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झारखंड के विश्वविद्यालय रैंकिंग में पीछे, केंद्रीय अनुदान से वंचित, शिक्षा विभाग नहीं दे रहा ध्यान

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Published : Aug 4, 2022, 4:50 PM IST

Higher Educational Institutions of Jharkhand
Higher Educational Institutions of Jharkhand

झारखंड के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षा के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं है. शिक्षकों की घोर कमी है. विद्यार्थियों और शिक्षकों के अनुपात में काफी अंतर है. इस वजह से इन विश्वविद्यालयों को केंद्रीय स्तर पर लाभ भी नहीं मिल रहा है. इन्हीं कारणों से झारखंड के विश्वविद्यालय (Universities of Jharkhand) रैंकिग में भी पिछड़ रहे हैं.

रांची: झारखंड के विश्वविद्यालय (Universities of Jharkhand) विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में लगातार पिछड़ रहे हैं. राज्य के उच्च शिक्षण संस्थानों में उच्च शिक्षा के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं है. शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों की कमी की मार झेल रही है. शिक्षकों की कमी के कारण स्कूल कॉलेज विश्वविद्यालयों में क्लासेस खाली जा रहे हैं. प्रैक्टिकल रिसर्च जैसी गतिविधियां नगण्य हो गई है. लेकिन, इस दिशा में विभाग का विशेष ध्यान नहीं है.

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रैंकिंग में पीछे हैं झारखंड के विश्विद्यालय: ऐसे में झारखंड के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय स्तर के ग्रेडिंग से भी दूर हो रहे हैं. रैंकिंग में यहां के विश्वविद्यालय और टेक्निकल कॉलेज फिसड्डी हो गए हैं. एनआईआरएफ रैंकिंग में झारखंड के सरकारी विद्यालय कहीं नहीं है. नैक की भी स्थिति राज्य के विश्वविद्यालयों में अच्छी नहीं है और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह शिक्षकों की कमी को ही बतायी जा रही है. विश्वविद्यालय प्रबंधक की मानें तो वे इस मामले में मजबूर महसूस करते हैं. शिक्षक नियुक्ति करने वाली संस्थाएं किसी की नहीं सुनती हैं.

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महज तीन कॉलेजों के A ग्रेड: नैक (NAAC-National Assessment and Accreditation Council) ने झारखंड के सरकारी विश्वविद्यालय में अब तक 112 कॉलेजों को ग्रेडिंग दी है, जिसमें से 3 कॉलेज को ही A ग्रेड मिले हैं. जबकि चार कॉलेज को B++, 11 कॉलेज को B+, 61 कॉलेज को B और 33 कॉलेज को C ग्रेड दिए गए हैं. नैक से A ग्रेड प्राप्त कॉलेजों में निर्मला कॉलेज रांची, जमशेदपुर वूमंस कॉलेज और घाटशिला कॉलेज शामिल हैं. हालांकि इन कॉलेजों की भी नैक मूल्यांकन की अवधि खत्म हो चुकी है. अब इन्हें दोबारा नैक मूल्यांकन कराना है. कॉलेज प्रबंधक जिसकी तैयारी में जुट गए हैं.


केंद्रीय अनुदान से वंचित हो रहे हैं राज्य के शिक्षण संस्थान: मान्यता नहीं मिलने से ऐसे कॉलेज अनुदान से भी वंचित हो रहे हैं. 2023 तक इन कॉलेजों को नैक से मान्यता ले लेना होगा. उन्हें रूसा द्वारा विकास के लिए राशि तब ही मिलेगी. राज्य के सबसे पुराने विश्वविद्यालय रांची विश्वविद्यालय की स्थिति पिछले कई सत्रों में नैक के मूल्यांकन में सही नहीं थी. हालांकि एक बार फिर स्थिति बेहतर हो इसे लेकर रांची विश्वविद्यालय तैयारियों में जुटी है.

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