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चतरा: इलाज के लिए बिक गई सारी संपत्ति फिर भी मौत के साए में हैं मासूम

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Published : Aug 20, 2019, 7:59 PM IST

चतरा के सलगी गांव के संजीत भुईयां का परिवार किसी ऐसे फरिश्ते के इंतजार में है, जो थैलीसीमिया रोग से पीड़ित उसके दोनों मासूमों का इलाज करा सके. इलाज के अभाव में दोनों मासूमों पर मौत का साया मंडरा रहा है.

थैलीसीमिया रोग से पीड़ित हैं दोनों मासूम

चतरा: जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत सलगी गांव के संजीत भुईयां के परिवार को किसी फरिश्ते का इंतजार है जो उनके बच्चों का इलाज करा सके. दरअसल, गरीब परिवार से तालुक्कात रखने वाले संजीत के दो बच्चे हैं. इनमें तीन वर्षीय सुजीत और पांच वर्षीय प्रीति दोनों ही थैलीसीमिया रोग से पीड़ित है. इन्हें प्रतिमाह हजारों रुपये खर्च कर खून चढ़ाया जाता है. ताकि उनकी जीवन की पहिया निरंतर प्रगतिशील रहे.

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प्रतिमाह हजारों रुपये खर्च कर रहे उनके पिता के समक्ष अब आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. वे अपनी जमीन-जायदाद सब बच्चों के इलाज के लिए बेच चुके हैं. उनके पास अब बच्चों का इलाज कराने का कोई साधन नहीं है. ऐसे में उन्हें अब सिर्फ और सिर्फ मदद की आस है. अगर उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिलती है तो न सिर्फ प्रतिमाह जिंदगी और मौत से जूझ रहे उनके दोनों मासूम बच्चों की उपचार के अभाव में मौत हो जाएगी बल्कि संजीत का पूरा परिवार भी बिखर जाएगा.

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इलाज के बारे में बात करते हुए संजीत भुईयां का कहना है कि थैलीसीमिया रोग से पीड़ित उसके दोनों बच्चों को प्रतिमाह खून की कमी हो जाती है. ऐसे में उनकी जिन्दगी बचाने के लिए प्रतिमाह उन्हें एक-एक यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है. जिसे खरीदने में उनका घर-जमीन सबकुछ बिक चुका है. ऐसे में खून का इंतजाम करना अब मुश्किल होने लगा है. जिससे दोनों बच्चों पर मौत का साया मंडराने लगा है. संजीत अब उन्हें सरकारी और आम लोगों की सहायता की सख्त आवश्यकता है तभी बच्चों की जान बच सकती है.

Intro:ममता में बिक गई घर-जमीन, फिर भी बच्चों की जिंदगी बनी चुनौती

चतरा : चतरा के सिमरिया थाना क्षेत्र अंतर्गत नक्सल प्रभावित सलगी गांव के संजीत भुईयां के परिवार को किसी फरिस्ते का इंतजार है। फरिस्ते का इंतजार भी इसलिए कि ममता के आस में अपना जमीन जायदाद सबकुछ बेच चुका यह परिवार अपने दो मासूम बच्चों की जिंदगी बचा सके। दरअसल गरीब परिवार से तालुक्कात रखने वाले संजीत के दो बच्चे हैं। इनमे तीन वर्षीय सुजीत व पांच वर्षीय प्रीति थैलीसीमिया रोग से पीड़ित है। जिन्हें प्रतिमाह हजारो रुपये खर्च कर खून चढ़ाया जाता है। ताकि उनकी जीवन की पहिया निरंतर प्रगतिशील रहे। ऐसे में प्रतिमाह हजारो रुपये खर्च कर रहे उनके पिता के समक्ष अब आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वे अपना जमीन जायदाद तक बच्चों के ईलाज के लिए बेच चुके हैं। ऐसे में अब सिर्फ और सिर्फ मदद की आस है। अगर ऐसे में भी उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिलती है तो न सिर्फ प्रतिमाह जिंदगी और मौत से जूझ रहे उनके दोनों मासूम बच्चों की मौत उपचार के अभाव में हो जाएगी। बल्कि संजीत का पूरा परिवार बिखर जाएगा।

बाईट : संजीत भुईयां, पीड़ित।


Body:पीड़ित संजीत ने बताया कि थैलीसीमिया रोग से पीड़ित उसके दोनों बच्चों को प्रतिमाह खून की कमी हो जाती है। ऐसे में उनकी जिन्दगी बचाने के लिए एक-एक यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है। जिसे खरीदने में उनका घर-जमीन सबकुछ बिक चुका है। आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवार के लिए ब्लड का इंतजाम करना अब मुश्किल होने लगा है। ऐसे में उनके दोनों बच्चों पर मौत का साया मंडराने लगा है। संजीत ने कहा कि अब उन्हें सरकारी सहायता की सख्त आवश्यकता है। सरकार उन्हें आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए तभी उसके दोनों बच्चों की जान बच सकती है।


Conclusion:गौरतलब है कि पीड़ित माता पिता अब तक किसी तरह से ब्लड की व्यवस्था कर दोनों मासूमों की आंखों में जिंदगी की खुशियां भरने में सफल रहे हैं। लेकिन अब उनकी माली हालत पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। गरीबी से जूझ रहे परिजन दोनों बच्चों के इलाज के लिए अपने जगह जमीन बेचकर आठ लाख रुपये से अधिक राशि खर्च कर चुके हैं। इसी के बदौलत वे अपने जिगर के टुकड़े को जिंदा रखने में अब तक कामयाब भी रहे हैं। लेकिन अपना सब कुछ खोने के बाद भी अब उनके समक्ष बच्चों की जिंदगी बचाने की समस्या अब भी उत्पन्न है। हालांकि संजीत व उसकी पत्नी को न तो थैलीसीमिया है और न ही अन्य गंभीर बीमारी।
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