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धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी लोगों के लिए बनेगा प्रेरणा स्रोत, पुराने जेल का किया जा रहा है जीर्णोद्धार

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Published : Feb 24, 2021, 8:28 PM IST

रांची के सर्कुलर रोड स्थित पुराने बिरसा मुंडा जेल के जीर्णोद्धार का काम किया जा रहा है. जेल परिसर को स्मृति पार्क और म्यूजियम के रूप में विकसित किया जाएगा.

renovation of birsa munda jail in ranchi
बिरसा मुंडा जेल

रांची: धरती आबा बिरसा मुंडा के नाम पर बने जल जंगल जमीन और प्राकृतिक सौंदर्य के नाम से बने झारखंड का 20 साल पूरे होने को है. भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस के अवसर पर झारखंड राज्य का गठन किया गया था और इसी दिन धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के सपनों को साकार किया गया था. धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा झारखंड के वीर क्रांतिकारी थे. जिन्होंने अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने को मजबूर कर रखा था.

जानकारी देते हुए संवाददाता विजय

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बिरसा मुंडा जेल के जीर्णोद्धार का किया जा रहा कार्य
राजधानी रांची के सर्कुलर रोड स्थित पुराना बिरसा मुंडा जेल के जीर्णोद्धार का काम लगभग पूरा हो चला है. भगवान बिरसा मुंडा पुराने जेल परिसर को स्मृति पार्क और म्यूजियम के रूप में विकसित किया जा रहा है. जीर्णोद्धार का कार्य लगभग 62 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है. जबकि 27 करोड़ रुपये की लागत से भगवान बिरसा मुंडा म्यूजियम का जीर्णोद्धार हो रहा है. इसके अलावा 8 करोड़ रुपये की लागत से पार्क में म्यूजिकल वाटर फाउंडेशन लगेगा. बिरसा मुंडा पार्क को पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है. जिसमें अंडर ग्राउंड पार्किंग, रिस्ट्रो और फूड कोर्ट भी बनाया जा रहा है. काम करने वाली एजेंसी इंडियन ट्रस्ट फॉर रूलर हेरिटेज एंड डेवलपमेंट की ओर से कार्य किया जा रहा है.

जेल परिसर में बिरसा मुंडा के जीवन के अभिलेख
बिरसा मुंडा पुराने जेल परिसर के प्रथम तल्ले के चार कमरों में से एक कमरे में भगवान बिरसा मुंडा के जीवन के अभिलेख को दर्शाया जाएगा. दूसरे कमरे में बिरसा मुंडा के अनुयायियों के बारे में जानकारी रहेगी. इसके अलावा दो अन्य कमरों में उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाया जाएगा. इसके अलावा जेल परिसर के आंगन में झारखंड के 10 आदिवासी स्वतंत्रा सेनानियों की मूर्ति स्थापित की गई है. जिनमें उनके संबंध में लाइट और साउंड शो के माध्यम से जानकारी दी जाएगी.

जेल परिसर को म्यूजियम के रूप में किया जाएगा विकसित
सर्कुलर रोड स्थित जेल परिसर को म्यूजियम के रूप में परिवर्तित की जा रही है. सरकार की मंशा है कि आने वाली पीढ़ी के युवा अपनी पुरानी विरासत और धरोहर को जानें और उन्हें अपने जीवन में आदर्श के रूप में अपना सकें. इसी जेल में भगवान बिरसा मुंडा ने अपने जीवन के आखिरी दिन काटे थे और यहीं उनकी मृत्यु हुई. उन्हें 3 फरवरी को अंग्रेजों ने पकड़ा था और इस जेल में 9 जून 1900 भगवान बिरसा मुंडा की मृत्यु हो गई थी. अंग्रेजों ने भगवान बिरसा मुंडा की मौत की वजह डायरिया बताई थी, पर कहा जाता है कि उन्हें धीमा जहर देकर मारा गया था. उसी की याद में डेढ़ सौ साल पुराने इस जेल में जीर्णोद्धार का कार्य किया जा रहा है.

बिरसा मुंडा पुराने जेल परिसर को किया जा रहा संरक्षित
भगवान बिरसा मुंडा पुराने जेल परिसर को बिरसा मुंडा के याद के रूप में संरक्षित किया जा रहा है. पूरे कैंपस में जहां-जहां खुली जगह है, उसे खूबसूरत गार्डन के तौर पर विकसित किया जा रहा है. इसके अलावा यहां लाइट और साउंड की भी व्यवस्था की जा रही है ताकि इसके जरिए यहां पर आने वाले लोगों को जेल और भगवान बिरसा मुंडा के इतिहास के बारे में बताया जा सके.

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भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को रांची जिले के उलिहातू गांव में एक गरीब किसान परिवार के घर में हुआ था. बिरसा मुंडा को 1900 में आदिवासी लोगों को संगठित करता देख ब्रिटिश सरकार ने आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें 2 साल की सजा सुनाई गई थी. कहा जाता है कि 9 जून 1900 को लगभग सुबह 8:00 बजे अंग्रेजों की ओर से उन्हें जहर देकर मार दिया गया. भगवान बिरसा मुंडा 1895 में अंग्रेजों की जवाबदारी प्रथा और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई के साथ-साथ जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ रहे थे. बिरसा मुंडा ने अबुआ दिसुम अबुआ राज यानी हमारा देश हमारा राज का नारा दिया. देखते ही देखते सभी आदिवासी जंगल पर दावेदारी के लिए इकट्ठा हो गए और अंग्रेजी सरकार के पांव को उखाड़ के फेंका.

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