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तालिबान मंत्रिमंडल : 'परिचित चेहरों' को दी गई जगह, जानिए किसे, कौन-सा विभाग मिला

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Published : Aug 26, 2021, 6:00 PM IST

Updated : Aug 26, 2021, 7:53 PM IST

अफगानिस्तान संकट पर दुनियाभर की निगाहें हैं. भारत में आज विदेश मंत्री ने सभी राजनीतिक दलों को इस संकट से अवगत कराया. ताजा घटनाक्र में तालिबान के नए मंत्रिमंडल के गठन की खबर सामने आई है. जानकारी के मुताबिक तालिबान ने वित्त मंत्रालय का अहम विभाग गुल आगा को दिया है.

तालिबान मंत्रिमंडल
तालिबान मंत्रिमंडल

काबुल : अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने के बाद राजनीतिक संकट से जूझ रहे देश अफगानिस्तान में नए मंत्रिमंडल का गठन किया गया है. तालिबान के मंत्रिमंडल में गुल आगा को वित्त मंत्री, मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर को रक्षा मंत्री के रूप में जगह दी गई है.

समाचार एजेंसी एएनआई ने इंटेल न्यूज (IntelNews) के हवाले से बताया है कि तालिबान ने सदर इब्राहिम को कार्यवाहक आंतरिक मंत्री नियुक्त किया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान के तेजी से अधिग्रहण के बाद, तालिबान अपना ध्यान देश चलाने पर केंद्रित कर रहा है. शासन को ध्यान में रखते हुए, तालिबान नेताओं ने 12 सदस्यीय परिषद बनाने का फैसला किया है. पहले ही कई मंत्रालयों के अंतरिम प्रमुख नियुक्त किए जा चुके हैं.

तालिबान कैबिनेट में कौन हैं-

फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक गुल आगा को नए अंतरिम वित्त मंत्री (Gul Agha interim Finance Minister) के रूप में चुना गया है. गुल आगा, वित्त आयोग के प्रमुख भी होंगे. इनका पूरा नाम गुल आगा इशाकजई है. इंटरपोल के मुताबिक, गुल आगा तालिबान के दिवंगत संस्थापक मुल्ला उमर के बचपन के दोस्त हैं.

वित्त आयोग के प्रमुख के रूप में, आगा पर कर संग्रह की जिम्मेदार होगी. रिपोर्ट के मुताबिक आगा कंधार में आत्मघाती हमलों के लिए फंडिंग की व्यवस्था से जुड़े रहे हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र सहित कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने गुल आगा के खिलाफ प्रतिबंध लागू कर चुके हैं.

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अल जजीरा ने तालिबान के एक सूत्र का हवाला देते हुए कहा कि तलिबान ने मुल्ला अब्दुल कय्यूम जाकिर (Mullah Abdul Qayyum Zakir) को कार्यवाहक रक्षा मंत्री चुना है. जाकिर ने 1997 में तालिबान में शामिल होकर अपने सैन्य करियर की शुरुआत की और बाद में अफगान गृहयुद्ध में भाग लिया. वह ग्वांतानामो का एक पूर्व बंदी था और उसे हक्कानी नेटवर्क के नेताओं के सहयोगी के रूप में देखा जाता है, एक तालिबान उप-सेट, जिसके विदेशी जिहादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.

जाकिर पाकिस्तान के आईएसआई के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है, जिसके बारे में माना जाता है कि उसने 2010 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में गिरफ्तार होने के बाद हिरासत से उसकी त्वरित रिहाई की व्यवस्था की थी

वहीं नजीबुल्लाह को अफगानिस्तान का खुफिया प्रमुख नियुक्त किया गया है. वह एक तालिबान कमांडर है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. इसके अलावा सदर इब्राहिम को कार्यवाहक आंतरिक मंत्री बनाया गया है. उन्हें तालिबान के भीतर एक शक्तिशाली और भरोसेमंद व्यक्ति माना जाता है. अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी के 2006 के एक अवर्गीकृत दस्तावेज के अनुसा सदर मूल रूप से कंधार प्रांत से है. वह पाकिस्तान के पेशावर में चरसाडा में रह रहा है और क्षेत्र में तालिबान लड़ाकों को नियंत्रित करता है.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सोमवार को ट्विटर पर हाजी मोहम्मद इदरीस को अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के कार्यवाहक प्रमुख के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की. पोस्ट में मुजाहिद ने कहा कि इदरीस उभरते बैंकिंग मुद्दों और लोगों की समस्याओं को संबोधित करेंगे. तालिबान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उत्तरी प्रांत जज्जान के इदरीस को आंदोलन के पिछले नेता मुल्ला अख्तर मंसूर के साथ वित्तीय मुद्दों पर काम करने का लंबा अनुभव था, जो 2016 में ड्रोन हमले में मारा गया था.

तालिबान के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हालांकि इदरीस का आंदोलन के बाहर कोई सार्वजनिक प्रोफाइल नहीं है और कोई औपचारिक वित्तीय प्रशिक्षण या उच्च शिक्षा नहीं है, वह आंदोलन के वित्त अनुभाग के प्रमुख थे.

बता दें कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने के बाद रविवार को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया. इसके बाद से वहां अफरा-तफरी का माहौल है. अफगानिस्तान-तालिबान संकट (Afghan Taliban Crisis) के बीच एक अहम घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 17 अगस्त को सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक की.

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प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर हुई इस अहम बैठक के बाद अधिकारियों को यह निर्देश दिए. इसी बीच सूत्रों ने कहा है कि भारत इंतजार करेगा और देखेगा कि सरकार का गठन कितना समावेशी होगा और तालिबान कैसे आचरण करेगा. सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने कश्मीर पर भी अपना रुख स्पष्ट किया है. इसके मुताबिक तालिबान कश्मीर को एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है. पीएम ने कहा कि हिंदुओं और सिखों को देंगे शरण.

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इसके बाद काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान मंगलवार को अफगानिस्तान से भारत पहुंचा था. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत सभी भारतीयों की अफगानिस्तान से सकुशल वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है और काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानों की बहाली होते ही वहां फंसे अन्य भारतीयों को स्वदेश लाने का प्रबंध किया जाएगा.

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काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने लचीला रुख अपनाते हुए पूरे अफगानिस्तान में 'आम माफी' की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया. इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश है, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे.

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गौरतलब है कि भारत ने 2001 के बाद से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण में करीब 3 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. संसद भवन, सलमा बांध और जरांज-देलाराम हाईवे प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है. इनके अलावा भारत-ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास का काम कर रहा है. भारत को ईरान के रणनीतिक चाबहार के शाहिद बेहेश्टी क्षेत्र में पांच बर्थ के साथ दो टर्मिनल का निर्माण करना था, जो एक पारगमन गलियारे का हिस्सा होता. यह भारतीय व्यापार की पहुंच को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुंच प्रदान करता. इस परियोजना में दो टर्मिनल, 600-मीटर कार्गो टर्मिनल और 640-मीटर कंटेनर टर्मिनल शामिल थे. इसके अलावा 628 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण होना था, जो चाबहार को अफगानिस्तान सीमावर्ती शहर जाहेदान से जोड़ती. जानकारों का मानना है कि भारत ने चीन के चाबहार के जवाब में ग्वादर प्रोजेक्ट में निवेश किया था. अब तालिबान के राज में इसके पूरा होने पर संशय है.

Last Updated : Aug 26, 2021, 7:53 PM IST
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