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आज पेश होगा झारखंड का बजट, आसान भाषा में बजट से जुड़ी खास बातें

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Published : Mar 3, 2020, 9:18 AM IST

झारखंड विधानसभा का बजट आज पेश होगा. वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव बजट पेश करेंगे. बजट को जब हम समझने की कोशिश करते हैं तो हमारे सामने कई ऐसे शब्द आते हैं, जिनके शब्दों को हम समझ नहीं पाते. हम आपको उसी शब्दों को सरल भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

Know the special features of the budget
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रांची: जब हम बजट के बारे में बात करते है, या उसे समझने की कोशिश करते हैं तो हमारे सामने कई ऐसे शब्द आते है, जिनके शब्दों को हम समझ नहीं पाते. हम आपको उसी शब्दों को सरल भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

देखिए पूरी खबर

अंतरिम बजट (interim budget)

तकनीकी रूप से अंतरिम बजट चुनावी साल में कुछ वक्त तक राज्य को चलाने के लिए खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता है. नई सरकार बनाने के लिए जो समय होता है उस अवधी के लिए अंतरिम बजट पेश किया जाता है.

सकल घरेलू उत्पाद (GDP)

सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी... एक वर्ष में उत्पादित हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के संयुक्त बाजार मूल्य को जीडीपी कहा जाता है. चूकी इससे बाजार के विकास की गति पता चलती है इसलिए इसे अर्थव्यवस्था का सूचक भी कहा जाता है.

वित्तीय घाटा (fiscal deficit)

वित्तीय घाटा - फिजिक्ल डेफिसिट सरकार के खर्च और आमदनी का अंतर को वित्तीय घाटा या बजटिय घाटा कहा जाता है. इससे इस बात की जानकारी होती है सरकार को कामकाज चलाने के लिए कितने उधार की जरूरत होगी. कुल राजस्व का हिसाब-किताब लगाने में उधार को शामिल नहीं किया जाता है.

वित्त विधेयक (finance bill)

वित्त विधेयक-फाइनेंस बिल... इस विधेयक के माध्यम से ही आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सराकरी आमदनी बढ़ाने के विचार से नए करों का प्रस्ताव करते हैं. इसके साथ ही वित्त विधेयक में मौजूदा कर प्रणाली में किसी भी तरह आदी को प्रस्तावित किया जाता है. संसद की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे लागू किया जाता है.

प्रत्यक्ष कर (direct tax)

प्रत्यक्ष कर-डायरेक्ट टैक्स- डायरेकेट टैक्स वो टैक्स होता है जो व्यक्तियों और संगठनों की किसी भी स्त्रोत के हुई इनकर पर लगाया जाता है. इनकम टैक्स कॉरपोरेट टैक्स आदी डायरेक्ट टैक्स के तहत आते हैं.

अप्रत्यक्ष टैक्स (indirect tax)

अप्रत्यक्ष टैक्स-इनडायरेक्ट टैक्स वो टैक्स होता जो ग्राहकों के सामान खरीदने और सेवाओं का इस्तेमाल करने पर लगाया जाता है. GST जैसे टैक्स इंडायरेक्ट टैक्स के तहत ही आते हैं.

सेवा कर (service tax)

सेवा कर-सर्विस टैक्स बाजार में मौजूद कई तरह की सेवाओं जैसे-मोबाइल, सैलून, कोचिंग रेस्त्रा वगैरह सेवाओं को लेने के बदले कुछ मात्रा में शुल्क देना पड़ता है. इसी को सर्विस टैक्स कहते है. फिलहाल इसे सरकार ने ग्राहकों पर छोड़ दिया है..कि वो ये टैक्ट देना चाहते या नहीं.

सब्सिडी (subsidied)

सब्सिडी- सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नगदी या छूट से दिए जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है. भारत में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को देखते हुए किया जाता है.

बैलेंस शीट (balance sheet)

बैलेंस शीट- बैलेंस शीट में सरकार को सालभर में टैक्स के जरिए प्राप्त की जाने वाली आमदनी और खर्च का पूरा ब्यौरा होता है.

पूंजीगत परिसंपत्ति (capital assets)

पूंजीगत परिसंपत्ति- जब कोई व्यक्ति बिजेनस या प्रोफेशनल किसी भी उद्देश्य से प्रॉपर्टी में निवेश या खरीदारी करता है तो इस रकम से खरीदे गए प्रॉपर्टी capital asset कहलाती है. यह बॉण्ड शेयर मार्केट और रॉ मैटेरियल में से कुछ भी हो सकता है.

कर निर्धारण वर्ष (assedment year)

कर निर्धारण वर्ष- एसेस्मेंट इयर- कर निर्धारण वर्ष किसी वित्तीय वर्ष का अगला वर्ष होता है.

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राजकोषीय नीति (fiscal policy)

राजकोषीय नीति-फिजिकल पॉलिसी- एक ऐसी नीति जो सरकार की आय, सार्वजनिक व्यय, रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी इत्यादी कर की दरों, सार्वजनिक ऋण घाटे की वित्त व्यवस्था से संबंधित होती है.

उपकर (cess)

उपकर-सेस- इस कर के साथ किसी विशेष उद्देश्य के लिए धन इकट्ठा करने के लिए कर आधार पर ही लगाया जाता है. जैसे की स्वच्छ भारत सेस, कृषी कल्याण सेस, स्वच्छ पर्यावरण सेस.

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