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बोकारो में एनआईए की छापेमारी खत्म, इन दस्तावेजों के साथ टीम लौटी रांची

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Published : May 2, 2023, 2:00 PM IST

बोकारो में चल रही एनआईए की छापेमारी खत्म हो गई है. टीम वापस रांची लौट गई. एनआई अपने साथ संगठन से जुड़े कागजात ले गई है.

NIA raid ends in Bokaro
NIA raid ends in Bokaro

मजदूर संगठन समिति के महासचिव बच्चा सिंह

बोकारोः मजदूर संगठन समिति के महासचिव बच्चा सिंह के बोकारो थर्मल थाना क्षेत्र के निसनहाट कॉलोनी में चल रही एनआईए की छापेमारी समाप्त हो गई है. डीएसपी कन्हैया के नेतृत्व में पहुंची टीम छापेमारी करने के बाद रांची लौट गई. एनआईए अपने साथ कई कागजात ले गई.

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महासचिव बच्चा सिंह ने बताया कि मंगलवार की सुबह एनआईए की टीम ने उनके घर के सामानों की तलाशी ली. इस दौरान एनआईए की टीम ने हर चीज को खंगाला. उन्होंने बताया कि टीम जब उनके घर पहुंची, तो उन्होंने छापेमारी का कारण पूछा और सर्च वारंट की मांग की. एनआईए अधिकारी ने सर्च वारंट दिखाया. बच्चा सिंह ने बताया कि एनआईए संगठन के लेटर पैड, मजदूर यूनियन के पंपलेट पोस्टर, झारखंड में कई संगठनों से मिलकर बनाए गए झारखंड जन संघर्ष मोर्चा के कागजात और रजिस्टर आदि साथ ले गई है. उन्होंने बताया कि छापेमारी के वजह की जानकारी नहीं मिल पाई है.

कब लगा था प्रतिबंध, कब कोर्ट ने हटायाः 22 दिसंबर 2017 को तत्कालीन भाजपा सरकार ने 1989 में संयुक्त बिहार में पंजीकृत ट्रेड यूनियन मजदूर संगठन समिति को नक्सलियों का अग्र संगठन बताकर प्रतिबंधित कर दिया था. हाईकोर्ट ने वर्ष 2022 में प्रतिबंध को हटा दिया था. प्रतिबंध लगने के साथ ही बच्चा सिंह समेत अन्य सहयोगियों पर और मजदूर संगठन समिति के नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी. बोकारो थर्मल स्थित उनके कार्यालय में छापेमारी हुई थी. सीडी, पोस्टर आदि जब्त कर लिया गया था.

जोनल कमांडर ने अपने बयान में बताया था मददगारः भाकपा माओवादी के जोनल कमांडर मिथिलेश उर्फ दुर्योधन की पहली गिरफ्तारी जब धनबाद के तोपचांची में हुई थी, तो उसने पुलिस को दिए गए बयान में यह कहा था कि मजदूर संगठन समिति जिसका प्रधान कार्यालय अंगारपथरा, कतरास धनबाद में है. वह संगठन नक्सलियों का अग्र संगठन है और वह नक्सलियों की मदद करता है. इसी के बाद से संगठन पर नक्सलियों से सांठगांठ और उनकी मदद करने का आरोप लगना शुरू हुआ.

मजदूर संगठन समिति का इतिहासः 1989 में वरिष्ठ अधिवक्ता सतनारायण भट्टाचार्य द्वारा बिहार श्रम विभाग में एक ट्रेड यूनियन पंजीकृत कराया गया था. जिसका नाम मजदूर संगठन समिति था. प्रारंभ में इस मजदूर यूनियन का कार्यक्षेत्र धनबाद के कतरास और आसपास के इलाकों में था. इसका प्रधान कार्यालय अंगारपथरा (कतरास) धनबाद में है. वर्ष 2000 में बिहार से झारखंड अलग होने के बाद मजदूर संगठन समिति का फैलाव काफी तेजी से हुआ और मजदूरों के बीच इस धीरे-धीरे अपना पकड़ मजबूत बना ली. समिति ने गिरिडीह पारसनाथ प्रसिद्ध जैन शिखरजी, मधुबन, बोकारो जिले के बोकारो थर्मल पावर प्लांट, तेनुघाट पावर प्लांट, चंद्रपुरा पावर प्लांट में अपनी मजबूत पकड़ बना ली. इसके अलावा बोकारो प्लांट के स्थापना के कारण जो लोग विस्थापित हुए उन लोगों को गोलबंद करने का काम शुरू कर दिया. मजदूर संगठन समिति का फैलाव धनबाद से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बिहार के गया जिला तक पहुंच गया.

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