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मनरेगा में गड़बड़ी करने वालों की खैर नहीं, सोशल ऑडिट का काम फिर से शुरू

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Published : Oct 1, 2021, 7:25 PM IST

झारखंड में मनरेगा का सोशल ऑडिट (Social Audit of MGNREGA) पिछले कई माह से बंद पड़ा था. लेकिन 1 अक्टूबर से अब यह व्यवस्था बहाल हो गई है. योजनाओं का सोशल ऑडिट फिलहाल 500 पंचायतों में किया जा रहा है.

social audit of mgnrega
social audit of mgnrega

रांची: झारखंड में संचालित मनरेगा का सोशल ऑडिट (Social Audit of MGNREGA) एक अक्टूबर से बहाल हो गया है. साल 2021-22 के लिए चालू हुई योजनाओं का सोशल ऑडिट फिलहाल 500 पंचायतों में किया जा रहा है. प्रथम चरण में उन पंचायतों को लिया गया है, जहां अधिकतम मानवदिवस सृजित हुए हैं. यह प्रक्रिया ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के एनुअल मास्टर सर्कुलर के दिशा निर्देश और मानदंडों के अनुरूप है और इससे काम के दौरान ही समस्याओं के समाधान और आवश्यक हस्तक्षेप करने में क्रियान्वयन एजेंसी को सहयोग मिलेगा .

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समय पर भुगतान सुनिश्चित हो पाएगा

कंकरेंट सोशल ऑडिट यानी समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण का मतलब है योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान ही सामाजिक निगरानी सुनिश्चित करना. ऐसा होने से योजना में गड़बड़ी की गुंजाइश पर लगाम लगती है. साथ ही समय पर समुदाय को उनके हक और अधिकार की जानकारी दी जाती है ताकि वह खुद अपने हित के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा कर सकें. इस व्यवस्था के बाहर होने से मनरेगा में कार्य करने के लिए मजदूरों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा और उनकी शिकायतों का समय पर समाधान होगा. कार्यस्थल पर जरूरी सुविधा उपलब्ध होगी. निर्माणाधीन संरचना की उपयोगिता और गुणवत्ता प्राक्कलन के अनुरूप होगा. सबसे खास बात यह है कि मजदूरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो पाएगा.

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किन योजनाओं का सोशल ऑडिट

उन्हीं योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण किया जाना है, जिनका मस्टररोल निकाला गया हो या अंकेक्षण के दौरान योजना चालू हो. अंकेक्षण की प्रक्रिया में योजना कार्य स्थल का भ्रमण कर धरातल पर योजना की वास्तविक स्थिति, मस्टररोल की उपलब्धता, भुगतान, मस्टररोल के अनुसार मजदूरों की उपस्थिति, कार्यस्थल सुविधाएं आदि का अंकेक्षण किया जाना है. साथ ही मजदूरों से चर्चा कर जॉब कार्ड, मजदूरी भुगतान आदि समस्याओं को चिन्हित कर संबंधित पदाधिकरियों को त्वरित कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजने की प्रक्रिया की जायेगी.

समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण के लिए प्रत्येक पंचायत में 4 लोगों की टीम भेजी गयी है. जिसमें 2 सदस्य सोशल ऑडिट यूनिट के और 2 सदस्य संबंधित पंचायत के मनरेगा मजदूर मंच से संबधित मजदूर होंगे. खास बात है कि हर पंचायत में ऑडिट पूरा होने के बाद एक रिपोर्ट तैयार कर पंचायत को उसकी कॉपी दी जाएगी. इसके बाद समर्पित प्रतिवेदन के आधार पर अविलम्ब कार्यवाई करते हुए इसकी सूचना पंचायत प्रखंड से प्राप्त कर जिला द्वारा सोशल ऑडिट यूनिट और मनरेगा प्रकोष्ठ को भेजा जाएगा.

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