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ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग की नाः हेमंत कुमार महतो ने आरटीआई के तहत मांगी थी जानकारी

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Published : Oct 28, 2022, 7:02 AM IST

JMM not get information from election commission on office of profit case by RTI
रांची

सीएम हेमंत सोरेन ऑफिस ऑफ प्रॉफिट(CM Hemant Soren office of profit case) मामले में निर्वाचन आयोग ने आरटीआई के तहत किसी तरह की जानकारी नहीं दी है. बोकारो के हेमंत कुमार महतो ने भारतीय निर्वाचन आयोग से मामले से संबंधित जानकारी मांगी थी.

बोकारोः भारतीय निर्वाचन आयोग से झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले (CM Hemant Soren office of profit case) में सुनवाई की सूचना आरटीआई के तहत नहीं दिया है. बोकारो जिला में कसमार के रंगामाटी निवासी हेमंत कुमार महतो ने चुनाव आयोग से सूचना के अधिकार 2005 के तहत इस मामले में जानकारी मांगी थी. लेकिन चुनाव आयोग से हेमंत कुमार महतो को जवाब आ गया है.

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निर्वाचन आयोग ने क्या दिया जवाबः चुनाव आयोग ने हेमंत कुमार महतो को भेजे जवाब में बताया गया गया कि मांगी गयी जानकारी और दस्तावेज को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(ड) और 8(1)(ज) के तहत प्रकटीकरण से छूट दी गयी है. अगर आप उपलब्ध कराये गये जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो प्रथम अपील, इस पत्र की प्राप्ति से 30 दिनों के भीतर की जा सकती है. इसके अलावा अपीलीय प्राधिकारी का विवरण दिया गया है. भारतीय निर्वाचन आयोग के इस जवाब से यह स्पष्ट है कि निर्वाचन आयोग से मांगी गई खनन लीज के मामले को सूचना के अधिकार से बाहर है.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खनन लीज के मामले में भारतीय निर्वाचन आयोग में सुनवाई के बाद बंद लिफाफे में मंतव्य झारखंड के राज्यपाल के पास करीब 2 महीने पहले ही भेजा जा चुका है. इस मामले को लेकर राज्यपाल की तरफ से कोई भी खुलासा नहीं किया गया है. इधर जेएमएम ने भी सूचना के अधिकार के तहत गवर्नर हाउस से इस मामले की जानकारी के लिए आवेदन किया गया है.

ये है पूरा मामलाः पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी में राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर शिकायत की थी. जिसमें यह कहा गया था कि सीएम के पद पर रहते हुए जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज ली है. रांची के अनगड़ा मौजा थाना नंबर 26, खाता नंबर 187, प्लॉट नंबर 482 में पत्थर खनन पट्टा सीएम ने अपने नाम लिया है. इस पर राज्यपाल ने धारा 191 और 192 के अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास भेजा था. चुनाव आयोग की रिपोर्ट राजभवन आने के बाद अब तक उस पर लिखे फैसले को राज्यपाल की ओर से पढ़ा नहीं गया है. करीब 2 महीने से सीलबंद लिफाफा राज्यपाल के पास ही है.

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