रांची: बढ़ते वायरल फीवर की वजह से राजधानी के अस्पतालो में बेड की कमी होने लगी है. बारिश के महीने में बुखार आना आम बात हो जाती है. इस मौसम में लोग सबसे ज्यादा वायरल फीवर की चपेट में आते हैं. अत्यधिक बारिश होने की वजह से इस बार वायरल फीवर लोगों को परेशान कर रहा है. लोग कई दिनों तक बुखार की चपेट में रह रहे हैं. कई लोगों को अस्पताल में भर्ती भी होना पड़ रहा है.
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अस्पताल में बेड की समस्या से जूझ रहे लोग
वायरल बुखार लोगों को अस्पताल पहुंचा रहा है. अस्पताल में लोगों को बेड की समस्या से जूझना पड़ रहा है. खासकर वायरल फीवर से बच्चे ज्यादा ग्रसित हो रहे हैं, इसीलिए बच्चों के अस्पताल में बेडों की संख्या काफी कम हो गई है. रिम्स के पीडियाट्रिक वार्ड के बाहर ज्यादातर परिजन अपने बच्चों को बाहर में ही लेटा कर इलाज करा रहे हैं.
वायरल फीवर से ग्रसित हो रहे बच्चे
डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर बच्चे मौसमी बुखार और वायरल फीवर से ग्रसित हैं. जिस वजह से अस्पताल में उन्हें भर्ती करना पड़ रहा है. वहीं, लगातार बढ़ रहे बच्चों की संख्या बेड की संख्या से ज्यादा हो गई है. जिसको लेकर मरीजों को मजबूरी में बाहर इलाज करवाना पड़ रहा है.
इलाज कराने के लिए करना पड़ रहा लंबा इंतजार
इलाज कराने आए मरीज के परिजनों ने बताया कि निमोनिया और वायरल फीवर के लक्षण देखते ही लोग सुरक्षा की दृष्टिकोण से इलाज कराने अस्पताल पहुंच जाते हैं, इसलिए अस्पताल में भीड़ भी बढ़ रही है और लोगों को इलाज कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. एक तरफ स्वास्थ्य विभाग के लोग यह दावे कर रहे हैं की तीसरी लहर को लेकर उनकी तैयारी पूर्ण हो चुकी है लेकिन जब वायरल फीवर और मौसमी बुखार के मरीजों का ही समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है तो फिर तीसरी लहर से लोगों को बचाने में कितना सफल हो पाएगा.