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स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण हेमंत सरकार का लॉलीपॉप: सीपी सिंह

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Published : Sep 15, 2022, 4:24 PM IST

बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि स्थानीय नीति (1932 Khatian Based Domicile Policy) और ओबीसी आरक्षण हेमंत सरकार का लॉलीपॉप है. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार का यह निर्णय भ्रामक है. इससे समाज में विद्वेष फैलेगा.

MLA CP Singh
स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण हेमंत सरकार की लॉलीपॉप

रांचीः हेमंत कैबिनेट ने स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया है. सरकार का फैसला झारखंड की राजनीतिक गलियारों में बहस का मुद्दा बन गया है. झारखंड बीजेपी ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाने के निर्णय को लोलीपॉप बताया है.

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बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने और 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian Based Domicile Policy) बनाने के निर्णय को समाज में भ्रम फैलाकर वोट की राजनीति करने का आरोप लगाया है. उन्होंने महागठबंधन सरकार के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जो तीर महागठबंधन सरकार ने चलाया है, वह निशाने पर लगने से पहले बीच रास्ते से वापस हो जायेगा. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार का यह निर्णय भ्रामक है. इससे समाज में विद्वेष फैलेगा. उन्होंने कहा कि झारखंड में 1932 के बाद कई सर्वे हुए हैं, जिसमें 1945 और 1960 शामिल है. इन सर्वे के आधार पर झारखंड के खतियानी का क्या होगा.

क्या कहते हैं विधायक सीपी सिंह

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 1932 के सर्वे के आधार पर स्थानीय नीति बनाने का निर्णय लिया गया है. इसके अलावे राज्य में सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दायरा 77 फीसदी तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया. इसके तहत ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई है. निर्णय के अनुसार एससी को 10 फीसदी आरक्षण के स्थान पर अब 12 फीसदी, एसटी को 26 फीसदी आरक्षण के स्थान पर अब 28 फीसदी आरक्षण, ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण के स्थान पर अब 27 फीसदी आरक्षण और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा. सरकार ने दोनों मुद्दों पर अधिसूचना के सहारे राज्य में लागू करने के बदले उसे भारत सरकार को भेजकर संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा करने का फैसला किया है. बता दें कि बाबूलाल मरांडी की सरकार ने 1932 के खतियान के आधार पर लागू की गई स्थानीय नीति को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद इस स्थानीय नीति को खारिज करते हुए संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नई नीति बनाने का निर्देश दिया था.

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