा निगम में विकास पदाधिकारी के रूप में कार्यरत थे और अब रिटायर हो चुके हैं. इनके पिता सिंदरी में इंजीनियर थे. अपने पिता से ही प्रेरित होकर अमरेंद्र ने सभी चीजों को संग्रहित करना शुरू किया. इनके मकान में प्राचीन आदिकाल की मुद्राएं और कागजी मुद्रा से लेकर आज तक की सिक्के और कागजी नोट उपलब्ध हैं.
ब्रिटिश जमाने के सिक्के भी हैं
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए अमरेंद्र आनंद ने बताया कि उन्होंने कई प्रकार की सिग्मेंट को संग्रहित किया है. जिसमें कौड़ी से लेकर क्रेडिट कार्ड तक का सफर यानी कि प्राचीन कागजी मुद्रा और धातु की मुद्रा से लेकर आज तक के सिक्के और ब्रिटिश जमाने के हैंड मेड कागजी मुद्रा से लेकर अब तक के सभी कागजी नोट उपलब्ध हैं. साथ ही पूर्व के राजा महाराजाओं के द्वारा अपने सैनिकों और अन्य लोगों को दिया जाने वाला मेडल भी इनके पास संग्रहित है.
सिडनी में भी लगा चुके हैं प्रदर्शनी
अमरेंद्र आनंद के मकान में राजशाही समय के विभिन्न प्रकार के राजाओं के द्वारा तमाम जारी किए जाने वाले स्टांप पेपर भी मौजूद हैं. आजाद हिंद फौज और महारानी विक्टोरिया के द्वारा जारी किए गए मेडल भी हैं जिसे काफी संख्या में लोग दूर-दूर से देखने के लिए आते हैं. इनकी पहचान धनबाद में ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष के साथ-साथ विदेशों में भी रही है. अमरेंद्र ने बताया कि पटना में बनाए गए बिहार म्यूजियम में वह अपनी प्रदर्शनी लगा चुके हैं. बेटी ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में रहती है. वहां पर भी प्रदर्शनी लगाई है जिसे वहां के लोगों ने काफी सराहा. उन्होंने कहा कि सिडनी के टाउन हॉल में करीब 300 लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी लगाई गई जिसका लाइव टेलीकास्ट भी हुआ था. झारखंड सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनी के दौरान इन्हें 2 सिल्वर और दो गोल्ड मेडल प्राप्त हुए हैं.
रिजर्व बैंक में लगाएंगे प्रदर्शनी
अमरेंद्र के पास लगभग सभी प्रकार के कागजी मुद्रा का संग्रहण है. ब्रिटिश जमाने के 1 रुपए, 2 रुपए, ढाई रुपए, 5 रुपए,10, 100,1000 आदि के नोट जो आज के समय में दुर्लभ हो चुके हैं, सभी नोट इनके पास मौजूद है. पहले के समय में इन मुद्राओं को हाथों से बनाया जाता था क्योंकि उस समय मशीनें नहीं हुआ करती थी. सबसे पहले छापी गई 1000 के नोट से लेकर मोदी के शासनकाल में बंद हुए अंतिम हजार के नोट भी इनके पास मौजूद है. उन्होंने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक की कोलकाता ईकाई में प्रदर्शनी लगाने के लिए बातचीत हो रही है और बहुत ही जल्द रिजर्व बैंक कोलकाता शाखा में प्रदर्शनी लगाने वाले हैं. उन्होंने कहा कि बचपन से ही इन सभी चीजों का जुनून सवार था और धीरे-धीरे यह कारवां निकल पड़ा. जिसमें उनकी पत्नी, बेटा और बेटी का भी काफी सहयोग मिला.
सरकार से म्यूजियम बनवाने की मांग
अमरेंद्र आनंद ने कहा कि जिस प्रकार ताजमहल को बनाने के बाद शाहजहां ताजमहल नहीं ले जा सके उसी प्रकार जो चीजें संग्रहित की जाती है वह साथ लेकर कोई नहीं जाता. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से झारखंड सरकार से अपील की है कि वह अपना सारा संग्रहित चीज सरकार को सौंपने के लिए तैयार हैं बशर्ते सरकार से उन्हें आर्थिक मदद मिले और कोयलांचल धनबाद के किसी कोने में एक भव्य म्यूजियम बनाया जाए. उन्होंने कहा कि पूर्व में भी मुझे झारखंड सरकार के द्वारा सिल्वर और गोल्ड मेडल मिला है. अगर सरकार म्यूजियम बनाने की दिशा में पहल करती है तो यह सरकार का बहुत ही अच्छा कदम होगा. साथ ही इन सभी दुर्लभ वस्तुओं को लोग धनबाद आकर देख सकेंगे.