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रांची के बाजारों में बढ़ी इम्यूनिटी बढ़ाने वाले तिलकुट की मांग, कोरोना से लड़ने में है मददगार

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Published : Jan 5, 2021, 5:02 AM IST

Updated : Jan 5, 2021, 6:29 AM IST

रांची में मकर संक्रांति को लेकर चहल-पहल शुरू हो गई है. इस पर्व में तिल का बने पकवान खाने की परंपरा है. ऐसे में कोरोना काल में इम्यूनिटी बढ़ाने वाला तिलकुट इलायची, जायफल, मुलेठी, अश्वगंधा का मिश्रण के साथ राजधानी के बाजार में उपलब्ध है.

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मकर संक्रांति

रांची: मकर संक्रांति को लेकर राजधानी रांची में भी चहल-पहल शुरू हो गई है. इस पर्व में तिल से बने पकवान खाने की परंपरा है. इसे शुभ माना जाता है. तिल के कई वैज्ञानिक कारण और औषधीय गुण भी हैं. जिस वजह से तिल का महत्व इस पर्व में बढ़ जाता है. मकर संक्रांति के मद्देनजर राजधानी रांची के तिल बाजार भी सज-धजकर तैयार हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कारण बाजार में थोड़ी मंदी है. इसके बावजूद लोगों की सेहत का ख्याल रखा जा रहा है. इस साल बाजार में इम्यूनिटी वाला तिलकुट उपलब्ध है.

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मकर संक्रांति को लेकर सजा तिलकुट का बाजारपिछले कुछ साल से राजधानी रांची के बाजार में भी तिलकुट की कई वैरायटी मिलने लगी है. पहले लोग बिहार के गया से तिलकुट मंगवा कर पहले से ही रखते थे, लेकिन अब गया के कारीगर राजधानी के बाजारों में पहुंचकर तिलकुट बनाने का काम करते हैं. मकर संक्रांति के मद्देनजर हर साल काफी मात्रा में तिलकुट की कई वैरायटी बाजारों में तैयार की जाती है और उसकी बिक्री भी होती है. इस साल भी बाजार में तिलकुट की कई वैरायटी मौजूद है. कोरोना काल की वजह से इस बार इम्यूनिटी वाला तिलकुट भी बाजार में बिक रहा है. हालांकी तिल खुद में औषधि युक्त खाद्य पदार्थ है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की प्रचुर शक्ति होती है. इसके बावजूद तिल में कुछ फ्लेवर डालकर इस बार लोगों को बेहतर क्वालिटी का इम्यूनिटी वाला तिलकुट उपलब्ध कराया जा रहा है. लोगों की डिमांड और पसंद को देखते हुए रांची के बाजार में तिल की गर्माहट और मिठास को बढ़ाने के उद्देश्य से चीनी वाले तिलकुट में इलायची का फ्लेवर और गुड़ वाले तिलकुट में जायफल का फ्लेवर डालकर परोसा जा रहा है. विक्रेताओं के साथ-साथ चिकित्सकों का भी दावा है की यह तिलकुट सेहत के लिए फायदेमंद है. इसमें शरीर का इम्यूनिटी पावर बढ़ता है और यह कोरोना के साथ लड़ने के लिए भी सहायक साबित हो रहा है. इसके अलावा बाजार में मुलेठी, अश्वगंधा और गुड़ की अधिक मात्रा वाले इम्यूनिटी तिलकुट भी बिक रहे हैं.
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तिलकुट की मांग
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रांची के बाजार में पहली बार इम्यूनिटी वाला तिलकुट

रांची में पहली बार इस तरह का तिलकुट बनाया जा रहा है. काले तिल के लड्डू में भी इम्यूनिटी बढ़ाने की शक्ति होती है. जानकारों के मुताबिक, इस बार तिलकुट के बाजार में आयुष मंत्रालय के बताए गए औषधीय तत्व का इस्तेमाल कर तिलकुट बनाया जा रहा है और जिसे लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं. ठंड के मौसम में तिल खाना स्वास्थ्य और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अच्छा माना जाता है और यह त्योहार कहीं ना कहीं लोगों की सेहत का भी ख्याल रखता है. क्योंकि मकर संक्रांति के दिन तिल खाने और दान देने की परंपरा रही है. आयुर्वेद से जुड़े चिकित्सकों की मानें, तो मकर संक्रांति पर्व के मौके पर 2 तरह के तिल का उपयोग किया जाता है. सफेद तिल और काला तिल. इन दोनों तिल को आयुर्वेदिक साइंस में बेहतर माना गया है. काले तिल में एमिनो एसिड और प्रोटीन है. इसके अलावा फैटी एसिड भी इसमें मिलता है, जो इम्यूनिटी पावर को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होता है. सिर्फ यही नहीं तिल कई बीमारियों से रक्षा के लिए बेहतर माना गया है. तिल के उपयोग करने से चेहरे में चमक बढ़ती है .बालों के लिए भी रामबाण माना गया है. हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करता है. वहीं कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए भी तिल बेहतर आयुर्वेदिक औषधियों में है. ब्रेस्ट कैंसर, मुंह का कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर जैसे बीमारियों से लड़ने में काला तिल मदद करता है. दांत का पायरिया और दर्द से निजात दिलाता है.खाने के बाद तिल के तेल से गार्गिल करने पर मुह का सारा संक्रमण दूर हो जाता है.

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तिलकुट की मांग
50 फीसदी रह गई है बिक्रीहालांकि कोरोना काल की वजह से बाजार में जो रौनक दिखना चाहिए था. वह रौनक इस वर्ष अब तक नहीं दिख रहा है. राजधानी रांची के अपर बाजार का यह क्षेत्र तिलकुट के बाजार के नाम से प्रसिद्ध है. जहां तिलकुट की खरीदारी करने दूरदराज से लोग पहुंचते हैं. लेकिन इस बार खरीदारों की कमी विक्रेताओं को सता रही है. कोरोना का व्यापक असर इस बाजार पर भी पड़ा है. व्यापारी कहते हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 50 प्रतिशत ही बिक्री रह गई है. हर वैरायटी के तिलकुट होने के बावजूद खरीदारों की संख्या कम है. इसके बावजूद इन विक्रेताओं को उम्मीद है कि धीरे-धीरे मकर संक्रांति को लेकर बाजार गर्म होगा और खरीदारों की भीड़ बढ़ेगी. इस बार 320 रुपये केजी तिलकुट से लेकर 500 रुपये केजी तक तिलकुट बिक रहा हैं. हालांकि तमाम तिलकुट के वैरायटी अलग-अलग है. लोगों के पसंद और उपयोगिता के हिसाब से तिलकुट की बिक्री हो रही है. लोगों को इम्यूनिटी वाला तिलकुट काफी पसंद आ रहा है. ग्राहकों की मानें तो इस बार कोरोना के मद्देनजर तिलकुट के बाजार में भी कई वैरायटी के तिलकुट मुहैया हो रहा है.
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तिल खाने के फायदे

बाजार भाव और कोरोना का असर

  • कोरोना महामारी के कारण 50 फीसदी का रह गया है बाजार.
  • बाजार में 320 से लेकर 500 रुपये केजी तक तिलकुट बिक रहा है. खोवा रेवड़ी तिलकुट जहां 500 रुपये केजी बिक रहा तो. वहीं चीनी का तिलकुट 400 रुपये केजी है. जबकि सामान्य वैरायटी के तिलकुट 320 रुपये केजी बिक रहा है.
  • बाजार में बिक रहा है इम्यूनिटी वाला तिलकुट.
  • चीनी तिलकुट में इलायची का फ्लेवर.
  • गुड तिलकुट में जायफल का फ्लेवर.
  • मुलेठी और अश्वगंधा मिश्रण तिलकुट भी बाजार में उपलब्ध.
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    तिल खाने के फायदे


तिल के सेवन के फायदे

  • काले तिल में प्रचुर मात्रा में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की शक्ति.
  • ठंड के मौसम में तिल खाना सेहत के लिए फायदेमंद.
  • काले तिल में एमिनो एसिड ,फैटी एसिड और प्रोटीन की मात्रा भरपूर.
  • हृदय की मांसपेशियों को करता है मजबूत.
  • चेहरे की चमक बढ़ाता है.
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    तिल खाने के फायदे
  • बालों के लिए है रामबाण.
  • कई तरह के कैंसर से लड़ने में करता है मदद.
  • तिल के तेल से कुल्ला करने से मुंह का संक्रमण होता है दूर.
Last Updated : Jan 5, 2021, 6:29 AM IST
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