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राज्य सूचना आयोग के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को किया जवाब तलब, 6 सप्ताह में मांगा ब्यौरा

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Published : Aug 3, 2021, 10:36 AM IST

झारखंड में सूचना आयोग फिलहाल काम नहीं कर रहा है. वजह आयोग में ना तो मूख्य सूचना आयुक्त हैं और ना ही सूचना आयुक्त. इसे लेकर दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने इसे गंभीर मामला माना और 6 सप्ताह में मुख्य सचिव से जवाब मांगा है.

hearing in jharkhand high court on state information commission case
सूचना आयोग के मामले पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को किया जवाब तलब, 6 सप्ताह में मांगा ब्यौरा

रांचीः झारखंड सूचना आयोग के फंक्शनल नहीं होने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को जवाब तलब किया है. अदालत ने आदेश दिया है कि, मुख्य सचिव खुद अदालत में बताएं कि राज्य सूचना आयोग क्यों नहीं फंक्शनल है? कब इसे फंक्शनल बनाया जाएगा? अब तक आयोग में कितनी अपील याचिका लंबित हैं. इन तमाम बिंदुओं पर विस्तृत बिंदुवार शपथ पत्र के माध्यम से 6 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत में सूचना आयोग को फंक्शनल बनाने और आयोग में लंबित अपील याचिका के निष्पादन की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य में सूचना आयोग के पंगु रहने और मामले की सुनवाई नहीं होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है. मुख्य सचिव को छह सप्ताह में यह बताने को कहा गया है कि सूचना आयोग फंक्शनल क्यों नहीं है? कब से यह फंक्शनल होगा? आयोग में लंबित अपील की संख्या की भी जानकारी अदालत ने मांगी है.

जानकारी देते अधिवक्ता

सुनवाई के दौरान प्रार्थी मनोज कुमार की ओर से अदालत को बताया गया कि, सूचना के अधिकार के तहत उन्होंने जानकारी मांगी थी. जो जानकारी उन्होंने मांगी थी उसका पूरा ब्योरा नहीं दिया गया. प्रथम अपील में भी उन्हें सूचनाएं नहीं दी गयी. इसके बाद आयोग में उन्होंने द्वितीय अपील की. आयोग में उन्होंने 16 मार्च 20 को ही अपील दायर की थी, लेकिन आज तक उनकी अपील पर सुनवाई नहीं हो सकी. अदालत को बताया गया कि राज्य में लंबे समय से सूचना आयोग पंगु बना हुआ है. आयोग में न मुख्य सूचना आयुक्त हैं और न ही सूचना आयुक्त. ऐसे में लोगों को सूचना के अधिकार कानून का लाभ नहीं मिल रहा है. सरकार भी इस संवैधानिक संस्था को चलाने में रूचि नहीं दिखा रही और 3-4 साल से सूचना आयुक्तों के रिक्त पदों को नहीं भरा जा रहा है. सुनवाई के बाद अदालत ने इसे गंभीर मामला माना और मुख्य सचिव को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

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