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झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई, सरकार ने कहा- नियमों का हुआ पालन

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Published : Jan 10, 2022, 10:16 PM IST

झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि निर्धारित की है.

JHARKHAND HIGH COURT
झारखंड हाई कोर्ट

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई है. कोर्ट में राज्य सरकार ने बताया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली नियम संगत है और सही है. सरकार की तरफ से दिए गए जवाब का उत्तर देने के लिए प्रार्थी ने कोर्ट से समय की मांग की है. जिस पर कोर्ट ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तिथि निर्धारित की है.

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पहले भी हो चुकी है सुनवाई: पूर्व में इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत प्रभावित चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार को भी मामले में अपना जवाब पेश करने को कहा था. उसी आदेश के आलोक में राज्य सरकार और चयनित 4 हजार 190 अभ्यर्थियों की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. जवाब के माध्यम से अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली नियम संगत है. नियुक्ति प्रक्रिया नियम अनुकूल की गई है और नियुक्ति सही है. याचिका को खारिज कर दी जाए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने सरकार की दलील का विरोध किया.

क्या है पूरा मामला: बता दें कि इस संबंध में सुनील टुडू सहित 50 याचिकाएं अदालत में दाखिल की गई है. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सिपाही नियुक्ति नियमावली-2014 पुलिस मैनुअल के प्रावधानों के विपरीत है. नई नियमावली में लिखित परीक्षा के लिए निर्धारित न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स की शर्त भी गलत है. इसलिए नई नियमावली को निरस्त कर देना चाहिए. इस मामले में जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह का कहना है कि नई नियमावली के अनुसार ही वर्ष 2015 में सभी जिलों में सिपाही और जैप के जवानों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था. नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2018 में पूरी कर ली गई है. इस पर वादियों की ओर से कहा गया कि पूर्व में हाई कोर्ट की एकलपीठ ने इस मामले के अंतिम फैसले से नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होने का आदेश दिया था.

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