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विवादों में रही है पूर्व सीएम रघुवर दास की जनसंवाद चलाने वाली कंपनी, लगे हैं कई गंभीर आरोप

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Published : Jul 23, 2020, 4:04 PM IST

मई 2015 में जनसंवाद केंद्र की स्थापना की गई. इसके बाद से ही संचालकों के ऊपर गंभीर आरोप लगने लगे. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण करने के बाद यह साफ कर दिया कि जनसंवाद केंद्र के साथ करार की गई कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया जाएगा. बुधवार को राज्य सरकार ने कंपनी का करार रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी है, जो 31 जुलाई से प्रभावी होगी.

Former CM Raghubar Das company
पूर्व सीएम रघुवर दास की जनसंवाद चलाने वाली कंपनी

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में आम लोगों से 'डायरेक्ट कम्युनिकेशन' के मकसद से स्थापित किया गया जनसंवाद केंद्र शुरू से ही विवादों में रहा है. एक तरफ जहां इस केंद्र पर वित्तीय मामलों को लेकर आरोप लगे, वहीं दूसरी तरफ वहां काम करने वाली युवतियों ने भी संचालकों के व्यवहार को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी. इतना ही नहीं पूर्ववर्ती सरकार में तत्कालीन खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री रहे सरयू राय ने भी जनसंवाद के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच कराने की मांग की थी.

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दरअसल, मई 2015 में जनसंवाद केंद्र की स्थापना की गई. इसके बाद से ही संचालकों के ऊपर गंभीर आरोप लगने लगे. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शपथ ग्रहण करने के बाद यह साफ कर दिया कि जनसंवाद केंद्र के साथ करार की गई कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया जाएगा. बुधवार को राज्य सरकार ने कंपनी का करार रद्द करने की अधिसूचना जारी कर दी है, जो 31 जुलाई से प्रभावी होगी.

तत्कालीन मंत्री ने की थी एसीबी जांच की मांग

पूर्ववर्ती सरकार में खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री सरयू राय ने तत्कालीन मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को एक पत्र लिखकर मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र के फाइनेंसियल काम-काज का स्पेशल ऑडिट, अकाउंटेंट जनरल की ओर से कराने की जरूरत भी बताई. इसके साथ ही उन्होंने एसीबी जांच की मांग भी उठाई थी. इसके बाद जनसंवाद केंद्र के ऊपर लगे आरोपों के लिए 3 सदस्यीय जांच समिति गठित की गई. इसमें कुछ कथित अधिकारियों पर दोष सिद्ध किया, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

बिना प्रॉपर टेंडर के माइका को मिला था काम

तत्कालीन मंत्री सरयू राय ने अपने पत्र में साफ लिखा था कि शिकायतकर्ता ने जिन बिंदुओं की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया है, उससे यह बात सामने आती है कि माइका एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास प्रकाशित टेंडर में निर्धारित योग्यता नहीं थी. ऐसे में इनकी नियुक्ति सही नहीं मानी जा सकती. इसके साथ ही संतोषजनक काम होने पर 1 साल का एक्सटेंशन देने का प्रावधान था, लेकिन 2 साल बीतने के बाद टेंडर पब्लिश नहीं किया गया.

हर बार बढ़े हुए मूल्य पर मिलता रहा एक्सटेंशन

मुख्यमंत्री जनसंवाद चला रही कंपनी को 2015 के बाद हर बार बढ़े हुए दर पर एक्सटेंशन मिला. एक आरटीआई के मुताबिक, 2015 में 1.52 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. अगले वित्त वर्ष में वह 1.66 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. सरयू राय ने अपने पत्र के साथ बाकायदा 76 पन्नों का अभ्यावेदन मुख्य सचिव को भेजा था. उसमें यह भी लिखा था कि वहां काम करने वाली महिलाओं के साथ सही व्यवहार नहीं होता.

क्या था जनसंवाद केंद्र का काम

दरअसल, राज्य के लोगों की समस्याओं से रूबरू होने के मकसद से 2015 में जनसंवाद केंद्र की स्थापना की गई. यह राज्य के अलग-अलग जिलों को बांटकर लोगों की कंप्लेन दर्ज कर संबंधित विभाग को फॉरवर्ड करता था. केंद्र में 40 से ज्यादा महिलाएं काम करती थीं. जनसंवाद केंद्र सूचना भवन के प्रथम तल पर सक्रिय था. अक्टूबर 2016 में वहां काम करने वाली एक महिला कर्मी ने राजधानी के एक पुलिस स्टेशन में एक सहकर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. जबकि जनवरी 2017 में वहां कार्यरत 2 महिलाकर्मियों ने संचालकों के खिलाफ गंभीर आरोप भी लगाए थे.

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