रांचीः नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है. झारखंड की राजधानी रांची के अरगोड़ा स्थित हज हाउस के पास स्थानीय महिलाओं ने इस कानून को लेकर विरोध किया. महिलाओं ने बताया कि वह किसी भी बैनर तले विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहीं है, बल्कि खुद जमा हुई है.
महिलाओं को संबोधित करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्रा और रांची के निवासी समरीन अख्तर ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून एक साजिश के तहत लाया गया है. इसके जरिए मुसलमान समुदाय के वैसे लोगों को चिन्हित कर डिटेंशन सेंटर में डाला जाएगा जो अपने माता-पिता के जन्म स्थान को प्रमाणित नहीं कर पाएंगे. महिलाओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं. इस देश के निर्माण में मुसलमानों ने भी समान भागीदारी निभाई है.
संविधान का उल्लंघन है यह कानून
विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि भारत में अलग-अलग धर्म के लोग बसते हैं, इसलिए किसी एक धर्म को टारगेट कर कोई भी कानून बनाना संविधान का उल्लंघन है. बता दें कि देश में घुसपैठियों को चिन्हित करने के लिए सबसे पहले असम में एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन लाया गया था, लेकिन इसकी वजह से बड़ी संख्या में वैसे लोग भी नागरिकता के लिस्ट से बाहर हो गए जो देश के असली निवासी है. इसके बाद केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून लाया. जिसके तहत अफगानिस्तान बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यक यानी पारसी हिंदू बौद्ध जैन सिख और क्रिश्चियन धर्म के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया.
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विपक्ष का आरोप धर्म के साथ हो रहा भेदभाव
भाजपा का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी की नागरिकता खतरे में नहीं आने वाली है और विपक्ष एक साजिश के तहत मुस्लिम समुदाय को बरगलाने का काम कर रही है. वहीं विपक्ष का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 धार्मिक आधार पर लाया गया है. इसके जरिए एक खास धर्म के लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन है.