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रांची वासियों को ₹ 60 हजार वाली साइकिल भी पसंद नहीं

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Published : Oct 28, 2021, 6:13 PM IST

Updated : Oct 30, 2021, 1:01 PM IST

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और प्रदूषण के खतरे बचने के लिए साइकिल एक बेहतर सवारी है. इसमें कई तरह के इजाद भी हो रहे हैं. लेकिन राजधानी रांची में एक निजी कंपनी को ओर से दी जा रही शेयरिंग साइकिल सर्विस के प्रति लोग उदासीन हैं.

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साइकिल

रांचीः राजधानी में गाड़ियों को पार्किंग के लिए जगह मिले ना मिले निजी कंपनी की साइकिल के लिए हर जगह डॉक्स जरूर बने हुए हैं. जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से लैस बेसकीमती यह साइकिल जर्मनी की बनी हुई हैं. तत्कालीन रघुवर सरकार के नगर विकास विभाग की पहल पर शुरू हुई शेयरिंग साइकिल सर्विस आज अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रहा है.

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रांची में शेयरिंग साइकिल सर्विस तत्कालीन रघुवर सरकार और नगर विकास विभाग की पहल पर शुरू हुई थी. स्वास्थ्य ठीक रखने और पर्यावरण को प्रदूषण से रोकने में साइकिल की अहम भूमिका है. इसी उद्देश्य से रांची में 3 मार्च 2019 को इस सेवा की शुरुआत की गई थी. लेकिन राजधानी में लोगों की उदासीनता की वजह से ये सेवा आज अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रहा है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

फेज-2 में साइकिल सेवा का होगा विस्तार
शुरुआत में यह सर्विस कुछ इलाकों में था, बाद में फेज वन के तहत राजधानी के विभिन्न स्थानों पर इस सेवा को बढायी गयी. वर्तमान में राजधानी में 60 डॉक्स हैं, जहां 600 साइकिल खड़ी है. रांची स्मार्ट सिटी, सूडा और नगर निगम के सहयोग से चार्टर्ड बाइक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Chartered Bike Private Limited Company) फेज-2 में 60 ड्रॉक्स तैयार कर 600 और अतिरिक्त साइकिल राजधानी की सड़कों पर उतारेगा.

कंपनी के महाप्रबंधक अतुल गुप्ता ने उम्मीद जताया है कि देश की अन्य शहरों की तरह रांची में भी लोग साइकिल सेवा को अपनाएंगे. उन्होंने कहा कि शुरुआती समय में जरुर राइडर्स की संख्या काफी थी. लेकिन कोरोना के कारण बाजार और शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने के कारण इस सेवा को भी प्रभावित किया, जिसके कारण कंपनी को काफी वित्तीय घाटे भी हुए, अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं तो उम्मीद है कि जल्द सबकुछ ठीक हो जाएगा.

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60 हजार रुपए की है एक साइकिल
जर्मन मेड यह साइकिल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है, जिसमें जीपीएस सिस्टम कार्यरत है. मासिक, छमाही और वार्षिक शुल्क के आधार पर ऐप के जरिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले राइडर्स साइकिल में लगे स्कैनर से स्कैन कर सफर की शुरुआत कर सकते हैं. आधे घंटे तक फ्री सवारी की व्यवस्था के साथ एक रजिस्ट्रेशन के साथ दो राइडर्स इसकी सेवा ले सकते हैं. राजधानी की भीड़भाड़ से बचकर अपनी यात्रा को पूरी करने में युवावर्ग को साइकिल जरूर पसंद है.

कोकर से मोरहाबादी साइकिल की सवारी कर पहुंचे रवि रंजन कुमार का मानना है कि यह बेहतरीन सेवा है, जिसका फायदा लिया जा सकता है. वहीं बहु बाजार से मोरहाबादी आए सौरभ कुमार का मानना है कि साइकिल में लॉक की खामी है, जिसके कारण परेशानी होती है.



साइकिल सेवा पर भी राजनीति
देश के अन्य शहरों के तर्ज पर रघुवर सरकार में राजधानी रांची के मोरहाबादी से शुरू हुई, अब साइकिल सेवा पर राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस ने इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए सरकार की अदूरदर्शी सोच के कारण लोगों द्वारा इसे ठुकरा देने का आरोप लगाया है. कांग्रेस नेता किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि लोगों तक सही से जानकारी और जटिल व्यवस्था को ठीक किए बगैर साइकिल सेवा दुरुस्त कैसे होगी.

इस पर बीजेपी ने पूर्ववर्ती सरकार को सही बताते हुए कहा कि इसे आम लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर की गई पहल बताया है. पूर्व विधायक डॉ. जीतू चरण राम ने साइकिल की सवारी को बेहतरीन व्यायाम बताते हुए कहा है कि इससे शरीर तंदुरुस्त रहता है.


सड़क किनारे धूल फांकती यह साइकिल बताने के लिए काफी है कि जब इसकी शुरुआत राजधानी में हुई थी तो लोगों की जुबान पर अचानक कैसे आ गया था. बाद में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए हर शनिवार को नो कार मुहिम चलायी गयी. लेकिन सभी व्यवस्थाएं समय के साथ खत्म होती जा रही हैं. ऐसे में हम पर्यावरण संरक्षण के लिए भले ही साइकिल सवारी से जोड़कर इसे देखें मगर हकीकत यह है कि जिस ईमानदारी के साथ राजनीतिक और सामाजिक पहल होनी चाहिए वो नहीं पाता है.

Last Updated : Oct 30, 2021, 1:01 PM IST
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