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झारखंड के विश्वविद्यालयों में एक साथ लागू होगी नई शिक्षा नीति, सब्जेक्ट मैपिंग का काम शुरू

झारखंड के विश्वविद्यालयों (universities of Jharkhand) में नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी शुरू कर दी गई है. संभावना है कि इसी सत्र से न्यू पॉलिसी के तहत पढ़ाई शुरू हो जाए. इसको लेकर विषय मैपिंग का काम शुरू कर दिया गया है.

New education policy
झारखंड के विश्वविद्यालयों में एक साथ लागू होगा नई शिक्षा नीति
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Published : Jul 26, 2022, 1:28 PM IST

रांचीः देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ-साथ झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में न्यू एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) लागू करने की कवायद शुरू कर दी गई है. संभावना है कि इसी सत्र से नई शिक्षा नीति लागू हो जाए. हालांकि, अभी विद्यार्थियों में नई शिक्षा नीति को लेकर उहापोह की स्थिति है. विद्यार्थी नई शिक्षा नीति से अवगत हो. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शिक्षाविद् से विशेष बातचीत की है.

यह भी पढ़ेंः राज्य के विश्वविद्यालयों में इसी सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत नामांकन, 4 वर्ष का ग्रेजुएशन

झारखंड के रांची विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति के तहत सिलेबस तैयार किया जा रहा है. वहीं, न्यू पॉलिसी के तहत ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नामांकन भी हो रहे हैं. पाठ्यक्रमों में कई बदलाव किए जा रहे हैं. ग्रेजुएशन समेत कई कोर्स में भी बदलाव देखने को मिलेगा. हालांकि विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में है. शिक्षाविद की मानें तो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2022 के तहत छात्रों को सबसे बड़ी छूट स्ट्रीम सेलेक्शन करने में दिया गया है. छात्र अगर चाहे तो साइंस स्ट्रीम का चयन कर आर्ट्स स्क्रीन की भी पढ़ाई कर सकते हैं और आर्ट्स स्ट्रीम का चयन कर साइंस स्ट्रीम की भी पढ़ाई कर सकते हैं. नई शिक्षा नीति 2022 के तहत किसी एक सब्जेक्ट को लेकर पढ़ाई करने की बाध्यता नहीं होगी. नई नीति में खेल, नृत्य, मूर्तिकला, संगीत और क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं को भी शामिल किया गया है.

देखें पूरी खबर

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की तर्ज पर राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार किया गया है. पढ़ाई को आसान बनाने के साथ ही छात्रों को समझ में आने योग्य बनाने के लिए पढ़ाई क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया जाएगा. दूसरे देश की तर्ज पर अब भारत में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए पढ़ाई को और सरल करने की भी योजना तैयार की गई है. पाठ्यक्रम में संस्कृत और भारत की जो प्राचीन भाषाएं हैं, उसको मुख्य स्ट्रीम में लाया जा रहा है. ग्रेजुएशन करने वाले विद्यार्थियों को भी कई छूट दी गई है. विद्यार्थी 3 वर्ष का ग्रेजुएशन कोर्स करने के बाद भी डिग्री ले सकते हैं. 1 या 2 वर्ष करने के बाद वह डिप्लोमा हासिल कर सकते हैं, जिसकी मान्यता देशभर के विश्वविद्यालयों में होगी.



केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उद्देश्य है कि नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर खड़ा किया जाए. गौरतलब है कि भारत में पहले की शिक्षा नीति में बहुत समय से कोई बदलाव नहीं किया गया था. भारत के विकास के लिए ही शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है. शिक्षा नीति के तहत बहुत सारे क्षेत्र में छूट और अधिक लाभ देने की कोशिश हुई है. इससे छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा और वह रोजगार परक शिक्षा प्राप्त कर सकेगा.



शिक्षाविद कहते हैं देश के लिए यह शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित होगा. राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने इसी सत्र से नई शिक्षा नीति को लेकर एक रोडमैप भी तैयार किया है. नई शिक्षा नीति के तहत ही इस सत्र से पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी. विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए विश्वविद्यालयों में विशेषज्ञों की टीम भी तैयार की गई है, जो समय समय पर विद्यार्थियों को विषय और पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी देगी.

रांचीः देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के साथ-साथ झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में न्यू एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) लागू करने की कवायद शुरू कर दी गई है. संभावना है कि इसी सत्र से नई शिक्षा नीति लागू हो जाए. हालांकि, अभी विद्यार्थियों में नई शिक्षा नीति को लेकर उहापोह की स्थिति है. विद्यार्थी नई शिक्षा नीति से अवगत हो. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शिक्षाविद् से विशेष बातचीत की है.

यह भी पढ़ेंः राज्य के विश्वविद्यालयों में इसी सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत नामांकन, 4 वर्ष का ग्रेजुएशन

झारखंड के रांची विश्वविद्यालय सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति के तहत सिलेबस तैयार किया जा रहा है. वहीं, न्यू पॉलिसी के तहत ही कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नामांकन भी हो रहे हैं. पाठ्यक्रमों में कई बदलाव किए जा रहे हैं. ग्रेजुएशन समेत कई कोर्स में भी बदलाव देखने को मिलेगा. हालांकि विद्यार्थी असमंजस की स्थिति में है. शिक्षाविद की मानें तो नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2022 के तहत छात्रों को सबसे बड़ी छूट स्ट्रीम सेलेक्शन करने में दिया गया है. छात्र अगर चाहे तो साइंस स्ट्रीम का चयन कर आर्ट्स स्क्रीन की भी पढ़ाई कर सकते हैं और आर्ट्स स्ट्रीम का चयन कर साइंस स्ट्रीम की भी पढ़ाई कर सकते हैं. नई शिक्षा नीति 2022 के तहत किसी एक सब्जेक्ट को लेकर पढ़ाई करने की बाध्यता नहीं होगी. नई नीति में खेल, नृत्य, मूर्तिकला, संगीत और क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं को भी शामिल किया गया है.

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एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की तर्ज पर राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार किया गया है. पढ़ाई को आसान बनाने के साथ ही छात्रों को समझ में आने योग्य बनाने के लिए पढ़ाई क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया जाएगा. दूसरे देश की तर्ज पर अब भारत में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए पढ़ाई को और सरल करने की भी योजना तैयार की गई है. पाठ्यक्रम में संस्कृत और भारत की जो प्राचीन भाषाएं हैं, उसको मुख्य स्ट्रीम में लाया जा रहा है. ग्रेजुएशन करने वाले विद्यार्थियों को भी कई छूट दी गई है. विद्यार्थी 3 वर्ष का ग्रेजुएशन कोर्स करने के बाद भी डिग्री ले सकते हैं. 1 या 2 वर्ष करने के बाद वह डिप्लोमा हासिल कर सकते हैं, जिसकी मान्यता देशभर के विश्वविद्यालयों में होगी.



केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का उद्देश्य है कि नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर खड़ा किया जाए. गौरतलब है कि भारत में पहले की शिक्षा नीति में बहुत समय से कोई बदलाव नहीं किया गया था. भारत के विकास के लिए ही शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है. शिक्षा नीति के तहत बहुत सारे क्षेत्र में छूट और अधिक लाभ देने की कोशिश हुई है. इससे छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा और वह रोजगार परक शिक्षा प्राप्त कर सकेगा.



शिक्षाविद कहते हैं देश के लिए यह शिक्षा नीति मील का पत्थर साबित होगा. राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने इसी सत्र से नई शिक्षा नीति को लेकर एक रोडमैप भी तैयार किया है. नई शिक्षा नीति के तहत ही इस सत्र से पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी. विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए विश्वविद्यालयों में विशेषज्ञों की टीम भी तैयार की गई है, जो समय समय पर विद्यार्थियों को विषय और पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी देगी.

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